खाने-पीने की चीजें हुईं महंगी, मगर मार्च में घटी थोक महंगाई

नयी दिल्ली : विनिर्माण वस्तुओं के दाम में नरमी से थोक कीमत सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में घटकर 5.7 फीसदी पर आ गयी. हालांकि, इस दौरान खाद्य वस्तुएं महंगी हुई. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल फरवरी में 6.55 फीसदी थी. पिछले साल मार्च में थोक मुद्रास्फीति में 0.45 फीसदी की गिरावट आयी थी. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 17, 2017 1:46 PM

नयी दिल्ली : विनिर्माण वस्तुओं के दाम में नरमी से थोक कीमत सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में घटकर 5.7 फीसदी पर आ गयी. हालांकि, इस दौरान खाद्य वस्तुएं महंगी हुई. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल फरवरी में 6.55 फीसदी थी. पिछले साल मार्च में थोक मुद्रास्फीति में 0.45 फीसदी की गिरावट आयी थी.

सरकार की ओर से आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमत में मार्च में 3.12 फीसदी की तीव्र वृद्धि हुई, जबकि इससे पूर्व माह में इसमें 2.69 फीसदी की वृद्धि हुई थी. इसका प्रमुख कारण सब्जियों के दाम में उछाल है. सब्जियों की महंगाई दर 5.70 फीसदी रही. फलों के मामले में मुद्रास्फीति 7.62 फीसदी रही. वहीं, अंडा, मांस और मछली की महंगाई दर 3.12 फीसदी रही. ईंधन मुद्रास्फीति आलोच्य महीने में घटकर 18.6 फीसदी रही, जो फरवरी में 21.02 फीसदी थी. विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति में कुछ नरमी दिखी. मार्च में इसकी मुद्रास्फीति 2.99 फीसदी रही, जो इससे पूर्व महीने में 3.66 फीसदी थी.

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सरकार ने जनवरी की मुद्रास्फीति को संशोधित कर 5.53 फीसदी कर दिया है. अस्थायी अनुमान में इसके 5.25 फीसदी रहने की बात कही गयी थी. इस महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दर को लगातार तीसरी द्विमासिक समीक्षा में 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा था. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो 0.25 फीसदी कम कर 6 फीसदी कर दिया. आरबीआई ने 2017-18 की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी और दूसरी छमाही में 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.

पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 3.81 फीसदी पर पहुंच गयी. रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति के आधार पर ही मौद्रिक नीति तय करता है.

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