Raymond Group के पूर्व चेयरमैन सिंघानिया की ऑटोबायोग्राफी के प्रकाशन पर 13 मार्च तक लगी रोक

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेमंड ग्रुप के पूर्व चेयरमैन विजयपत सिंघानिया को अपनी आत्मकथा के प्रकाशन से 13 मार्च तक रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति एसके शिंदे की एकल पीठ ने 20 फरवरी को दिये अंतरिम आदेश में मामले की अगली सुनवाई तक आत्मकथा के प्रकाशन पर रोक लगायी है. अगली सुनवाई 13 मार्च […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2019 5:08 PM

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेमंड ग्रुप के पूर्व चेयरमैन विजयपत सिंघानिया को अपनी आत्मकथा के प्रकाशन से 13 मार्च तक रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति एसके शिंदे की एकल पीठ ने 20 फरवरी को दिये अंतरिम आदेश में मामले की अगली सुनवाई तक आत्मकथा के प्रकाशन पर रोक लगायी है. अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी.

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पीठ सिंघानिया के एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी. सिंघानिया ने रेमंड लिमिटेड द्वारा ठाणे जिला अदालत में उनके खिलाफ दायर मामले को स्थानांतरित करने का आवेदन दिया था. उल्लेखनीय है कि सिंघानिया ‘दी इनकंपलीट मैन’ नाम से आत्मकथा प्रकाशित करने वाले हैं.

गौरतलब है कि रेमंड ग्रुप के चेयरमैन पद से पिछले साल नवंबर महीने में इस्तीफा देने वाले गौतम सिंघानिया की अपने पिता विजयपत सिंघानिया से लंबे समय से कलह चल रही है. अक्टूबर, 2018 में ही जब विजयपत सिंघानिया से रेमंड ग्रुप के अवकाशप्राप्त चेयरमैन की पदवी छीन ली गयी थी, तो दोनों के बीच की कलह फिर सुर्खियों में आ गयी थी. विजयपत सिंघानिया पिछले कुछ समय से बेटे पर एक-एक पैसे के लिए मोहताज बनाने का आरोप लगाते रहे हैं.

दरअसल, यह मामला वर्ष 2015 में तब शुरू हुआ, जब विजयपत सिंघानिया ने कंपनी का नियंत्रण और अपने सारे शेयर बेटे गौतम सिंघानिया के नाम कर दिये थे. इन शेयरों की कीमत उस वक्त 1000 करोड़ रुपये थी. इसके कुछ समय बाद विजयपत ने कहना शुरू किया कि बेटे ने आर्थिक बदहाली की स्थिति में छोड़ दिया है. यहां तक की उनकी गाड़ी और ड्राइवर भी छिन लिये गये हैं.

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