आरबीआई ने की मौद्रिक नीति की समीक्षा, ईएमआई में बदलाव नहीं

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बैंक की सभी नीतिगत दरों को पहले के स्तर पर बनाए रखने की आज घोषणा की. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का खतरा बढा है. नीतिगत घोषणाओं का यह लगातार चौथा मौका है जिसमें आरबीआइ ने मुख्य दरें अपरिवर्तित रखी हैं जबकि उद्योग जगत अर्थव्यवस्था को गति […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 30, 2014 11:39 AM

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बैंक की सभी नीतिगत दरों को पहले के स्तर पर बनाए रखने की आज घोषणा की. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का खतरा बढा है. नीतिगत घोषणाओं का यह लगातार चौथा मौका है जिसमें आरबीआइ ने मुख्य दरें अपरिवर्तित रखी हैं जबकि उद्योग जगत अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ब्याज दरों में कमी किए जाने की मांग कर रहा है. इस समय रिजर्व बैंक की अल्पकालिक ऋण दर (रेपो) 8 प्रतिशत और आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) 4 प्रतिशत पर है.

सांविधिक नकदी अनुपात (एसएलआर) 22 प्रतिशत है. बैंकों के अपने पास जमा राशियों का सीआरआर के बराबर हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है जिस पर उन्हें ब्याज नहीं मिलता. एसएलआर जमा राशियों का वह हिस्सा है जिसें बैंकों को सरकारी विशेष प्रकार की प्रतिभूतिभूतियों के रप में रखना अनिवार्य है.नीतिगत दरों के मामले में यथास्थिति बनाए रखने के औचित्य के बारे में राजन ने कहा कि हालांकि थोकमूल्य आधारित सूचकांक में गिरावट हुई है और यह जनवरी 2015 तक इसे 8 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य के अनुरुप है.

उन्होंने कहा कि मानसून का पूरा प्रभाव दिखने से खाद्य कीमतों की ओर से झटका लगने का खतरा है और भू-राजनैतिक घटनाक्रमों से भी झटके का जोखिम है जो बहुत तेजी से असर कर सकता है. उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति के संबंध में कुछ ‘अनिश्चितताएं’ हैं लेकिन जनवरी 2016 तक छह प्रतिशत की खुदरा मुद्रास्फीति का लक्ष्य प्राप्त करना संभव है. राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक की ‘भावी नीतिगत पहल, जनवरी 2016 तक 6 मंहगाई दर को प्रतिशत तक सीमित रखने के मध्यम अवधि लक्ष्य के मुकाबले आरबीआई के मुद्रास्फीतिक अनुमान से प्रभावित होगी. साथ ही यह आगे आने वाले आंकडों से भी प्रभावित होगी. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि का अनुमान भी 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा.

केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि 2015-16 में वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत होगी. आरबीआइ की नीतिगत घोषणाओं का स्थानीय शेयर बाजारों पर कोई खास असर नहीं दिखा और बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 26,626 पर चल रहा है. थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 3.74 प्रतिशत पर आ गयी जबकि खुदरा मुद्रास्फीति 7.8 प्रतिशत रही. राजन ने कहा, मुद्रा स्फीति का जोखिम अब भी उंचा है हालांकि यह मौद्रिक नीति की पिछली समीक्षा की तुलना में कम हुआ है. इसलिए यदि कोई जोखिम सामने आता है कि उसके दबाव से निपटने के लिए नीतिगत रुप से तैयार रहने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और विदेशी विनिमय दर की स्थिरता से मुद्रास्फीति के जोखिम पर कुछ अंकुशल लगेगा.

आर्थिक वृद्धि के संबंध में राजन ने कहा कि दूसरी और तीसरी तिमाही की वृद्धि दर पहली तिमाही के मुकाबले कम रहेगी लेकिन चौथी तिमाही ज्यादा आशाजनक दिखती है. राजन ने यह भी कहा कि प्रस्तावित छोटे बैंकों और भुगतान बैंकों के लाइसें के बारे में अंतिम दिशानिर्देश नवंबर के आखिर तक जारी कर दिए जाएंगे. गैर बैंकिंग फिनांस कंपनी के लिए नियामकीय ढांचे में बदलाव संबंधी अंतिम मानदंड अक्तूबर के आखिर तक पेश किए जाएंगे. बैंकों को निर्यात ऋण पुनर्वित्त (ईसीआर) सुविधा के तहत प्रदान की जाने वाली उधार की सुविधा बाकया निर्यात रिण के 32 प्रतिशत के मुकाबले घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है. नयी व्यवस्था 10 अक्तूबर से प्रभावी होगी. आरबीआइ ने हालांकि नकदी समायोजन सुविधा के तहत एक दिन, सात दिन और 14 दिन की रेपो सुविधा की शर्तों में बदलाव नहीं किये है.

मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें

1. अल्पकालिक ऋण पर ब्याज दर (रेपो दर) 8 प्रतिशत पर अपरिवर्तित.

2. आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) 4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित.

3. सांविधिक नकदी अनुपात (एसएलआर) 22 प्रतिशत पर बरकरार.

4. जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान

5. पहली तिमाही की आर्थिक वृद्धि की दर में तेजी हो सकता है दूसरी और तीसरी तिमाही में न दिखे.

6. चौथी तिमाही की संभावनाएं आशाजनक लगती है

7. खुदरा मुद्रास्फीति के लिए जनवरी 2015 तक आठ प्रतिशत और जनवरी 2016 तक 6 प्रतिशत का लक्ष्य

8. निर्यात रिण पुनर्वित्तीकरण :ईसीआर: के तहत नकदी की सुविधा 32 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत की गयी.

9. छोटे और भुगतान बैंकों के लाइसेंस के बारे में दिशानिर्देश नवंबर के अंत तक

10. मौद्रिक नीति की अगली द्वैमासिक समीक्षा 2 दिसंबर को.

Next Article

Exit mobile version