ऑस्टियोअर्थराइटिस का कारण बन सकते हैं हाइ हील फुटवेयर्स

डॉ ईश्वर बोहरा सीनियर कंसल्टेंट, आर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नयी दिल्ली थोड़े समय के लिए हाइ हील्स पहनने से कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन आदतन लंबे समय तक हाइ हील्स फुटवेयर्स पहनने से कई समस्याएं हो सकती हैं. चूंकि हमारे पैर ऊंची एड़ी के फुटवेयर पहनने के अनुसार नहीं बने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 18, 2018 1:39 AM
डॉ ईश्वर बोहरा
सीनियर कंसल्टेंट, आर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन
बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नयी दिल्ली
थोड़े समय के लिए हाइ हील्स पहनने से कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन आदतन लंबे समय तक हाइ हील्स फुटवेयर्स पहनने से कई समस्याएं हो सकती हैं. चूंकि हमारे पैर ऊंची एड़ी के फुटवेयर पहनने के अनुसार नहीं बने हैं, इसलिए आगे के पंजों और एड़ियों पर असामान्य दबाव पड़ता है.
संतुलन बनाने में परेशानी आती है, गिरने की आशंका बढ़ती है और मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है. घुटनों और कमर में दर्द और जल्दी थकान होने की समस्या बढ़ जाती है. इस बारे में बीएलके हॉस्पिटल, दिल्ली के आर्थोपेडिक एक्सपर्ट डॉ ईश्वर बोहरा कहते हैं- स्टाइलटोस या पेंसिल हील पहनना फैशनेबल हो सकता है, लेकिन इससे हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
विशेषकर ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है. अस्पतालों में 40 वर्ष से कम आयु की महिलाएं पैर, कमर, पीठ दर्द की समस्याएं लेकर आती हैं, जो हाइ हील पहनने के कारण इससे पीड़ित होती हैं. अगर इसे अनदेखा किया जाये, तो उन्हें सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है. हाइ हील पहनने से घुटने और पैर की उंगलियों पर दबाव पैदा होता है और अगर वे बहुत लंबे समय तक पहने जाते हैं, तो दर्द हमेशा रह जाता है.
गठिया के अलावा, यह नसों में खिंचाव, पीठ दर्द, कमर दर्द और घुटने के दर्द के लिए भी जोखिम बढ़ा देता है. ऑस्टियोआर्थराइटिस के शुरुआती लक्षणों में जोड़ों में दर्द, सुबह पैरों में काफी देर तक कड़ापन रहना और पैर व पीठ में सूजन शामिल हैं.
संतुलन बनाने में समस्या आना
3-4 इंच की हील आपके शरीर का अलाइंमेंट बदल सकती है, जिससे पैरों, कुल्हों और कमर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. हाइ हील्स पहनने के बाद शरीर का संतुलन बनाने में भी समस्या आती है. इससे मोच आने, फ्रैक्‍चर होने और लड़खड़ा कर गिरने का खतरा बढ़ जाता है.
जब आप ऊंची एड़ी के फुटवेयर पहनती हैं, तो आप सीधे चलने का प्रयास करती हैं, मगर आपके पैर सामान्य तरीके से नहीं घूमते हैं. इसके साथ ही हील्स में शॉक एब्जॉर्बर्स भी नहीं होते, जिससे घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. इससे घुटनों में दर्द होता है और ऑस्टियोअर्थराइटिस की आशंका बढ़ जाती है.
कमर के निचले हिस्से में दर्द होना
ज्यादा हील्स के फुटवेयर्स पहनने से वेट डिस्ट्रिब्यूशन असामान्य हो जाता है, जिससे कमर के निचले हिस्से पर काफी दबाव पड़ता है और लोअर बैक पैन की समस्या पैदा हो जाती है. लंबे समय तक हाइ हील्स पहनने से स्लिप डिस्क की समस्या भी हो जाती है.
पैरों में दर्द होना
लगातार ऊंची एड़ी के फुटवेयर्स पहनने से एचिलीस टेंडन कड़े और छोटे हो जाते हैं, जिसके कारण फ्लैट फुटवेयर्स पहनने में समस्या हो सकती है. ऊंची एड़ियों के कारण पैरों की बॉल पर भी अधिक दबाव बनता है.
लगातार हाइ हील्स के फुटवेयर्स पहनने से तलवों और एड़ियों में दर्द होता है. यह ध्यान रखें, हील की ऊंचाई जितनी अधिक होगी, पंजों पर पड़ने वाला दबाव भी उतना ही अधिक होगा.
क्या कहते हैं शोध
