हिंदू स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी सहित बेरहम हत्या, बेटे पुलिस में फिर सुरक्षित नहीं, बांग्लादेश में हिंसा की इंतेहा

Bangladesh Hindu Freedom Fighter and wife murdered: बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम (मुक्ति युद्ध) के एक स्वतंत्रता सेनानी और उनकी पत्नी मृत पाए गए. रविवार को उनके गले कटे हुए शव बरामद किए गए. उत्तरी रंगपुर इलाके में 75 वर्षीय जोगेश चंद्र रॉय और उनकी 60 वर्षीय पत्नी सुवर्णा रॉय की रविवार भोर में उनके ही घर में बेरहमी से गला काटकर हत्या कर दी गई.

By Anant Narayan Shukla | December 9, 2025 7:14 AM

Bangladesh Hindu Freedom Fighter and wife murdered: बांग्लादेश में हिंसा की स्थिति दिन प्रतिदिन और बदतर होती जा रही है. मोहम्मद यूनुस के शासन वाले वर्तमान बांग्लादेश के रंगपुर जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां 1971 के मुक्ति संग्राम (मुक्ति युद्ध) के एक स्वतंत्रता सेनानी और उनकी पत्नी मृत पाए गए. रविवार को उनके गले कटे हुए शव बरामद किए गए. उत्तरी रंगपुर इलाके में 75 वर्षीय जोगेश चंद्र रॉय और उनकी 60 वर्षीय पत्नी सुवर्णा रॉय की रविवार भोर में उनके ही घर में बेरहमी से गला काटकर हत्या कर दी गई. रविवार सुबह लगभग 7:30 बजे पड़ोसियों और घरेलू सहायता कर्मियों ने कई बार दरवाजा खटखटाने पर भी खुलवाने में असफल रहे. इसके बाद एक सीढ़ी की मदद से मुख्य गेट पार कर घर में प्रवेश किया गया, जहां दोनों के शव मिले.  इसके बाद उन्हें दोनों के शव मिले.

ढाका स्थित दैनिक प्रथम बांग्ला के मुताबिक, जोगेश चंद्र रॉय और उनकी पत्नी सुवर्णा रॉय के शव रविवार को रंगपुर जिले के उत्तरी हिस्से कुरशा के उत्तर रहीमापुर इलाके स्थित उनके घर से मिले. सुवर्णा रॉय का शव रसोई में और जोगेश चंद्र रॉय का शव भोजन कक्ष में मिला. दोनों के गले कटे हुए थे. जोगेश चंद्र रॉय 1971 के मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे और बाद में प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत रहे. वे वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त हुए थे. दंपती के दो बेटे हैं. हालांकि दोनों अपने पैतृक घर में अकेले रहते थे. उनके दोनों बेटे शोवेन चंद्र रॉय और राजेश खन्ना चंद्र रॉय, बांग्लादेश पुलिस में कार्यरत हैं. एक की तैनाती जॉयपुरहाट में है और दूसरे की ढाका में.

जनता में रोष, भारत सरकार ने उठाया मामला

इस निर्मम हत्या से पूरे गांव और स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी संगठनों में रोष व्याप्त है. ग्रामीणों ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है तथा चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वे विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आएंगे. अगस्त 2025 में, भारत के विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा का मुद्दा उठाया था. उन्होंने संसद को बताया था कि भारत सरकार ने 2021 से अब तक बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 3,582 मामलों को चिन्हित किया है.

उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने इस मामले को बांग्लादेश सरकार के समक्ष, उच्चतम स्तरों पर भी, उठाया है और उम्मीद जताई है कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी.” मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने रिपोर्ट किया था कि जुलाई में रंगपुर जिले में हिंदुओं के कम से कम 14 घरों को भीड़ द्वारा नुकसान पहुंचाया गया था.

रविवार आधी रात के करीब वारदात

पुलिस जांच में यह सामने आया है कि हमला रविवार रात लगभग एक बजे के आसपास हुआ. सूचना मिलते ही तारागंज थाने के अधिकारी, जिला प्रशासन के प्रतिनिधि और अन्य वरिष्ठ पुलिसकर्मी घटना स्थल पर पहुंच गए. मौके पर फोरेंसिक विशेषज्ञों और जांच अधिकारियों को भी लगा दिया गया है. दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. फिलहाल न तो कोई प्राथमिकी दर्ज हुई है और न ही किसी संदिग्ध की पहचान हो सकी है. पुलिस के अनुसार, इस हिंदू परिवार का पहले किसी विवाद में शामिल होने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है. जांच कई संभावित कोणों से जारी है.

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू

इस बीच, अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने इस दोहरे हत्याकांड को जोर शोर से उठाया है. उन्होंने इसके लिए अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस और उनके समर्थक बताए जाने वाले ‘मुक्ति-विरोधी जमात-ए-इस्लामी’ को जिम्मेदार ठहराया है. आवामी लीग ने आरोप लगाया कि यूनुस के प्रशासन में स्वतंत्रता संग्राम के वीरों और उनके परिवारों को निशाना बनाने वाली घटनाएं बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि जमात-ए-इस्लामी के प्रभाव वाली वर्तमान अंतरिम सरकार न केवल मुक्ति योद्धाओं का अपमान कर रही है बल्कि उनकी हत्या तक हो रही है.

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