Ayushman Bharat को इन राज्यों ने नहीं किया है लागू, जानें क्या हैं फायदें
Ayushman Bharat: आयुष्मान भारत योजना आने वाले केंद्रीय बजट में एक बार फिर सुर्खियों में है. बढ़ते खर्च और बेहतर उपयोग के आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि इस योजना का बजट 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर सकता है. राज्यों में असमान उपयोग, बढ़ती अस्पताल भागीदारी और 70 वर्ष से ऊपर के नागरिकों को मिलने वाला लाभ इसे और अहम बनाता है. यह लेख बताता है कि आयुष्मान भारत पर खर्च क्यों बढ़ा, कौन से राज्य आगे हैं, कौन पीछे और युवा पीढ़ी के लिए यह योजना भविष्य की सुरक्षा कैसे बन सकती है.
Ayushman Bharat: देश की सेहत से जुड़ी सबसे बड़ी सरकारी योजनाओं में से एक, आयुष्मान भारत आने वाले केंद्रीय बजट में एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है. अब तक के खर्च और इस्तेमाल के ट्रेंड को देखें तो यह लगभग तय माना जा रहा है कि इस योजना पर खर्च 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर सकता है. हाल के वर्षों में सरकार ने जितना पैसा इस योजना के लिए तय किया, असल खर्च अक्सर उसके आसपास या उससे ज्यादा ही रहा है. यही वजह है कि हर नए बजट में इसका आवंटन बढ़ता गया है.
खर्च अचानक क्यों बढ़ा?
शुरुआत में आयुष्मान भारत का दायरा सीमित था, लेकिन जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ी और अस्पताल जुड़े, इसका इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है. वित्त वर्ष 2019 में जहां इस योजना पर करीब 2,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, वहीं 2024 तक यह आंकड़ा 6,600 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है. सरकार ने कई बार बजट में अनुमान बदले, लेकिन बाद में असल खर्च ने दिखा दिया कि योजना जमीन पर काम कर रही है.
कौन से राज्य आगे हैं और कौन पीछे?
देश के कुछ राज्यों में आयुष्मान भारत का फायदा तेजी से लोगों तक पहुंचा है. तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में लोग इस योजना के तहत इलाज का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में कार्ड तो बहुत बने हैं, लेकिन इलाज के लिए इनका इस्तेमाल कम हो रहा है. इसका मतलब है कि अभी भी कई जगह अस्पतालों की कमी, जानकारी की कमी या सिस्टम से जुड़ी दिक्कतें मौजूद हैं.
युवाओं के लिए इसका मतलब क्या है?
आज की युवा पीढ़ी के लिए आयुष्मान भारत सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा है. अब 70 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को भी इसका लाभ मिलना शुरू हो गया है. अगर बजट में इसे और मजबूती मिलती है, तो आने वाले समय में इलाज को लेकर परिवारों का आर्थिक बोझ काफी कम हो सकता है. सरकार का बढ़ता भरोसा यही दिखाता है कि आयुष्मान भारत आने वाले सालों में और बड़ा रोल निभाने वाला है.
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