चंद्रयान-2 की सफलता से मिलेंगी महत्वपूर्ण जानकारियां

डॉ सब्यसाची चटर्जी पूर्व वैज्ञानिक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स चंद्रयान-2 मिशन का रोवर जब चंद्रमा पर उतरेगा, तो वह उसकी धरती पर घूमेगा. उस दौरान वह रोवर खूब सारा डेटा इकट्ठा करेगा और जिसका हम यहां अध्ययन एवं विश्लेषण करेंगे कि आखिर वह मानव जीवन के लिए कितना कारगर होगा. चांद पर किस तरह के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 16, 2019 7:01 AM
डॉ सब्यसाची चटर्जी
पूर्व वैज्ञानिक, इंडियन इंस्टीट्यूट
ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स
चंद्रयान-2 मिशन का रोवर जब चंद्रमा पर उतरेगा, तो वह उसकी धरती पर घूमेगा. उस दौरान वह रोवर खूब सारा डेटा इकट्ठा करेगा और जिसका हम यहां अध्ययन एवं विश्लेषण करेंगे कि आखिर वह मानव जीवन के लिए कितना कारगर होगा.
चांद पर किस तरह के तत्व और रसायन मौजूद हैं, इसका अध्ययन करने के लिए चंद्रयान-2 मिशन निश्चित रूप से सफलता हासिल करेगा. यहां तक कि चंद्रयान-2 मिशन से विज्ञान को क्या हासिल होगा, यह भी अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन अगर यह सफल होता है, तो यह हमारे देश के लिए एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि जरूर होगी.
इसरो अपनी तमाम वैज्ञानिक और तकनीकी कोशिशों में लगा हुआ है और वह नित नये अनुसंधान कर रहा है. हम समझते हैं कि चंद्रयान-2 मिशन की सफलता इसरो के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि चंद्रमा जैसे उपग्रह के बारे में हमें बहुत सी जानकारियां मिल जायेंगी. इसरो ने पहला चंद्रयान मिशन भेजकर ही एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली थी, जिसका विस्तार अब इस मिशन से होने जा रहा है.
यहां एक बात बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. वह यह कि इसरो इस तकनीकी मिशन से क्या कोई वैज्ञानिक उपलब्धि भी हासिल करेगा, या फिर यह एक तकनीकी उपलब्धि भर ही बनकर रह जायेगी. हालांकि, इसरो बहुत ही आशावान है और सकारात्मक सोच के साथ काम कर रहा है. इसलिए उम्मीद भी है कि वह भारत को एक विज्ञान, तकनीक और अनुसंधान के क्षेत्र में एक नयी ऊंचाई पर जरूर ले जायेगा. इसरो तीन तरह का सेटेलाइट लांच करता है- कम्युनिकेशन सेटेलाइट, वेदर सेटेलाइट और एक्सप्लोरेटरी सेटेलाइट.
चंद्रयान-2 एक एक्सप्लोरेटरी सेटेलाइट है, जो चांद की सतह पर जाकर अपने रोवर के जरिये वहां मौजूद चीजों को एक्सप्लोर करेगा. कम्युनिकेशन सेटेलाइट का काम हमारे संचार व्यवस्था के लिए होता है, तो वहीं वेदर सेटेलाइट का काम मौसम की जानकारी देना है. उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में प्रक्षेपित करने का इसरो के पास जो कीर्तिमान है, उसमें अब एक नाम चंद्रयान-2 का भी जुड़ जायेगा.
जैसा कि लोग कह रहे हैं, चांद पर जीवन की संभावना है, क्योंकि वहां पानी है. लेकिन मेरा अध्ययन यही बताता है कि जिस तरह की जलवायु, खनिज संपदा, पर्यावरण, मिट्टी-पानी का स्वरूप, सोलर सिस्टम, ऊर्जा, तापमान, आद्रता आदि पृथ्वी पर है, ये सब अभी चांद पर नहीं है, या हमें मालूम नहीं है.
चांद पर सिर्फ पानी के कण मिल जाने से ही वहां जीवन संभव नहीं है. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि चांद पर गुरुत्वाकर्षण भी कम है, इसलिए संभावनाएं किसी और दिशा में भी जा सकती हैं. इसलिए अभी चंद्रयान-2 मिशन की सफलता के बाद उससे जो डेटा हमें प्राप्त होगा, उसका गहराई से अध्ययन करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है.
जब भी इस तरह की कोई वैज्ञानिक और तकनीकी कोशिश होती है, तो हमारे देश का मीडिया हमेशा ब्रेकथ्रू (महत्वपूर्ण खोज) की बात करता है कि हमने ये कर दिया, वो कर दिया. मीडिया यह बात नहीं समझता कि ब्रेकथ्रू (महत्वपूर्ण खोज), सक्सेस (सफलता) और अचीवमेंट (उपलब्धि) का मतलब क्या है और विज्ञान के क्षेत्र में इन शब्दों की क्या अहमियत है.
चंद्रयान-2 मिशन को मैं ब्रेकथ्रू नहीं कह सकता, क्योंकि यह पहली बार नहीं हो रहा है. लेकिन, मीडिया इसे ब्रेकथ्रू बताता है, जो कि अनुचित है. और सोशल मीडिया पर तो लोग यहां तक कहते हैं कि हम ही सबसे ताकतवर हैं. विज्ञान ऐसी किसी भावना का मोहताज नहीं है और न ही किसी को विज्ञान के लिए ऐसा कहने का हक है. विज्ञान एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें भावनात्मक उद्दंडता की कोई जगह नहीं होती कि हमने ये कर डाला. क्योंकि विज्ञान एक सार्वभौमिक चीज है, उसका किसी देश विशेष से संबंध नहीं है.
दुनियाभर में हर जगह छोटी-छोटी खोजें हो रही हैं, जो वैज्ञानिक खोजें हैं और महत्वपूर्ण भी हैं. उन्हीं खोजों पर आधारित सारे देश अपनी तकनीक का विस्तार करके बड़ी उपलब्धियां हासिल करते हैं. इस ऐतबार से चंद्रयान-2 एक ऐसा तकनीकी मिशन है, जिसकी सफलता के बाद हम यह कह सकते हैं कि हमने बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है.
(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)

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