नोटबंदी : PM मोदी को मिल रहा अर्थ जगत के दिग्‍गजों का साथ

नयी दिल्‍ली : नरेंद्र मोदी सरकार के 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बैन करने के फैसले के खिलाफ सभी विपक्षी जल एकजुट हो गये हैं. बुधवार से शुरू हुए संसद का शीतकालीन सत्र भी नोट बंदी के नाम रहा. एक ओर सरकार को इस फैसले के बाद जहां विभिन्‍न राजनीतिक दलों का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 17, 2016 2:55 PM

नयी दिल्‍ली : नरेंद्र मोदी सरकार के 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बैन करने के फैसले के खिलाफ सभी विपक्षी जल एकजुट हो गये हैं. बुधवार से शुरू हुए संसद का शीतकालीन सत्र भी नोट बंदी के नाम रहा. एक ओर सरकार को इस फैसले के बाद जहां विभिन्‍न राजनीतिक दलों का जोरदार विरोध झेलना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अर्थशास्‍त्र के जानकार मोदी के इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं. पूर्व कैग और वर्तमान में बैंक्स बोर्ड के चेयरमैन विनोद राय ने 500 और 1000 रुपये के करेंसी नोट को चलन से बाहर करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है.उन्‍होंने कहा कि यह एक साहसिक कदम है और इससे बैंकों के पास पैसा आयेगा.

राय नेएक न्यूज चैनल सेकहा, ‘सबसे अच्छी बात यह है कि अब सभी बेनामी पैसा बैंकिंग सिस्टम के जरिए कन्वर्ट होंगे. यह पैसा बैंकों के पास पहुंचेगा.’ राय ने इसे बैंकों को पूंजी जुटाने के प्लान और बिजनेस स्ट्रैटेजी तैयार करने में मदद की उम्‍मीद भी जतायी है. राय ने कहा कि यह कदम बहुत सोच समझकर लिया गया है. इसके लिए पहले जन धन खाते खोले गये क्योंकि समाज के वंचित तबके और दूर दराज के इलाकों में रहने वाले लोग अपने बैंक आ सकें और अपने खाते में पैसा जमा करा सकें.राय ने कहा, ‘पैसा उनके खाते में जाएगा.’

एचडीएफसी के चेयमैन दीपक पारेख ने नोटबंदी को एक ऐतिहासिक कदम बताया. उन्‍होंने कहा कि मोदी सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है जिसका श्रेय उन्हें मिलना चाहिए. दीपक पारेख ने कहा कि इस कदम से काले धन पर काबू पाया जा सकेगा. भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने नोटबंदी के भारत सरकार के फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि यह निवेश के लिए सकारात्मक कदम होगा. उन्होंने कहा है कि सरकार की इस पहल का परिणाम अवस्फीति होगा. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, ‘हालात को देखते हुए मेरी निजी राय है कि इसके परिणाम अच्छे होंगे.’

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डीसुब्बाराव ने कहा कि इस कदम के संभावित फायदों में यह भी है कि यह निवेश के लिए सकारात्मक है और इससे अवस्फीति होगी. इसके साथ ही बैंक अपने ग्राहकों को नकदी के बजाय आनलाइन लेनदेन को प्रोत्साहित कर सकेंगे. आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर ने भी इस फैसले को ऐतिहासिक कदम बताया. उन्‍होंने कहा कि कुछ दिनों में समस्‍याओं का अंत हो जायेगा. काफी मात्रा में सौ के नोट बाजार में आ गये हैं. ऐसे में लोगों को ज्‍यादा समय तक परेशानी नहीं होगी. बैंकों की स्थिति में भी सुधार होगा.वहीं,वित्तमंत्री अरुण जेटली नेआज कहा किआज शाम तककरीब 22500 एटीएमरिकेलिबरेट हो जायेंगे.जिससे 500 और 2 हजार के नये नोट निकलने शुरू हो जायेंगे. इससे बड़ी राहत होगी.

सवाल भी उठाया:नोट बंद होने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा

विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन ने कहा कि भारत सरकार का 500 और 1,000 का नोट बंद करने का फैसला एक स्मार्ट राजनीतिक कदम है, लेकिन इससे भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा. ‘अधिक नियमन’ वाली अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बढता है. उन्‍होंने कहा कि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से बैंक नोटों को बदलना एक स्मार्ट कदम है. हालांकि, इससे कुछ समय के लिए वाणिज्यिक लेनदेन बंद हो सकता है और अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है.हालांकि, यह भ्रष्टाचार को गहराई से खत्म नहीं कर सकता.

जानी मानी अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रालय की पूर्व प्रधान आर्थिक सलाहकार इला पटनायक ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अचानक 500 और 1,000 का नोट बंद करने के फैसले के कई उद्देश्य हैं. इससे निश्चित रूप से वे लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे जिनके पास नकद में कालाधन है. ‘भ्रष्ट अधिकारी, राजनेता और कई अन्य सोच रहे हैं कि वे इस स्थिति में नकदी से कैसे निपटें.’ हालांकि, इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि मौजूदा ऊंचे मूल्य के नोटों को नये नोटों से बदला जाएगा. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि भ्रष्टाचार में नकदी का इस्तेमाल बंद हो जाएगा.

विपक्षी दलों का विरोध राजनीति से प्रेरित : बायोकॉन प्रमुख

बायोकॉन प्रमुख किरण मजूमदार शॉ ने बड़े नोटों पर पाबंदी के खिलाफ संसद में विपक्षी दलों की एकजुटता को ‘राजनीति विरोध की भावना से प्रेरित’ बताया. साथ ही उन्होंने केंद्र की पहल को ‘बेहतरीन कदम‘ बताया और कहा कि इससे गलत तरीके से की गयी कमाई बाहर आएगी. उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता कुछ और नहीं बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है.’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र को नकदी की कमी से निपटने के लिए अच्छे तरीके से तैयारी करनी चाहिए थी जिसके कारण लोगों को समस्या हो रही है.

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