”विनिवेश और लाभांश का ऊंचा लक्ष्य सरकारी कंपनियों की वित्तीय साख पर डाल सकता है दबाव”

नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए विनिवेश और लाभांश का ऊंचा लक्ष्य उनकी वित्तीय साख को प्रभावित कर सकता है, लेकिन रेलवे बुनियादी ढांचे में निजी भागीदारी की दिशा में कदम बढ़ाने से कंपनी के लिए अवसर पैदा होंगे. रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को यह बात कही. एसएंडपी ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 8, 2019 6:50 PM

नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए विनिवेश और लाभांश का ऊंचा लक्ष्य उनकी वित्तीय साख को प्रभावित कर सकता है, लेकिन रेलवे बुनियादी ढांचे में निजी भागीदारी की दिशा में कदम बढ़ाने से कंपनी के लिए अवसर पैदा होंगे. रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को यह बात कही. एसएंडपी ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक केंद्र और राज्यों का कुल कर्ज जीडीपी के 67.1 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है. इसके जीडीपी का 6.7 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया गया है.

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एजेंसी ने कहा कि राजकोषीय बाधाओं को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिए विनिवेश और लाभांश का ऊंचा स्तर उनकी वित्तीय साख को प्रभावित कर सकता है. खासकर, उस स्थिति में जब इन नीतिगत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कोई सार्वजनिक इकाई किसी दूसरी इकाई में सरकार की हिस्सेदारी की खरीदी करे या मुक्त पूंजी प्रवाह से ज्यादा लाभांश का भुगतान करे. सरकार ने 2019-20 के आम बजट में 1.05 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है, जबकि उसने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) से 57,487 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में मिलने की उम्मीद रखी है.

एसएंडपी का मानना है कि सरकारी बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के प्रस्ताव से उनकी ऋण देने की वित्तीय क्षेत्र की स्थिति को साधने में मदद मिलेगी. हालांकि, कहीं न कहीं इसका सरकार की वित्तीय स्थिति पर भी दबाव होगा. एस एडंपी का मानना है कि सरकार का निजी क्षेत्र की भागीदारी पर बढ़ता जोर इस बात को परिलक्षित करता है कि उसके पास वित्तीय गुंजाइश कम रह गयी है. एजेंसी ने कहा है कि बजट में प्रस्तावित कुल खर्च में पूंजीगत खर्च 12.1 फीसदी ही रह गया है. यह कुल मिलाकर सब्सिडी पर होने वाले खर्च के बराबर है.

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