जनवरी में दाल-सब्जी समेत खाने-पीने की चीजें हुईं महंगी, खुदरा महंगाई दर छह साल के उच्चस्तर पर

नयी दिल्ली : सब्जी, दालें और मांस, मछली जैसे खाने-पीने की चीजें महंगी होने से खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 7.59 फीसदी पर पहुंच गयी. यह इसका साढ़े पांच साल का उच्चस्तर है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में 7.35 फीसदी रही थी. वहीं, पिछले साल जनवरी महीने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 12, 2020 9:02 PM

नयी दिल्ली : सब्जी, दालें और मांस, मछली जैसे खाने-पीने की चीजें महंगी होने से खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 7.59 फीसदी पर पहुंच गयी. यह इसका साढ़े पांच साल का उच्चस्तर है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में 7.35 फीसदी रही थी. वहीं, पिछले साल जनवरी महीने में यह 1.97 फीसदी थी. इससे पहले, मई 2014 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 8.33 फीसदी थी.

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति में यदि खाद्य मुद्रास्फीति की बात की जाये, तो जनवरी, 2020 में यह 13.63 फीसदी रही, जबकि एक महीने पहले दिसंबर, 2019 में यह 14.19 फीसदी थी. हालांकि, जनवरी 2019 में इसमें 2.24 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी.

सब्जियों के मामले में महंगाई दर सालाना आधार पर इस साल जनवरी में उछलकर 50.19 फीसदी हो गयी, जबकि दलहन और उससे बने उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 16.71 फीसदी रही. मांस और मछली जैसे अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की महंगाई दर आलोच्य महीने में बढ़कर 10.50 फीसदी रही, जबकि अंडे के मूल्य में 10.41 फीसदी का उछाल आया.

आंकड़े के अनुसार, खाद्य और पेय पदार्थ श्रेणी में महंगाई दर 11.79 फीसदी रही. मकान जनवरी 2020 में 4.20 फीसदी महंगे हुए, जबकि ईंधन और प्रकाश श्रेणी में मुद्रास्फीति 3.66 फीसदी रही. इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि विभिन्न श्रेणियों में दामों में तेजी को देखते हुए खाद्य मुद्रास्फीति चिंताजनक है. प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ के दाम ऊंचे बने रहने की आशंका है.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, मुख्य मुद्रास्फीति का इस साल जनवरी में 4.1 फीसदी पर रहना भी चिंता का कारण है. नायर ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि के बावजूद रिजर्व बैंक का मौद्रिक नीति को लेकर रुख नरम रहने की संभावना है. यह स्थिति तब तक रह सकती है, जब तक मौद्रिक नीति समिति यह नहीं देखती है कि उत्पादन अंतर नकारात्मक हो गया है.

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (मुद्रा) राहुल गुप्ता ने कहा कि यह लगातार दूसरा महीना है, जब खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के मुद्रास्फीति लक्ष्य के दायरे से ऊपर निकल गयी है. अगर मुद्रास्फीति लगातार 6 फीसदी से ऊपर बनी रहती है, हमें नहीं लगता कि रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती करेगा. रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में ऊंची मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया.

Next Article

Exit mobile version