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की शोध के मुताबिक ऊंची एड़ी वाली सैंडलों या जूतों से घुटनों और जोड़ों पर दबाव बढ़ जाता है. इससे ऑस्टियोअर्थराइटिस का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
इस बीमारी में हड्डियों में टूट-फूट होने लगती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इसका खतरा दो गुना ज्यादा होता है. हाइ हील पहनने से जांघ की मांशपेशियां खिंचती हैं और शियाटिका तथा अन्य रोगों का जोखिम बढ़ जाता है.
ब्रिटेन के कॉलेज ऑफ पोडियाट्री में हुए एक शोध के अनुसार हील की ऊंचाई पंजों पर पड़ने वाले दबाव को बढ़ा देती है.
1 इंच की हील इस दबाव को 22 प्रतिशत, 2 इंच की हील इसे 57 प्रतिशत और 3 इंच की हील इस दबाव को 76 प्रतिशत तक बढ़ा देती है. इसे एड़ियों के साथ दूसरे अंगों पर जरूरत से ज्यादा जोर पड़ता है.
अमेरिकन पोडियाट्रिक मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार लड़खड़ा कर गिरने में पुरुषों से चार गुना आगे हैं महिलाएं. इसका कारण ऊंची हील के फुटवेयर्स हैं.
पहनते समय सावधानी है जरूरी
महिलाएं हाइ हील्स के फुटवेयर्स कभी न पहनें, ऐसा संभव नहीं है. अगर हाइ हील्स पहनते समय कुछ सावधानियां रखी जाएं, तो इन्हें पहनने से होनेवाली परेशानियों से काफी हद तक बचा जा सकता है.
बदल-बदलकर कर पहनें हील्स
अगर आपका कार्य ऐसा है कि हील्स पहनना आपकी मजबूरी है, तो सिर्फ ऑफिस टाइम में ही हील्स पहनें, बाकी समय आरामदायक फुटवेयर पहनें. इसके अलावा हील्स की ऊंचाई को बदल-बदलकर पहनें, जैसे- हाइ, मीडियम और लो हील्स. लगातार चार घंटे से अधिक ऊंची एड़ी के फुटवेयर न पहनें.
जब जरूरी हो तभी हील्स पहनें
जब कोई विशेष अवसर हो या प्रोफेशनल जरूरत हो तभी हील्स पहनें. रोज आरामदायक फुटवेयर पहनें. अगर आपको पार्टी में हील्स पहनना हो, तो घर से सिंपल फुटवेयर्स पहनकर जाएं, पार्टी शुरू हो तब हील वाले फुटवेयर्स पहन लें. पार्टी खत्म होते ही इसे उतार लें.
अतिरिक्त पैडिंग इस्तेमाल करें
अगर किसी कारण से आप हाइ हील्स के फुटवेयर्स पहनना नहीं छोड़ सकतीं, तो सबसे अच्छा यह है कि आप अतिरिक्त पैड वाले फुटवेयर्स इस्तेमाल करें. इससे आपके पैर की बॉल पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा.
इन बातों का भी रखें ध्यान
लगातार चार घंटे से अधिक हाइ हील के फुटवेयर्स न पहनें.
हाइ हील्स पहनने के बाद रात को पैरों की मसाज करके सोएं. इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है.
वर्क प्लेस पर अगर आपको हील्स पहनना जरूरी हो, तो जितना कम से कम पहनें, उतना अच्छा है.
आप तीन चार अलग-अलग साइज के फुटवेयर्स रखें, जैसे- एक इंच, दो इंच, ढाई इंच या तीन इंच. इन्हें बदल-बदलकर पहनें, ताकि आपके पैरों की मांसपेशियां स्ट्रैच हो जाएं.
  • खरीदारी के वक्त ही हाइ हील्स को पहनकर थोड़ी देर चलें. आरामदायक लगने पर ही खरीदें.

  • दो इंच से अधिक हील न पहनें. जब बहुत जरूरी हो तभी इससे अधिक हील्स के फुटवेयर्स पहनें.

  • किशोरियों को इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए, अन्यथा कम उम्र में ही पीठ दर्द विकसित हो सकता है.
एक्सरसाइज भी इसमें काफी लाभदायक है. यदि आप हाइ हील्स के शौकिन हैं या प्रोफेशनल मजबूरी के कारण आपको हील्स पहननी ही पड़ती है, तो इनसे जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए आप रोजाना पैरों की एक्सरसाइज कर सकती हैं.
जैसे, रोज सुबह दूसरे वर्कआउट के साथ ताडासन जरूर करें. दिन में 2-3 बार स्ट्रेचिंग करें. पेन या पेंसिल को नीचे फर्श पर गिराकर कुर्सी पर बैठे-बैठे ही उन्हें अपने पैरों की अंगुलियां से उठाने का अभ्यास करें. इस एक्सरसाइज को दिन में कम से कम 5-7 बार करें.

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