सही मायने में एक दिलेर लीडर थे निर्मल महताे

अनुज कुमार सिन्हा 25 दिसंबर का अपना महत्व है. पूरी दुनिया इस दिन क्रिसमस मनाती है. इसी दिन अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ था. झारखंड के एक बड़े आैर संघर्षशील नायक यानी निर्मल महताे का जन्म भी ताे इसी दिन हुआ था. एक ऐसा नायक, जाे जीवन भर अविवाहित रहा. यह साेेच कर कि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 25, 2018 7:10 AM
अनुज कुमार सिन्हा
25 दिसंबर का अपना महत्व है. पूरी दुनिया इस दिन क्रिसमस मनाती है. इसी दिन अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ था. झारखंड के एक बड़े आैर संघर्षशील नायक यानी निर्मल महताे का जन्म भी ताे इसी दिन हुआ था. एक ऐसा नायक, जाे जीवन भर अविवाहित रहा. यह साेेच कर कि शादी कर लेने से परिवार में उलझ जायेंगे आैर अलग झारखंड राज्य की लड़ाई कमजाेर पड़ जायेगी, उन्हाेंने शादी नहीं की थी.
पूरे झारखंड काे अपना परिवार माना और इसे निभाया भी. ऐसे ताे वे सिर्फ 37 साल जीवित रहे लेकिन इतने समय में भी उन्हाेंने राजनीति के अलावा सामाजिक जीवन में अमिट छाप छाेड़ दी.
शाेषण के खिलाफ आंदाेलन कर ही निर्मल महताे नेता बने थे. छात्र जीवन से ही दिलेर थे. किसी ने शाेषण किया आैर अगर इसकी जानकारी निर्मल महताे काे मिल जाती थी ताे उसकी पिटाई तय थी. उन दिनाें जमशेदपुर में सूदखाेराें का आतंक था. ये टिस्काे के मजदूराें काे माेटे ब्याज पर उधार देते थे.
जैसे ही मजूदराें काे या सफाईकर्मियाें काे कंपनी भुगतान करती थी, उनसे ये सूदखाेर जबरन पैसा ले लेते थे. निर्मल महताे आैर उनके सहयाेगियाें ने खाेज-खाेज कर सूदखाेराें की पिटाई की थी. उसी समय से वे चहेते बन गये थे. ऐसी अनेक घटनाएं हैं. 1982 में पुलिस ने तिरूलडीह में फायरिंग की थी. दाे छात्र अजय महताे आैर धनंजय महताे मारे गये थे.
दाेनाें शवाें का पाेस्टमार्टम जमशेदपुर में हुआ था. पुलिस का आतंक इतना था कि काेई अजय-धनंजय के शव काे उनके गांव लेकर जाना नहीं चाहता था. जब इसकी जानकारी निर्मल महताे काे मिली, तो बगैर पुलिस के भय के वे दाेनाें शवाें काे ट्रक से लेकर खुद गये थे आैर अपने सामने अंतिम संस्कार कराया था.
सामाजिक व्यक्ति ताे थे ही. शराब के वे सख्त विराेधी थी. कहते थे-शराब ही ताे झारखंडियाें काे बर्बाद कर रखा है. सूदखाेर ताे शराब पिला कर ही मजदूराें-ग्रामीणाें का शाेषण करते हैं. शराब पी कर हंगामा करनेवालाें में से कई की ताे उन्हाेंने पिटाई की थी.
जहां अवैध शराब की बिक्री हाेती थी, उन्हें जैसे ही खबर मिलती थी, उत्पाद विभाग के अधिकारियाें काे साथ ले जाकर शराब माफिया काे पकड़वाते थे, अवैध शराब नष्ट कराते थे.
मानगाे आैर चांडिल क्षेत्र में कई बार उन्हाेंने अवैध शराब भट्ठी काे नष्ट कराया था. बस्तियाें में जा कर शराब नहीं पीने की सलाह भी वे देते थे. उनके काम करने का अपना ही स्टाइल था.
पहले बात से समझाते थे. नहीं मानने पर डंडा या हॉकी स्टिक से भी काम चलाते थे. एक बार चांडिल क्षेत्र में वन विभाग के कुछ कर्मचारी ग्रामीणाें की मुर्गी-खस्सी ले जा रहे थे.
कह रहे थे कि वनाें की अवैध कटाई के खिलाफ यह जुर्माना है. यह जानकारी निर्मल महताे काे जब मिली, वे गये.
उन्हाेंने वन विभाग के एक बड़े अधिकारी काे बुलाने के लिए कुछ सहयाेगियाें काे भेजा. वे नहीं आये. इसके बाद 10-12 ताकतवर लाेगाें काे भेज कर किसी तरह उन्हें बुलाया. बताया कि क्या हाे रहा है.
अधिकारी पहले नहीं माने. कहा कि यह जुर्माना है. निर्मल महताे ने उन्हें नियम समझाया आैर कहा कि जब जब्ती कर रहे हैं ताे रसीद भी देना हाेगा. अंतत: अधिकारी काे गलती माननी पड़ी आैर जब्त खस्सी-मुर्गी काे वापस करना पड़ा.
चांडिल-कांड्रा सड़क बन रही थी. कई साल पहले जमीन का अधिग्रहण हाे चुका था लेकिन ग्रामीणाें काे मुआवजा नहीं मिला था. आसपास के लाेग निर्मल महताे के पास आये.
उन्हाेंने कह दिया कि रास्ता काट दाे. काेई गाड़ी न आयेगी, न जायेगी. पहले ताे लाेग डरे लेकिन जब खुद निर्मल महताे रास्ता काटने के लिए उठ गये ताे ग्रामीणाें ने उनकी बात मान ली. रास्ता काट दिया गया. एक-एक अधिकारी आते गये. उन्हाेंने तुरंत मुआवजा के भुगतान की मांग की.
अंतत: ग्रामीणाें काे मुआवजा मिला, तब जा कर राेड से आवागमन हाे सका. इस तरह काम कराते थे निर्मल महताे. इसलिए वे लाेकप्रिय हाे गये थे. शिबू साेरेन खुद उनका बहुत सम्मान करते थे आैर यही कारण था कि झारखंड मुक्ति माेर्चा से जुड़ने के तुरंत बाद ही उन्हें पार्टी का सर्वाेच्च पद यानी अध्यक्ष बना दिया गया था.
झारखंड आंदाेलन तब आैर जाेर पकड़ा जब 1987 में उनकी हत्या हाे गयी. निर्मल महताे की हत्या के बाद झारखंड में जाे तूफान आया, उसने अलग झारखंड का रास्ता साफ कर दिया. सच ताे यह है कि निर्मल महताे ने शहादत देकर झारखंड बनाने का रास्ता तैयार किया. इसलिए आज झारखंड अपने इस वीर नेता काे याद करता है.

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