एशिया पैसिफिक ग्रुप के टास्ट फोर्स की रिपोर्ट जारी, आतंकवाद पर गंभीर नहीं पाक

इस महीने की शुरुआत में एशिया पैसिफिक ग्रुप के टास्ट फोर्स ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकियों के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पाकिस्तान द्वारा उठाये गये कदम उत्साहजनक नहीं हैं. इस समस्या से निबटने के लिए उसने 40 में से महज एक ही उपाय को लागू […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 20, 2019 2:08 AM

इस महीने की शुरुआत में एशिया पैसिफिक ग्रुप के टास्ट फोर्स ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकियों के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पाकिस्तान द्वारा उठाये गये कदम उत्साहजनक नहीं हैं. इस समस्या से निबटने के लिए उसने 40 में से महज एक ही उपाय को लागू किया है.

बाकी के 39 उपायों को या तो उसने आंशिक तौर पर लागू किया है या फिर उसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है. आतंकियों को मिलने वाले पैसे पर रोक लगाने के लिए इसने किसी प्रकार का संस्थागत बदलाव नहीं किया है. वे संस्थाएं अन्य नाम से आज भी अपना काम कर रही हैं.
क्यों होता है कोई देश ग्रे या ब्लैकलिस्ट में शामिल
जब एफएटीएफ को ऐसा लगता है कि कोई देश आतंकियों को धन मुहैया करा रहा है और मनी लॉन्ड्रिंग का सुरक्षित पनाहगार बना हुआ है, तब एफएटीएफ उस देश को ग्रे लिस्ट में डाल देता है. इस सूची में डालने का अर्थ, संबंधित देश को यह चेतावनी देना है कि वह उपर्युक्त मामले पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कार्रवाई करे.
हालांकि, ग्रे लिस्ट में डाला जाना ब्लैकलिस्ट में डाले जाने से कम गंभीर मामला होता है. इसके बाद भी अगर वह देश आतंकियों को धन मुहैया कराने या मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों पर सक्रियता से कार्रवाई नहीं करता है, तो उसे ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जाता है. अभी तक सिर्फ ईरान और उत्तर कोरिया को ही ब्लैक लिस्ट में डाला गया है.
पाक प्रायोजित आतंकवाद का शिकार है भारत
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद वर्षों से भारत के लिए चिंता का सबब है. इस मसले का हल निकालने के लिए पाकिस्तान की किसी भी सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. इसी कारण एफएटीएफ के प्लेनरी सत्र में ब्रिटेन, जर्मनी व फ्रांस समेत अनेक देशों ने बार-बार पाकिस्तान से इस मसले से निबटने को कहा है. अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में शामिल हो जाता है, तो इमरान खान सरकार पर यह दबाव बनेगा कि वह आतंकी वित्त पोषण के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे.
अलगाववादियों पर एनआइए ने दाखिल किया आरोप पत्र
इसी महीने की चार तारीख को एनआइए ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के एनआइए स्पेशल कोर्ट में 2017 के टेरर फंडिंग मामले में में अपना दूसरा पूरक आरोप पत्र दाखिल किया है. इसमें यासीन मलिक, आसिया अंद्राबी, मसारत आलम समेत अनेक अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आरोप लगाये गये हैं.
टेरर फंडिंग यानी आतंकी वित्त पोषण के मामले में यह दूसरा आरोप पत्र दाखिल किया गया है. आरोप पत्र में एनआइए ने नये दस्तावेजी साक्ष्य के साथ उपरोक्त लोगों के खिलाफ डिजिटल साक्ष्य भी प्रस्तुत किया है. एनआइए ने आरोपियों पर सीमा पार लोगों के साथ संपर्क के आरोप भी लगाये हैं.
यासीन मलिक : यासीन मलिक व शब्बीर अहमद शाह पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान व दूसरे देशों से धन एकत्रित किया. यासीन मलिक ने 2016 में कश्मीर घाटी में हिंसक आंदोलन का नेतृत्व किया. गिलानी के साथ प्रोटेस्ट कैलेंडर जारी करने में मलिक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. मलिक ने पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ अधिकारियों से बातचीत भी की.
मसारत आलम : एनआइए ने मसारत आलम को पत्थरबाजों का सरगना बताया. वर्ष 2010 में पत्थरबाजों की रैलियों के बीच समन्वय बिठाने में उसने काफी सक्रियता दिखायी. इसके लिए उसने सैयद अली शाह गिलानी से निर्देश लिया.
आसिया अंद्राबी : आसिया अंद्राबी ने अपने प्रतिबंधित संगठन दुख्तारन-ए-मिलत के लिए संदिग्ध स्रोतों (ज्यादातर विदेशी) से धन और दान हासिल किया. आसिया और इंजीनियर रशीद के पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से संबंध हैं.

Next Article

Exit mobile version