हम नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं और रहेंगे

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से विशेष संवाददाता मिथिलेश की बातचीत Q लोकसभा चुनाव में एनडीए की स्थिति कैसी रहेगी? देखिए, बिहार हो या देश, अगले साल होनेवाले लोकसभा के चुनाव में एनडीए की स्थिति बहुत अच्छी रहेगी. केंद्र सरकार ने सबका साथ-सबका विकास करके […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 22, 2018 2:52 AM
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से विशेष संवाददाता मिथिलेश की बातचीत
Q लोकसभा चुनाव में एनडीए की स्थिति कैसी रहेगी?
देखिए, बिहार हो या देश, अगले साल होनेवाले लोकसभा के चुनाव में एनडीए की स्थिति बहुत अच्छी रहेगी. केंद्र सरकार ने सबका साथ-सबका विकास करके दिखाया है. यह हमारे लिए महज नारा नहीं रहा. इसे आत्मसात किया. विकास को लेकर लोगों में नया नजरिया पैदा हुआ है. यह देश के हित में है. मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हमारी स्थिति बिहार सहित पूरे देश में बहुत अच्छी रहेगी.
Q एनडीए सरकार के चार साल आपकी नजर में कैसा रहा?
मुझे लगता कि एनडीए के सरकार में आने से पहले बदलाव के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. एकतरह से लोगों के बीच नाउम्मीदी थी. देश में निराशा का भाव था. वैसी स्थिति में एनडीए की सरकार ने अपने कामकाज के बल पर उम्मीद का भाव पैदा किया. यह कोई मामूली बदलाव नहीं है. इसे मैं ऐतिहासिक मानता हूं. जहां तक सरकार के काम की बात है , तो सरकार लोगों की अपेक्षाओं पर खरी उतरी है़ इसका असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी दिखेगा़ फिर से एनडीए पांच साल के लिए सत्ता में आयेगा.
Q चुनाव में रालोसपा का रुख क्या होगा?
हमारी सोच है कि देशहित में अगले पांच साल नरेंद्र मोदी का ही प्रधानमंत्री बने रहना जरूरी है़ हमारी पूरी पार्टी इस काम में लगी है़ हम एनडीए के साथ हैं और रहेंगे़ साथ छोड़ने का सवाल ही नहीं है़ हम पूरी मुस्तैदी और मजबूती के साथ नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं और रहेंगे़
Q राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के साथी पाला बदलते जा रहे हैं. चंद्रबाबू नायडू के बाद शिव सेना भी उसी राह पर है़ क्या भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही?
एनडीए के सभी सहयोगी दलों की एक बार मिल-बैठ कर बातचीत हो, इसकी सख्त आवश्यकता है़ जो भी मुद्दे हैं, उस पर बातचीत जरूरी है़ जो चले गये, उनका अलग मामला है़ हां, यह बात सही है कि हाल के दिनों में हुए कई उप चुनाव के परिणाम एनडीए के खिलाफ गये. यह एनडीए के लिए चिंता का कारण है़ इस पर एक साथ बैठक कर समान रणनीति कॉमन स्ट्रेटजी (संयुक्त रणनीति) बनाने की आवश्यकता है़
2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के हार के कई कारण थे.
लेकिन सबसे बड़ा कारण एनडीए की कॉमन स्ट्रेटजी का नहीं होना था़ कहीं भाजपा लड़ रही थी, तो कहीं लोकजनशक्ति पार्टी और कहीं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी़ ऐसा लग रहा था कि आपस में मिल कर नहीं बल्कि अलग-अलग लड़ रहे हों. ऐसा लगा ही नहीं कि एनडीए चुनाव लड़ रहा है. इसलिए 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को संयुक्त रणनीति बनाने पर काम करना चाहिए. हमारी रणनीति कैसी हो, क्या हो इस पर एक मत जरूरी है़
Q खासतौर से बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों की संख्या को लेकर ऊहापोह है.
