प्रकृति को सजा-संवार रहे हैं बिक्रम के गणितज्ञ रूपेश कुमार

-मिलने-जुलने वाले लोगों को उपहार स्वरूप देते हैं एक पौधा, अपने हाथों से दस हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य बिक्रम : पर्यावरण के क्षेत्र में गणित के शिक्षक रूपेश कुमार पिछले आठ साल से अपने गांव हरपुरा सहित अन्य जगहों पर अपने हाथों से पोधारोपण कर हरियाली लाने के प्रयास कर रहे हैं . इनके […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 25, 2018 8:38 AM

-मिलने-जुलने वाले लोगों को उपहार स्वरूप देते हैं एक पौधा, अपने हाथों से दस हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य

बिक्रम : पर्यावरण के क्षेत्र में गणित के शिक्षक रूपेश कुमार पिछले आठ साल से अपने गांव हरपुरा सहित अन्य जगहों पर अपने हाथों से पोधारोपण कर हरियाली लाने के प्रयास कर रहे हैं . इनके इस प्रयास से आज हरपुरा गांव पूरी तरह से हरा-भरा दिखने लगा है. हरे-भरे वृक्ष के कारण हरपुरा में सुबह-शाम पक्षियों का कलरव सुनने को मिलने लगा है. इस क्षेत्र में अधिक पेड़-पौधे होने के कारण अब बंदरों ने भी बसेरा बना लिया है.

वे पर्यावरण को संतुलित करने के उद्देश्य से हर पूर्णिमा के दिन पटना से चालीस किलोमीटर दूर से आकर अपने गांव हरपुरा में रामजानकी मंदिर में सत्यनारायण भगवान की कथा करा कर तीस पौधे खुद अपनी हाथों से लगाते हैं. अब तक इनके द्वारा 2600 पेड़ लगाये जा चुके हैं. गणित के शिक्षक होने के कारण दूसरे जिले बक्सर , नालंदा व छपरा में बच्चों को गणित पढ़ाने जाते हैं.

वहां भी बच्चों को गणित पढ़ाने के साथ-साथ पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते हैं. उनका मानना है कि प्रकृति साक्षात् भगवान है. इससे प्रेम करना चाहिए. पेड़-पौधे लगाने की प्रेरणा उन्हें अपने दादा स्व श्याम बिहारी सिंह से मिली है. उन दिनों गांव के कुछ गिने-चुने लोगों के पास ही आम की पेड़ थे. उनके साथ पहली बार उन्होंने आम के पौधे लगाये थे. उनकी इस मुहिम में उनके पिता गया प्रसाद ने साथ दिया. आज रूपेश कुमार सिंह द्वारा लगाये गये आम, महुआ, जामुन,अमरुद,नीम, नारियल, कटहल, बेल , बांस,अनार व सागवान के पौधे पेड़ का रूप ले चुके हैं. उनसे मिलने के लिए जो लोग जाते हैं, वे उन्हें विदाई स्वरूप एक पौधा देते हैं. नौकरी पेशा होने के कारण वे पटना में रहते हैं. अपनी आमदनी के एक चौथाई हिस्सा पर्यावरण के नाम पर खर्च करते हैं.उन्होंने बताया कि जीवन में तीन लक्ष्य बनाया है. अपने हाथों से दस हजार पौधे लगायेंगे.

दस हजार बच्चो को गणित से संबंधित शिक्षा देने के साथ जॉब के लिए आदर्श विद्यार्थी बनायेंगे. दस हजार लोगों को रोजगार के लिए प्रेरित कर रोजगार दिलायेंगे. पर्यावरण के प्रति वे लोगों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लेते हैं. फेसबुक व वाट्सएप पर भी सक्रिय हैं. वे सोशल मीडिया के जरिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं. वे सोशल मीडिया पर लोगों को जानकारी देते हैं कि किस माह पोधारोपण करना चाहिए. वे पौधारोपण की विधि की जानकारी मुहैया कराते हैं.

अपने जन्मदिन पर हर साल लगाते हैं दो सौ पौधे : गणितज्ञ रूपेश कुमार गत आठ साल से अपने जन्म दिन पर हर साल दो सौ पौधे लगा रहे हैं. पौधारोपण के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गड्ढे की खुदाई करते हैं. इसके बाद मंत्रोच्चार करते हुए तुलसी पांच पत्ते गड्ढे में डालते हैं. इसके जाे पौधा लगाना होता है उसका पूजन कर पौधारोपण करते हैं. इसके पश्चात अपने घर के बच्चों से उसमें पानी डाल कर पर्यावरण सुरक्षा व पौधारोपण के बारे में जागरूक करते हैं.

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