इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मामले को आज उस समय बडा झटका लगा जब मामले की सुनवाई कर रही तीन सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश ने स्वयं को सुनवाई से अलग कर लिया. जस्टिस फैसल अरब ने पूर्व सैन्य तानाशाह के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का बार-बार आरोप लगाए जाने के बाद यह कदम उठाया.70 वर्षीय मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मामले की सुनवाई कर रही पीठ का नेतृत्व कर रहे जस्टिस फैसल अरब ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. मुशर्रफ के वकील अहमद रजा कसूरी ने विशेष अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ देर आए दुरस्त आए. मुझे खुशी है कि उनका :जस्टिस अरब: जमीर आखिकार जाग गया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ फैसल अरब ने कहा कि वह खुद को मामले से अलग कर रहे हैं. देश में न्यायाधीशों की कमी नहीं है. ’’ सिंध हाई कोर्ट के जस्टिस अरब के अलावा ब्लूचिस्तान हाई कोर्ट की जस्टिस ताहिरा सफदर और लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिस यावर अली इस विशेष अदालत का हिस्सा हैं.यह अभी स्पष्ट नहीं है कि सरकार नई पीठ का गठन करेगी या शेष दो न्यायाधीशों में से किसी एक को पीठ का नेतृत्व सौंपा जाएगा और मामले की सुनवाई की जाएगी. यह भी अनिश्चित है कि मुशर्रफ 31 मार्च को अदालत के समक्ष पेश होंगे या नहीं. मुशर्रफ को इस दिन के लिए समन जारी किया गया है. अदालत ने मुशर्रफ को गैर जमानती वारंट भी जारी किया था. यदि मुशर्रफ अपनी इच्छा से अदालत के समक्ष पेश नहीं होते हैं तो यह वारंट लागू हो जाएगा.
कसूरी ने कहा, ‘‘ वारंट कायम नहीं हो सकता है. वारंट जारी करने वाली अदालत अब अस्तित्व में नहीं है.’’ मुशर्रफ के एक अन्य वकील अनवर मंसूर ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत ने यह स्वीकार किया है कि उनके मुवक्किल को सुरक्षा संबंधी खतरा है लेकिन इसके बावजूद वारंट जारी कर दिया गया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मामले की सुनवाई हो रही है, वह उससे संतुष्ट नहीं हैं.जस्टिस अरब ने कहा कि यदि बचाव पक्ष के वकील सोचते हैं कि न्यायाधीश निष्पक्ष नहीं हैं तो वह खुद को पीठ से अलग करते हैं. बचाव पक्ष ने पीठ और अभियोजन पक्ष की टीम पर पक्षपात करने का आरोप पहली बार नहीं लगाया है. उन्होंने पीठ की वैधता को चुनौती देते हुए और उस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कई याचिकाएं दायर की हैं.