सीटों की संख्या को लेकर कोई ऊहापोह नहीं होगी. जब सभी घटक दल एक साथ बैठेंगे, तब इस पर फैसला हो जायेगा़ कमीबेसी सबको साझा करनी होगी. हां, यह जरूरी है कि सीटों का बंटवारा समय पर हो ताकि उम्मीदवार को और पार्टी को अपनी रणनीति बनाने के लिए वक्त मिल सके़ अंतिम चरण में यानी नॉमिनेशन के पहले सीटों का बंटवारा एनडीए, पार्टी और उम्मीदवार के हित में नहीं होता़ निर्णय पहले हो जाना चाहिए. इस पर बातचीत शुरू हो जानी चाहिए. जहां तक सीटों की संख्या की बात है, तो यह एनडीए की बैठक में तय होगा़ हर दल अधिक से अधिक सीट चाहता है, पर बंटवारे का निर्णय तो सामूहिक ही होगा़ वही सबको मान्य होगा़
Q आप वोट के लिहाज से ताकतवर कुशवाहा बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हैं. आपके समर्थक आपको बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, कैसा लगता है आपको?
सभी जमात चाहती है कि उसका लीडर राज्य का नेतृत्व करे़ यह स्वाभाविक चाहत है़ लेकिन गठबंधन की राजनीति में मिल बैठ कर नेता पद का रास्ता निकाला जाता है़
Q हाल के दिनों में आरक्षण को लेकर लोगों में खासकर दलित वर्ग में पैदा हुई नाराजगी को आप कैसे देखते हैं?
इस वर्ग को लेकर कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं जिससे दलित वर्ग में खराब मैसेज गया है. प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर कुछ इस तरह चर्चा हो गयी जिससे लगा कि एनडीए का रुख इसके पक्ष में नहीं है. लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं थी. पीएम खुद सामाजिक न्याय व आरक्षण के मसले पर संवेदनशील हैं.
सरकार की ओर से पहल हुई है़ एससी-एसटी एक्ट के संबंध में सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी है़ सरकार इस पर अध्यादेश लाने के बारे में विमर्श कर रही है. इसके अलावा सामाजिक न्याय से संबंधित और भी कई मुद्दे हैं, जिस पर हमारी सरकार को स्ट्रांग मैसेज (कड़ा संदेश) देना पड़ेगा़ हम समझते हैं कि पूरा एनडीए और हमारे प्रधानमंत्री इन मुद्दों पर गंभीर हैं. उनके नेतृत्व में दबे कुचले,गरीब, दलित और सोशल जस्टिस के दायरे में आने वाले लोगों का अहित नहीं होने दिया जायेगा़
Q राजद की ओर से लगातार आपको एनडीए छोड़ महागठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया जा रहा है. इस पर क्या कहना है?
इन बातों का मेरे लिए कोई अर्थ नहीं है़
Q मानव संसाधन के क्षेत्र में क्या बदलाव ला सके आपलोग?
चार सालों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर फोकस किया गया़ कई पहल हुए़ देश में 14 लाख अनट्रेंड शिक्षक काम कर रहे थे जिनके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी़ आरटीइ एक्ट में संशोधन किया गया़ मार्च 2019 के बाद अब कोई भी अनट्रेंड शिक्षक नहीं रहेगा़ लर्निंग आउट कोर्स को डिफाइन किया गया़ किसी खास कक्षा में एक साल पढ़ाई के बाद बच्चों को क्या आना चाहिए, यही है लर्निंग आउट कोर्स़ ऐसा अब तक नहीं हुआ था. इन सूचनाओं को स्कूल में डिस्पले करने की व्यवस्था की गयी जिससे बच्चों के बारे में शिक्षक और उनके अभिभावक को भी पूरी जानकारी रहे़
पहले कक्षा एक से आठ तक किसी को भी फेल नहीं करना था़, ऐसी पॉलिसी थी़ इससे गुणवत्ता प्रभावित होने लगी. अब इसमें संशोधन किया जा रहा है़ कक्षा पांच और आठ में परीक्षा की अनिवार्यता सुनिश्चित की जा रही है़ तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है़ मिशन ब्लैकबोर्ड की जगह मिशन डिजिटल बोर्ड ला गया है़ खेल को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है़ प्री स्कूल की व्यवस्था अब तक सरकारी स्कूलों में नहीं थी, इसपर भी फोकस किया जा रहा है़

Next Article

Exit mobile version