बड़े बैंक अधिकारियों पर बिना सीवीसी बोर्ड की मंजूरी नहीं हो सकती कार्रवाई

नयी दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की समिति की मंजूरी के बिना संदिग्ध धोखाधड़ी मामले में शामिल शीर्ष बैंक अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती. इस समिति का गठन सीवीसी ने बुधवार को किया. आयोग ने बैंक तथा वित्तीय धोखाधड़ी के अरोपों की जांच के संबंध में निर्णय के लिए […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 15, 2020 9:51 PM

नयी दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की समिति की मंजूरी के बिना संदिग्ध धोखाधड़ी मामले में शामिल शीर्ष बैंक अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती. इस समिति का गठन सीवीसी ने बुधवार को किया. आयोग ने बैंक तथा वित्तीय धोखाधड़ी के अरोपों की जांच के संबंध में निर्णय के लिए पांच सदस्यीय परामर्श बोर्ड बनाया है. यह बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के महाप्रबंधक (जीएम) और उससे ऊपर के अधिकारियों के मामले में पहले स्तर की जांच का कार्य करेगा.

सीवीसी की ओर से जारी आदेश के अनुसार, बैंक तथा वित्तीय धोखाधड़ी के लिए परामर्श बोर्ड सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और उसके समान संस्थानों के जीएम और उससे ऊपर के अधिकारियों की धोखाधड़ी मामलों में पहले स्तर की जांच के रूप में काम करेगा. यानी ऐसे मामलों में किसी भी संगठन द्वारा जांच शुरू करने से पहले बोर्ड की मंजूरी की जरूरत होगी. यह व्यवस्था 50 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में लागू होगी. आदेश में कहा गया है कि बोर्ड इन शीर्ष अधिकारियों के मामले में संबंधित कानूनों के तहत परामर्श दे सकेगा.

गौरतलब है कि हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक अधिकारियों को आश्वस्त किया था कि ईमानदार वाणिज्यिक निर्णयों के लिए उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. इसके लिए उन्हें संरक्षण दिया जायेगा. सही वाणिज्यिक विफलता और गड़बड़ी के बीच अंतर किया जायेगा. परामर्श बोर्ड के बारे में ब्योरा देते हुए सीवीसी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक तथा वित्तीय संस्थान संदिग्ध धोखाधड़ी के मामले बोर्ड के पास भेजेंगे.

आदेश के अनुसार, आपराधिक जांच शुरू करने से पहले बोर्ड के परामर्श पर उचित प्राधिकरण विचार कर सकता है. सभी प्रशासनिक मंत्रालयों और सरकारी इकाइयों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि 50 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामलों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के जीएम और उससे ऊपर के अधिकारियों के मामले में बोर्ड का परामर्श लिया जाए और यह जांच एजेंसियों के लिए उपलब्ध हों.

जांच एजेंसियां प्रारंभिक जांच के लिए उन परामर्श पर विचार कर सकती हैं और भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988 के तहत उपयुक्त कदम उठा सकती हैं. बोर्ड मामला आने के बाद सामान्य रूप से एक महीने के भीतर अपना सुझाव उस विभाग या इकाई को देगा, जिसने उसे मामले को भेजा है. व्यवस्था में तालमेल को लेकर राज्य सतर्कता आयोग से भी इसी प्रकार की व्यवस्था करने को कहा गया है. पांच सदस्यी बोर्ड के अध्यक्ष पूर्व सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन होंगे.

इसके अलावा, इसमें पूर्व शहरी विकास सचिव मधुसूदन प्रसाद, सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक डीके पाठक और आंध्रा बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुरेश एन पटेल उसके सदस्य सदस्य होंगे. सीवीसी ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र के एक विशेषज्ञ को को बोर्ड में नामित किया जायेगा. चेयरपर्सन और सदस्यों का कार्यकाल दो साल का होगा.

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