आपातकाल के बाद 1977 में रायबरेली से इंदिरा को मिली थी करारी हार, ढाई साल तक सत्ता से रही बाहर

अनुज कुमार सिन्हा आपातकाल के बाद जब 1977 में चुनाव हुए ताे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी काे रायबरेली से करारी हार झेलनी पड़ी थी. उन्हें राजनारायण ने हराया था. लगभग ढाई साल तक वे सत्ता से बाहर रहीं. इसके बाद 1980 में जब मध्यावधि चुनाव हुए, ताे यही सवाल उठा कि इंदिरा गांधी रायबरेली से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 15, 2019 7:12 AM
अनुज कुमार सिन्हा
आपातकाल के बाद जब 1977 में चुनाव हुए ताे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी काे रायबरेली से करारी हार झेलनी पड़ी थी. उन्हें राजनारायण ने हराया था. लगभग ढाई साल तक वे सत्ता से बाहर रहीं. इसके बाद 1980 में जब मध्यावधि चुनाव हुए, ताे यही सवाल उठा कि इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी या नहीं?
रांची : 1980 में हुए मध्यावधि चुनाव के दौरान इंदिरा गांधी रायबरेली से अपनी जीत के प्रति उतनी आश्वस्त नहीं थी. इसके कई कारण थे. एक ताे वहां से पिछला चुनाव हार चुकी थीं. दूसरा कि उनके खिलाफ जनता पार्टी ने जबरदस्त याेजना बनायी थी.
इस याेजना के तहत रायबरेली से जनता पार्टी ने अपनी दमदार नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया काे मैदान में उतारा था. इंदिरा गांधी ने भी अपनी याेजना बनायी. वह किसी भी कीमत पर संसद में पहुंचना चाहती थीं, काेई जाेखिम नहीं लेना चाहती थीं. अंतत: उन्होंने तय कर लिया कि वे दाे सीटाें से चुनाव लड़ेंगी. एक रायबरेली और दूसरा आंध्रप्रदेश की मेडक सीट.
रायबरेली की तुलना में मेडक सीट ज्यादा सुरक्षित थी. 1977 में जब कांग्रेस काे हिंदी भाषी क्षेत्राें में करारी हार झेलनी पड़ी थी, तब दक्षिण ने ही कांग्रेस काे कुछ हद तक बचाया था. इसलिए उन्हाेंने मेडक सीट से भी चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था.
किसी भी हाल में इंदिरा को रोकना चाहती थी जनता पार्टी
जनता पार्टी के नेता किसी भी हाल में इंदिरा गांधी काे संसद में पहुंचने से राेकना चाहते थे. इसलिए जिन दाे सीटाें पर इंदिरा गांधी चुनाव लड़ रही थीं, उन दाेनाें सीटाें पर जनता पार्टी ने दमदार प्रत्याशी उतारा. रायबरेली में अगर राजमाता सिंधिया थीं, ताे मेडक में इंदिरा गांधी के खिलाफ एस जयपाल रेड्डी उतरे थे. जयपाल रेड्डी भी जनता पार्टी की सरकार में मंत्री थे और ताकतवर नेता माने जाते थे.
लेकिन, उनका सामना इस बार इंदिरा गांधी से हाे रहा था. क्या इंदिरा गांधी काे हरा कर जयपाल रेड्डी राजनारायण की याद ताजा करेंगे, यही सवाल उठ रहे थे. इधर, जनता पार्टी की किचकिच का असर भी दिख रहा था. जनता का माेह जनता पार्टी से भंग हाे रहा था. चुनाव में इंदिरा गांधी की लाेकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हाेंने दाेनाें सीटाें पर भारी मताें से जीत दर्ज की. इंदिरा गांधी की पारंपरिक सीट रायबरेली में उन्हाेंने राजमाता सिंधिया काे डेढ़ लाख से ज्यादा मताें से हराया.
इस चुनाव में इंदिरा गांधी कांग्रेस (आइ) के बैनर तले चुनाव लड़ रही थीं. उन्हें 2,23,903 मत मिले थे, जबकि राजमाता काे सिर्फ 50,249 मत. आंध्रप्रदेश की सीट मेडक से भी इंदिरा गांधी दाे लाख से ज्यादा मताें से जीती थीं. इंदिरा गांधी काे 3,01,577 मत मिले थे, जबकि जनता पार्टी के नेता एस जयपाल रेड्डी काे सिर्फ 82,453. न सिर्फ इंदिरा गांधी दाेनाें सीटाें से जीतीं, बल्कि कांग्रेस की वापसी भी हुई और जनवरी 1980 में उनकी अगुवाई में नयी सरकार बनी.

Next Article

Exit mobile version