पीएम मोदी के चार अहम फैसलों से विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता में सुधरी भारत की रैकिंग

नयी दिल्लीः विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता में मोदी सरकार को बड़ी राहत देने का काम किया है. भारत ने विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट रैंकिंग में लंबी छलांग लगायी है. देश की रैंकिंग 30 पायदान सुधरकर 100वें स्थान पर पहुंच गयी है. इस बीच, गौर करने वाली बात यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 1, 2017 10:07 AM

नयी दिल्लीः विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता में मोदी सरकार को बड़ी राहत देने का काम किया है. भारत ने विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट रैंकिंग में लंबी छलांग लगायी है. देश की रैंकिंग 30 पायदान सुधरकर 100वें स्थान पर पहुंच गयी है. इस बीच, गौर करने वाली बात यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार अहम फैसलों ने विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता की रैंकिंग सुधारने में अहम योगदान दिया है. विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में पीएम मोदी के इन चार फैसलों का खास तौर पर जिक्र किया है और इन्हें व्यापार सुगमता के लिए अहम माना है.

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स्पाइस फॉर्म जारी करना

विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार ने कारोबारियों के लिए व्यापार आसान करने के लिए अलग-अलग फॉर्म्स की संख्या घटायी है. व्यापार निगमन के लिए सरकार ने स्पाइस फॉर्म जारी किया. इसके साथ, पैन को भी क्रमबद्ध कर दिया.

दिवालिया कानून लागू करना

विश्व बैंक ने सरकार के दिवालिया कानून लाने की तारीफ भी की है. बैंक ने कहा है कि भारत सरकार ने दिवालिया कानून में संशोधन कर ना सिर्फ लोन लेने वालों की राह आसान की है. इसके साथ ही, इस कानून के जरिये सरकार ने कॉरपोरेट कर्ज (कर्जदार कारोबारी) के लिए भी पुनगर्ठन प्रक्रिया पेश की है.

टैक्स प्रणाली में सुधार

विश्व बैंक ने मोदी सरकार की तरफ से टैक्स सुधार के लिए उठाये गये कदमों की भी सराहना की है. बैंक ने पीएफ फंड का भुगतान करने के लिए ऑनलाइन माध्यम शुरू करने के फैसले को सराहा है. इसके साथ ही, वैश्विक संस्था ने कर सुधार के लिए सरकार की तरफ से उठाये गये अलग-अलग कदमों की भी तारीफ की है.

बैंकों का एनपीए कम करने की दिशा में अहम कदम

बैंकों के ऊपर पड़े गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों ने भी भारत की रैंकिंग सुधारने में मदद की है. विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल का गठन करने के बाद एनपीए की संख्या 28 फीसदी कम हुई है. इसके साथ ही, केंद्र सरकार ने बड़ी रकम के लोन पर लगने वाले ब्याज दर में भी राहत दी है. इसके जरिये सरकार ने कर्ज की त्वरित वसूली करने के लिए एक व्यवस्था सुनिश्चित की है.

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