एआई से बदल रहा नौकरियों का चेहरा, आईटी सेक्टर में बड़ी हलचल

AI Jobs Transformation: बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट वैश्विक व्यापार तनाव और निवेशकों के भरोसे में कमी के कारण हुई है. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली ने भी बाजार पर दबाव बनाया है.

By Rajeev Kumar | August 2, 2025 9:00 AM

AI Jobs: तेजी से विकसित हो रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तकनीकें अब भारतीय नौकरियों का चेहरा तेजी से बदल रही हैं, खासकर देश के विशाल आईटी सेक्टर में इसने एक बड़ी हलचल पैदा कर दी है। कंपनियां और कर्मचारी दोनों ही इस अभूतपूर्व बदलाव से जूझ रहे हैं, जहां पारंपरिक भूमिकाएं खत्म हो रही हैं और नए कौशल की मांग अचानक बढ़ गई है। बेंगलुरु से लेकर हैदराबाद तक, आईटी हबों में यह चर्चा गर्म है कि कैसे एआई मौजूदा नौकरियों को प्रभावित करेगा और भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करेगा। यह सिर्फ एक तकनीकी अपडेट नहीं, बल्कि काम करने के पूरे तरीके में एक बड़ा परिवर्तन है, जिसका सीधा असर लाखों लोगों के रोजगार पर पड़ रहा है।

एआई का नौकरियों पर बढ़ता प्रभाव

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का तेजी से विस्तार हमारे काम करने के तरीकों और रोजगार के क्षेत्र को बदल रहा है। एआई और रोबोटिक्स की बढ़ती लोकप्रियता के साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या भविष्य में इंसानी नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी। एआई की सबसे बड़ी खासियत स्वचालन है, जिसका अर्थ है कि मशीनें और कंप्यूटर प्रोग्राम मानव कार्यों को बिना थके, तेज़ी से और सटीकता से कर सकते हैं। फैक्ट्री से लेकर ऑफिस तक, बैंकिंग से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, लगभग हर क्षेत्र में एआई का उपयोग हो रहा है।

आईटी सेक्टर में बदलाव की बयार

भारत का आईटी सेक्टर, जिसकी वैल्यू करीब 23 लाख करोड़ रुपये है, अब तक देश के सबसे बड़े संगठित रोजगार देने वालों में रहा है। हालांकि, अब इस सेक्टर में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। आईटी कंपनियों की वृद्धि दर धीमी हुई है, जिसकी वजह महंगाई, भू-राजनीतिक तनाव और क्लाइंट का खर्च कम होना है। कंपनियां अब लागत कम करने और दक्षता बढ़ाने के लिए एआई का उपयोग कर रही हैं। नासकॉम (NASSCOM) ने भी इस बदलाव को आवश्यक बताया है और कहा है कि नई तकनीक के चलते अब पुराने कौशल का महत्व कम हो रहा है, जिससे कंपनियों को कर्मचारियों की संख्या में बदलाव करना पड़ रहा है।

“पहले उद्योग एक पिरामिड जैसा था, जहां नीचे ज्यादा लोग होते थे। अब एआई के कारण यह मॉडल डायमंड जैसा बन रहा है, जहां मिड लेवल पर विशेषज्ञ ज्यादा होंगे और निचले स्तर पर कम।” – परेख जैन, सीईओ, परेख कंसल्टिंग

कौन सी नौकरियां खतरे में?

कई रिपोर्टों के अनुसार, एआई के कारण कुछ पारंपरिक नौकरियों पर संकट गहरा रहा है, खासकर वे जिनमें दोहराव वाले और आसान काम शामिल होते हैं। ServiceNow की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 5 सालों में भारत में तीन मुख्य नौकरियों पर एआई का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा:

  • डेटा एंट्री ऑपरेटर: एआई उपकरण अब सेकंडों में डेटा को स्कैन, इनपुट और प्रोसेस कर सकते हैं, जिससे मानवीय त्रुटि की संभावना खत्म हो जाती है।
  • टेलीकॉलिंग प्रोफेशनल्स: एआई चैटबॉट्स और वॉयस असिस्टेंट 24 घंटे ग्राहक सेवा दे सकते हैं, जिससे टेलीकॉलिंग एजेंट्स की भूमिका न्यूनतम हो जाएगी।
  • बेसिक कस्टमर सर्विस स्टाफ: चैटजीपीटी (ChatGPT) जैसे जेनरेटिव एआई उपकरण अब ग्राहकों को इंसानों की तरह जवाब देने लगे हैं। ईमेल जवाब, सामान्य सवालों के जवाब (FAQ) और टिकट बनाना जैसे काम एआई द्वारा किए जा रहे हैं।

माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) की एक शोध रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि अनुवादक (translators), बिक्री प्रतिनिधि (sales representatives), इतिहासकार (historians), संपादक (editors), पत्रकार (journalists) और कॉपीराइटर (copywriters) जैसी 40 नौकरियां एआई से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं।

बढ़ती छंटनी और कंपनियों की रणनीति

भारत और दुनिया भर की कई कंपनियों ने एआई को अपनाना शुरू कर दिया है, जिससे मानवीय कर्मचारियों की भूमिका कम होती दिख रही है। इस साल अब तक वैश्विक स्तर पर 171 कंपनियों ने कुल 80,250 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है, जिनमें इंटेल (Intel), माइक्रोसॉफ्ट और मेटा (Meta) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। टीसीएस (TCS) ने हाल ही में अपने कर्मचारियों के 2 प्रतिशत यानी 12,000 से ज्यादा मिड और सीनियर मैनेजमेंट कर्मियों को हटाया है। कंपनी का कहना है कि उन्होंने कर्मचारियों को फिर से प्रशिक्षित करने की कोशिश की, लेकिन सिर्फ 2% स्टाफ को ही दोबारा कहीं काम पर लगा पाए। कंपनियों का कहना है कि वे लागत कम करना चाहती हैं, काम तेजी से पूरा करना चाहती हैं और अब तकनीक इतनी स्मार्ट हो गई है कि इंसानों की जरूरत पहले से कम हो गई है।

नए अवसर और आवश्यक कौशल

हालांकि, एआई के आने से कई नई नौकरियां भी पैदा हो रही हैं। ServiceNow की रिपोर्ट में बताया गया है कि एआई उपकरण को मैनेज करने, उनके काम की जांच करने और उनके सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए नई भर्तियां हो सकती हैं। नए एआई इंजीनियरों के लिए मशीन लर्निंग इंजीनियर, कंप्यूटर विजन इंजीनियर, रोबोटिक्स इंजीनियर, डीप लर्निंग स्पेशलिस्ट, क्लाउड एआई इंजीनियर और जेनरेटिव एआई इंजीनियर जैसी उच्च वेतन वाली नौकरियां उपलब्ध हैं। इन क्षेत्रों में करोड़ों रुपये तक का वार्षिक वेतन मिल सकता है। एआई के इस दौर में केवल तकनीकी ज्ञान ही नहीं, बल्कि अनुकूलनशीलता और लगातार सीखने की क्षमता भी आवश्यक हो गई है। कर्मचारियों को अब प्रोग्रामिंग भाषाओं (जैसे पायथन, जावा), बिग डेटा टेक्नोलॉजी, गणित और सांख्यिकी कौशल, सिग्नल प्रोसेसिंग, और प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग जैसे कौशल विकसित करने होंगे। कंपनियों को अब “सीखने की क्षमता” वाले उम्मीदवारों की तलाश है। नासकॉम के अनुसार, उद्योग में अब तक 1. 5 मिलियन (15 लाख) से अधिक पेशेवरों को एआई और जेनरेटिव एआई में प्रशिक्षित किया जा चुका है।

आगे की राह

विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट नहीं, बल्कि एक संरचनात्मक बदलाव है। हर तकनीकी बदलाव के साथ नई भूमिकाएं, नए मूल्य श्रृंखला और नए अवसर सामने आते हैं। भारत के आईटी सेक्टर को इस बदलाव के लिए तैयार रहना होगा। इन्फोसिस (Infosys) जैसी कुछ कंपनियां इस बीच 20,000 फ्रेशर्स को नौकरी देने की योजना बना रही हैं। यह दिखाता है कि कंपनियां नए टैलेंट को मौका दे रही हैं, जो एआई और ऑटोमेशन के साथ काम करने में सक्षम हैं। सरकार और उद्योग को मिलकर ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो कर्मचारियों को नए कौशल सीखने में मदद करें और इस बदलाव के दौरान रोजगार सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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