जेपी इन्फ्रा के लिए एनबीसीसी और सुरक्षा की बोलियों पर अब एक साथ वोटिंग करेंगे कर्जदाता
नयी दिल्ली : अचल सम्पत्ति विकास कंपनी जेपी इन्फ्राटेक को कर्ज देने वाले बैंक और 23 हजार से अधिक घर खरीदार कर्ज के बोझ तले डूबी इस कंपनी के लिए सरकारी उपक्रम एनबीसीसी और निजी क्षेत्र की सुरक्षा रियल्टी की ओर से प्रस्तुत समाधान योजनाओं पर एक साथ मतदान करेंगे. सूत्रों ने बताया कि दोनों […]
नयी दिल्ली : अचल सम्पत्ति विकास कंपनी जेपी इन्फ्राटेक को कर्ज देने वाले बैंक और 23 हजार से अधिक घर खरीदार कर्ज के बोझ तले डूबी इस कंपनी के लिए सरकारी उपक्रम एनबीसीसी और निजी क्षेत्र की सुरक्षा रियल्टी की ओर से प्रस्तुत समाधान योजनाओं पर एक साथ मतदान करेंगे. सूत्रों ने बताया कि दोनों प्रतिस्पर्धी कंपनियों को शनिवार 11 बजे तक अपनी संशोधित समाधान योजनाएं प्रस्तुत करने को कहा गया है. मतदान 10 दिसंबर को शुरू हो कर 16 दिसंबर तक सम्पन्न होगा. यह निर्णय कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की दिल्ली में हुई एक बैठक में लिया गया.
कर्ज में डूबी जेपी इन्फ्रा की नीलामी के लिए निविदा प्रक्रिया का यह तीसरा दौर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संचालित हो रहा है. सूत्रों के अनुसार, कर्जदाताओं में आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक दोनों बोलीदाताओं की ओर से प्रस्तुत ऋण समाधान योजनओं पर एक साथ मतदान कराए जाने के विरुद्ध थे. उनका कहना था कि पहले सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के (एच1) प्रस्ताव पर वोट कराया जाना चाहिए, लेकिन कर्जदताओं के बीच यह तय नहीं हो सका कि इनमें से किसकी बोली को उच्चतम (एच1) तथा किसको द्वितीय उच्चतम (एच2) माना जाए.
सीओसी में कुल 13 बैंकों और 23,000 घर खरीदारों को वोट देने का अधिकार है. इनमें से घर खरीदारों का संयुक्त मताधिकार 58 फीसदी है. जिस बोली को 66 फीसदी मत मिलेंगे, उसे मंजूरी मिलेगी. वोट में दोनों बोलियों को मंजूरी मिलने की स्थिति में विजेता का निर्धारण वोटों की उच्चतम संख्या के आधार पर होगा. इस मामले में नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) ने खरीदारों की ओर से कंपनी पर 13,000 करोड़ रुपये और बैंकों का 9,800 करोड़ रुपये के दावों को दाखिला किया है.
जयप्रकाश एसोसिएट्स समूह की कंपनी जेपी इन्फ्राटेक से कर्ज की वसूली न हो पाने के कारण आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व में उसे कर्ज देने वाले बैंकों के समूह ने दिवाला कानून के तहत इसके समाधान का मामला दायर किया. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण ने इसे दाखिल कर लिया और कंपनी के खिलाफ ऋण समाधान की कार्रवाई अगस्त, 2017 में चालू हुई. पहले दौर में कर्जदाताओं ने सुरक्षा समूह की कंपनी लक्ष्यद्वीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली को खारिज कर दिया था.
इस साल जून- जुलाई में सुरक्षा रियल्टी की दूसरी बोली भी खारिज कर दी गयी. उसके बाद यह मामला राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) और सुप्रीम कोर्ट तक गया. सुप्रीम कोर्ट ने छह नवंबर को इस मामले को 90 दिन में निपटाने का निर्देश दिया. अदालत ने समाधान पेशेवर को दोनों कंपनियों से एक बार फिर से संशोधित समाधान योजनाएं मंगवाने के निर्देश भी दिये थे.
मुंबई की कंपनी सुरक्षा रियल्टी ने शनिवार को अपनी संशोधित बोली में और सुधार करते हुए कर्जदाताओं को पहले से अधिक जमीन तथा अग्रिम नकद भुगतान करने का प्रस्ताव किया है. कंपनी ने तीन दिसंबर को अपनी आखिरी बोली में कर्जदाताओं को उनके कर्ज के बदले पहले 175 करोड़ रुपये और 2220 एकड़ जमीन के भुगतान की पेशकश की थी. उसे बढ़ाकर उसने 190 करोड़ रुपये और 2275 एकड़ जमीन कर दिया है. एनबीसीसी ने कर्जदाताओं को 1526 एकड़ जमीन देने की पेशकश की है. सूत्रों के अनुसार, सीओसी की बैठक में चर्चा के बाद इन दोनों कंपनियों को शनिवार रात 11 बजे तक अपनी संशोधित योजनाएं बाकायदा प्रस्तुत करने का समय दिया गया है.