8th Pay Commission: क्या अब नहीं चलेगा 10 साल का फॉर्मूला? 8वें वेतन आयोग के ToR पर बढ़ी चिंता

8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग के ToR में लागू होने की तारीख न होने से कर्मचारियों और पेंशनरों में चिंता बढ़ गई है. संगठनों का मानना है कि सरकार 10 साल के पारंपरिक वेतन–पेंशन चक्र में बदलाव कर सकती है. इस अस्पष्टता ने विवाद और सवाल दोनों खड़े कर दिए हैं.

By Abhishek Pandey | November 23, 2025 12:08 PM

8th Pay Commission: सरकार ने 3 नवंबर को 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) जारी किए. लेकिन उसके तुरंत बाद एक बड़ा विवाद शुरू हो गया. कर्मचारियों और पेंशनरों के संगठनों का कहना है कि ToR में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं किया गया कि आयोग की सिफारिशें कब से लागू होंगी, जबकि पिछले चार वेतन आयोगों (4th से 7th CPC) में हमेशा 1 जनवरी को प्रभावी तिथि माना गया है. इस अस्पष्टता के चलते यह आशंका बढ़ गई है कि 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू न हो पाए.

कर्मचारी और पेंशनर चिंतित क्यों हैं?

  • 7वें वेतन आयोग की अवधि 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रही है.
  • परंपरा रही है कि हर दस साल पर नया वेतन आयोग 1 जनवरी से लागू होता है.
  • ToR में तारीख का मेंशन ना होना कर्मचारियों और पेंशन संगठनों को संभावित देरी या नीति बदलाव की ओर संकेत लगता है. उनका कहना है कि सिफारिशें देर से आई हों, फिर भी प्रभावी तिथि हमेशा 1 जनवरी ही रखी गई है. अब इस बार तारीख गायब होने से संदेह पैदा हुआ है कि सरकार शायद 10 साल के चक्र में बदलाव चाहती है.
Cabinet approves Terms of Reference of 8th Central Pay Commission

BPS की 7 प्रमुख आपतियां और मांगें

  • ToR में 1 जनवरी 2026 की तिथि स्पष्ट रूप से लिखी जाए, क्योंकि तिथि न होने से अनिश्चितता और भ्रम पैदा होता है.
  • “Unfunded Cost” शब्द हटाया जाए, क्योंकि यह पेंशन को बोझ की तरह दर्शाता है जबकि सुप्रीम कोर्ट पेंशन को एक अधिकार मानता है.
  • सभी पेंशनरों के लिए एक समान पुनरीक्षण फॉर्मूला लागू किया जाए ताकि पुराने और नए पेंशनरों के बीच मौजूद अंतर खत्म हो सके.
  • OPS, NPS और UPS की पूरी समीक्षा की जाए, क्योंकि 2004 के बाद भर्ती हुए लगभग 26 लाख कर्मचारी NPS से नाराज़ हैं और आयोग को तीनों प्रणालियों की अच्छाइयों और कमियों का विश्लेषण कर बेहतर विकल्प सुझाना चाहिए.
  • ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) और स्वायत्त/सांविधिक संस्थानों को 8वें वेतन आयोग के दायरे में शामिल किया जाए, क्योंकि GDS को डाक विभाग की रीढ़ माना जाता है और उन्हें बाहर रखना अनुचित है.
  • तेजी से बढ़ती महंगाई के कारण कर्मचारियों और पेंशनरों को तुरंत राहत देने के लिए कम से कम 20% अंतरिम राहत (IR) प्रदान की जाए.
  • CGHS में सुधार किए जाएं, जिनमें जिला स्तर पर नए CGHS केंद्र खोलना, कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना और लंबित संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू करना शामिल है.

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