सुप्रीम कोर्ट ने कहा टाटा लौटाये सिंगूर के किसानों की जमीन, उत्साहित ममता बोलीं बनायेंगे व्यवस्था

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज टाटा के को बड़ा झटका देते हुए पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा के नैनो संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण को उचित ठहराने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में खामियां पाईं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 31, 2016 3:08 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज टाटा के को बड़ा झटका देते हुए पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा के नैनो संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण को उचित ठहराने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में खामियां पाईं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आज से 12 सप्ताह के भीतर किसानों को जमीन लौटाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कलेक्टर ने जमीनों के अधिग्रहण के बारे में किसानों की शिकायतों की उचित तरीके से जांच नहीं की. कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी कंपनी के लिए राज्य द्वारा भूमि का अधिग्रहण सार्वजनिक उद्देश्य के दायरे में नहीं आता.

कोर्ट ने कहा कि भूस्वामियों :कास्तकारों को मिला मुआवजा सरकार को नहीं लौटाया जाएगा, क्योंकि उन्होंने जमीन का दस साल तक इस्तेमाल नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा भूमि अधिग्रहण सार्वजनिक उद्देश्य से नहीं था, हालांकि इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की राय न्यायमूर्ति वी गोपाल गौडा से अलग थी.

पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत किया है और इसपर रणनीति बनाने के लिए गुरुवार को शाम चार बते बैठक बुलाई है. ममता ने कहा, मैं इस फैसले से काफी खुश हूं. यह एक ऐतिहासिक फैसला है. उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि हर कोई इसे सिंगूर उत्सव के रूप में मनायेगा. दुर्गा पूजा के अवसर पर यह एक मंगलाचरण की तरह है. उन्होंने कहा कि इस समय मैं उन लोगों को याद करना चाहती हूं, जिन्होंने इस लड़ाई में अपना बलिदान दिया है.

पूर्व में काफी विवादों के बाद टाटा मोटर्स ने घोषणा की थी कि सिंगूर में संयंत्र में नैनो का निर्माण कार्य स्थगित रखा जायेगा.उस समय के पश्चिम बंगाल के राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी की मध्यस्थता में बातचीत के बाद टाटा के सिंगूर में यह समझौता हुआ था.सिंगूर में जमीन अधिग्रहण के बाद बड़े पैमाने पर विरोध और हिंसा हुई थी. इसी का फायदा ममता बनर्जी को मिला और 2011 में उनकी सरकार पश्चिम बंगाल में बनी.

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