चार महीने में उच्चतम स्तर पर तेल के दाम

सऊदी अरब स्थित विश्व के सबसे बड़े पेट्रोलियम शोधन संयंत्र को ड्रोन हमले से बड़ा नुकसान हुआ है. उत्पादन में आयी गिरावट की वजह से तेल के दाम चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गये हैं. जरूरत पर उत्पादन की अतिरिक्त क्षमता (स्पेयर कैपेसिटी) नहीं होने के कारण, भविष्य में इस तरह के व्यवधानों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 19, 2019 7:21 AM
सऊदी अरब स्थित विश्व के सबसे बड़े पेट्रोलियम शोधन संयंत्र को ड्रोन हमले से बड़ा नुकसान हुआ है. उत्पादन में आयी गिरावट की वजह से तेल के दाम चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गये हैं. जरूरत पर उत्पादन की अतिरिक्त क्षमता (स्पेयर कैपेसिटी) नहीं होने के कारण, भविष्य में इस तरह के व्यवधानों से ईंधन के दाम में और वृद्धि होने की संभावना है. तेल आपूर्ति और स्पेयर कैपेसिटी के प्रभाव से जुड़े कुछ तथ्य…
हमले के कारण सऊदी अरब के प्रतिदिन के तेल उत्पादन में कमी आयी है. इस हमले ने आपातकालीन स्थिति में सऊदी अरब के दो मिलियन बैरल प्रतिदिन के अतिरिक्त तेल उत्पादन क्षमता (स्पेयर ऑयल प्रोडक्शन कैपेसिटी) के इस्तेमाल पर भी रोक लगादी है.
सऊदी अरब, अमेरिका और चीन तीनों के पास सैकड़ों मिलियन बैरल तेल का प्रचुर भंडारण है. इस तरह की आपात स्थिति के लिए ही सरकारें ये भंडारण करती हैं, ताकि आपूर्ति में होनेवाली अप्रत्याशित कटौती की भरपाई की जा सके.
ईरान के पास स्पेयर कैपेसिटी है, लेकिन अमेरिकी सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबंध के कारण उसके तेल को बाजार नहीं मिल सकता है.
सऊदी अरब वर्षों तक अकेला ऐसा प्रमुख तेल उत्पादक देश रहा है, जिसके पास बड़े पैमाने पर स्पेयर कैपेसिटी रही है. ताकि युद्ध या प्राकृतिक आपदा के कारण आपूर्ति में किसी प्रकार की कमी आने पर उसकी भरपाई के लिए शीघ्र कदम उठाया जा सके.अगर सऊदी अरब के तेल उत्पादन में लंबे समय तक कमी बनी रही और कीमतों मेंतेजी से उछाल आती रही, तो शेल निर्माता उत्पादन बढ़ायेंगे.
शेल सेक्टर से होनेवाली आपूर्ति में तेज वृद्धि
के वर्षों के बाद, अमेरिका विश्व का शीर्ष कच्चा तेल उत्पादक (क्रूड प्रोड्यूसर) बन गया है. इनमें से ज्यादातर कच्चा तेल टेक्सास से निकाला गया है.
ओपेक और इसके सहयोगियों, जैसे रूस ने तेल कीमतों को कमजोर होने से रोकने के लिए उत्पादन में कटौती की है, क्योंकि बाजार में इसकी अत्यधिक आपूर्ति हो चुकी है.
इस कटौती के लिए प्रतिदिन 1.2 बैरल का लक्ष्य था. लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा सऊदी अरब के जिम्मे था, इसलिए अभी इसे तुरंत नहीं बदला जा सकता है. गैर-ओपेक सदस्य, जैसे रूस अपनी क्षमता से ही तेल निकाल रहा है, संभवत: उपलब्ध अतिरिक्त उत्पादन का केवल 1,00,000-1,50,000 बैरल प्रतिदिन.
सऊदी तेल कारखानों पर हुए हमले के पहले भी, स्पेयर कैपेसिटी में गिरावट जारी थी. कंसल्टेंसी एनर्जी आस्पेक्ट्स ने इसमें और गिरावट की उम्मीद जतायी है. इसके अनुसार, ओपेक स्पेयर कैपेसिटी के 2019 की दूसरी तिमाही के दो मिलियन बैरल प्रतिदिन से चौथी तिमाही में एक मिलियन बैरल प्रतिदिन से भी नीचे गिर जाने की संभावना है.

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