मूडीज की रिपोर्ट : भारत में कम टैक्स आैर खर्च ज्यादा, चालू वित्त वर्ष में बढ़ेगा बजट घाटा, आगामी वर्षों में सुधरेगा

नयी दिल्ली : अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने यह अनुमान लगाया है कि कम कर और ऊंचे सार्वजनिक खर्च की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का बजट घाटा बढ़ सकता है. मूडीज का कहना है कि कर दायरा बढ़ने तथा खर्च में दक्षता से आगे चलकर इसे कम करने में मदद मिलेगी. मूडीज […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 20, 2017 9:31 AM

नयी दिल्ली : अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने यह अनुमान लगाया है कि कम कर और ऊंचे सार्वजनिक खर्च की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का बजट घाटा बढ़ सकता है. मूडीज का कहना है कि कर दायरा बढ़ने तथा खर्च में दक्षता से आगे चलकर इसे कम करने में मदद मिलेगी. मूडीज इंवेस्टर सर्विस के उपाध्यक्ष (सॉवरेन जोखिम समूह) विलियम फॉस्टर ने मीडिया साक्षात्कार में कहा कि एजेंसी का मानना है कि राजकोषीय मजबूती को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता कायम है. सतत वृद्धि से ऋण के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी.

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मूडीज ने पिछले सप्ताह भारत की सॉवरेन रेटिंग 13 साल में पहली बार बढ़ायी है. मूडीज ने कहा कि आर्थिक और संस्थागत सुधारों की वजह से भारत की वृद्धि की संभावनाएं सुधरी हैं. फॉस्टर ने कहा कि रेटिंग उन्नयन से पता चलता है कि आर्थिक और संस्थागत सुधारों से भारत की वृद्धि की संभावनाएं बढ़ेंगी. इससे सरकार के ऋण का वित्तीय आधार स्थिर हो सकेगा. इससे मध्यम अवधि में सरकार के सामान्य कर्ज के बोझ में धीरे-धीरे कमी आयेगी.

बजट घाटा जीडीपी के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान

फॉस्टर ने कहा कि हमारा अनुमान है कि सरकार का बजट घाटा इस वित्त वर्ष में जीडीपी के 6.5 प्रतिशत पर रहेगा. यह इससे पिछले दो वित्त वर्षों के समान है. बजट योजना की तुलना में सरकार का राजस्व कम रहने और सरकार का खर्च कुछ अधिक रहने से बजट घाटा लक्ष्य से अधिक रह सकता है. समय के साथ कर दायरा बढ़ाने के प्रयास तथा सरकारी खर्च की दक्षता में सुधार से घाटे को धीरे-धीरे कम करने में मदद मिलेगी. सामान्य बजट घाटे से तात्पर्य केंद्र और राज्यों द्वारा किये जाने वाले खर्च और राजस्व का अंतर होता है. उन्होंने कहा कि यदि बैंकिंग प्रणाली की सेहत में उल्लेखनीय गिरावट आती है, तो रेटिंग के नीचे की ओर आने का दबाव पड़ सकता है.

नवंबर में 4.5 फीसदी बढ़ सकती है खुदरा महंगाई

खुदरा मुद्रास्फीति का नवंबर में चार प्रतिशत का आंकड़ा पार कर सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि सब्जियों व तेल की कीमत में बढ़ोतरी के कारण ऐसा होगा. खुदरा मुद्रास्फीति ने पिछले सात महीने के सबसे ऊंची छलांग अक्तूबर में लगायी थी. अक्तूबर में यह 3.58 प्रतिशत पहुंचच गया था. वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता नोमुरा के अनुसार सब्जी और तेल की कीमतों में वृद्धि से यह आरबीआइ द्वारा निर्धारित 4 प्रतिशत के लक्ष्य को पार कर सकता है. साथ ही यह स्थितर रहेगा.

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