WTO की मई में होने वाली बैठक में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों की घोषणा कर सकते हैं 25 सदस्य देश

नयी दिल्ली : विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 25 सदस्य देशों की यहां 13-14 मई को होने वाली बैठक में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बनी सहमति को लेकर घोषणा की जा सकती है. सूत्रों ने बुधवार को यहां कहा कि इन मुद्दों में विकासशील देशों के साथ विशेष और भिन्न बर्ताव व्यवस्था तथा डब्ल्यूटीओ की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 17, 2019 7:45 PM

नयी दिल्ली : विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 25 सदस्य देशों की यहां 13-14 मई को होने वाली बैठक में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बनी सहमति को लेकर घोषणा की जा सकती है. सूत्रों ने बुधवार को यहां कहा कि इन मुद्दों में विकासशील देशों के साथ विशेष और भिन्न बर्ताव व्यवस्था तथा डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान संस्था के अपीलीय निकाय में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर जारी गतिरोध से जुड़े मुद्दे शामिल हो सकते हैं.

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सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा बैठक में मत्स्यपालन सब्सिडी और कृषि में सार्वजनिक भंडारण जैसे मुद्दों पर विचार किया जा सकता है. भारत ने डब्ल्यूटीओ के 25 विकासशील सदस्य देशों की यहां 13-14 मई को बैठक बुलायी है. यह बैठक इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि कई देश जिनेवा स्थित इस वैश्विक व्यापार निकाय के तर्कसंगत होने पर सवाल उठाने लगे हैं.

इसके अलावा, कई देश संरक्षणवादी कदम उठाने लगे हैं, जिससे विश्व व्यापार प्रभावित होने लगा है. एक सूत्र ने कहा कि इस बैठक को बुलाने का मकसद कुछ मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करना है. डब्ल्यूटीओ में सुधारों के तहत अमेरिका चाहता है कि इस तरह के दिशा-निर्देश बनाये जायें, जिससे ऊंची आर्थिक वृद्धि वाले देशों को विशेष और भिन्नता वाले उपायों (एसएंडडी) का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

उसके मुताबिक, यह व्यवस्था केवल विकासशील और गरीब राष्ट्रों के लिए ही है. डब्ल्यूटीओ की एसएंडडी व्यवस्था के तहत विकासशील देशों को कुछ राहत अथवा लाभ दिये गये हैं. उन्हें समझौतों को लागू करने और बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए दूसरे सदस्यों के मुकाबले ज्यादा समय दिया गया है. इसके अलावा, व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ाने को लेकर भी इस तरह के अन्य लाभ दिये गये हैं.

मौजूदा व्यवस्था के तहत कोई भी डब्ल्यूटीओ सदस्य देश अपने को विकासशील देश नामित कर सकता है और इस व्यवसथा का लाभ उठा सकता है. अमेरिका ने इस व्यवसथा पर एतराज जताया है. उसका कहना है कि इस मामले में देशों द्वारा खुद घोषणा करने की व्यवस्था ने डब्ल्यूटीओ को असफलता के रास्ते पर ला दिया है.

इस व्यवस्था से संस्थान अप्रासंगिक होने की तरफ बढ़ रहा है. भारत का इस मामले में कहना है कि मुद्दे पर डब्ल्यूटीओ में विस्तार से बातचीत होनी चाहिए और एस एंड डी व्यवस्था को लेकर आम सहमति आधारित फैसला लिए जाने की जरूरत है. अमेरिका की अड़गेबाजी के कारण डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है.

अमेरिका ने विवाद निपटान प्रणाली की अपीलीय संस्था में नये सदस्यों की नियुक्ति में अवरोध खड़ा किया हुआ है. अपीलीय अधिकरण में विवाद निपटान समिति के फैसलों के खिलाफ अपील की जा सकती है. विवाद निपटान प्रणाली डब्ल्यूटीओ की महत्वपूर्ण संस्था है. इसमें सदस्य देशों के बीच पैदा होने वाले व्यापार विवादों का निपटारा किया जाता है.

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