LIVE
लोकसभा चुनाव परिणाम-2024

जमशेदपुर : बुलंद हौसले की बदौलत सावित्री बनीं मिस इंडिया इंडिजिनस

जमशेदपुर : जहां चाह वहां राह- यह पंक्ति लौहनगरी जमशेदपुर के कदमा की रहने वाली आदिवासी 20 वर्षीय सावित्री टुडू पर बिलकुल सटीक बैठती है. उसने बचपन में जो सपना देखा था, बड़े होने के बाद भी उस इच्छा को मरने नहीं दिया. उसे शुरू से ही कुछ ऐसा करने इच्छा थी जिससे माता-पिता व […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 20, 2018 7:47 AM

जमशेदपुर : जहां चाह वहां राह- यह पंक्ति लौहनगरी जमशेदपुर के कदमा की रहने वाली आदिवासी 20 वर्षीय सावित्री टुडू पर बिलकुल सटीक बैठती है. उसने बचपन में जो सपना देखा था, बड़े होने के बाद भी उस इच्छा को मरने नहीं दिया. उसे शुरू से ही कुछ ऐसा करने इच्छा थी जिससे माता-पिता व समाज का नाम रोशन हो और उसे देश व दुनिया के लोग अपने सिर आंखों पर बिठायें. वह सबकी आंखों का तारा बनना चाहती थी. इस सोच को लेकर सावित्री ने आइसफा मिस इंडिया इंडिजिनस-कॉन्टेस्ट में भाग लिया.

इस कॉन्टेस्ट में तीन राज्य झारखंड, बंगाल व ओडिशा के 60 प्रतिभागी शामिल हुए. लेकिन अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति, बुलंद हौसले व कड़ी मेहनत के बदौलत पहले ही प्रयास में आइसफा मिस इंडिया इंडिजिनस का ताज सावित्री ने अपने नाम कर लिया. वह मिस इंडिया इंडिजिनस की विजेता चुनी गयी. उन्हें यह ताज पहनने के लिए कई राउंड मेें कंटेस्टेंट्स को कड़ी टक्कर देनी पड़ी.

समाज व पूर्वजों की धरोहर का सम्मान करना जरूरी : सावित्री

सावित्री टुडू ने बताया कि आदिवासी समाज की बेटियां हर कदम पर आगे बढ़ रही हैं और इतिहास रच रही हैं. आदिवासी समाज की महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं. किसी भी काम के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति व कड़ी मेहनत जरूरी है. महिलाएं खुद को कमजोर नहीं समझें. मुसीबतों से जूझना सीखें. इरादा पक्का होगा तो सफलता जरूर मिलती है.

समाज, संस्कृति व पूर्वजों की धरोहर के संरक्षण व संवर्धन करने की जिम्मेदारी अक्सर सामाजिक संगठनों व बुढ़े-बुजुर्गों के माथे मढ़ दिया जाता है. लेकिन इसकी असल जिम्मेदारी युवाओं की है. हम जिस समाज में जन्म लेते हैं. उसका सम्मान करना चाहिए. समाज मेें की किसी तरह की गंदगी नहीं फैले इसका भी पूरा-पूरा ध्यान रखना युवाओं की ही जिम्मेदारी है.

जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज की हैं छात्रा : सावित्री सावित्री टुडू जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में बीएससी पार्ट-3 की छात्रा हैं. वह बैंकिंग के क्षेत्र में जॉब करते हुए रूपहले पर्दे पर सिने तारिकाओं की चमकने की तमन्ना रखती हैं. लेकिन फिलहाल दो-तीन सालों तक फिल्म के क्षेत्र में उतरने का काेई इरादा नहीं है. सावित्री के पिताजी मंगल टुडू टाटा स्टील में कार्यरत है. माताजी का नाम दुलारी टुडू है. वह गृहिणी हैं.

पारंपरिक गीतों में गहरी रूचि : सावित्री बताती है कि वह बचपन से लेकर अब शहर में ही रही हैं. बावजूद इसके पारंपरिक गीत-संगीत से उनका गहरा लगाव है. वह जब कभी भी अपने पैतृक गांव सिमुलबेड़ा (सरायकेला) जाती है तो अपने दादा-दादी, चाची, बुआ आदि से पारंपरिक सोहराय, बाहा, दोंग, लाांगड़े आदि गीतों को सीखती हैं.

वह पारंपरिक गीतों को गाने में दक्ष हैं. पर्व त्योहारों में मौके पर नृत्य-गीत संगीत कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं. उन्हें मातृभाषा संताली समेत अपने पर्व-त्योहार, रीति-रिवाज व संस्कार से गहरा लगाव है.

अप्रेंटिस की कर रही ट्रेनिंग : सावित्री बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. वह घर का कामकाज में मां का हाथ बंटाने के साथ-साथ लेकर पढ़ाई लिखाई के लिए भी समय निकालती है. वह दिन में जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज जाती हैं. उसके बाद टाटा स्टील अप्रेंटिस की ट्रेनिंग भी ले रही हैं. घर में प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी कर रही हैं.

Next Article

Exit mobile version