ग्रहों को रखना है खुश, तो प्रकृति का रखें ख्याल

पीएन चौबे, ज्योतिषविद् इस जगत में चर-अचर, सूक्ष्म एवं स्थूल, नदी, पर्वत अर्थात् पूरी धरती 9 ग्रह एवं 27 नक्षत्रों से संचालित हैं. ग्रहों में राजा सूर्य, रानी चंद्रमा, सेनापति मंगल एवं पुरोहित के रूप में गुरु व शुक्र विराजमान हैं. बुध राजकुमार, शनि सेवक, शुक्र सुख के संसाधन एवं राहू-केतु शनि एवं मंगल के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 21, 2018 7:22 AM
पीएन चौबे, ज्योतिषविद्
इस जगत में चर-अचर, सूक्ष्म एवं स्थूल, नदी, पर्वत अर्थात् पूरी धरती 9 ग्रह एवं 27 नक्षत्रों से संचालित हैं. ग्रहों में राजा सूर्य, रानी चंद्रमा, सेनापति मंगल एवं पुरोहित के रूप में गुरु व शुक्र विराजमान हैं. बुध राजकुमार, शनि सेवक, शुक्र सुख के संसाधन एवं राहू-केतु शनि एवं मंगल के सेनापति हैं. इस संसार में सारे सुख-दुख के नियंता ये ग्रह ही हैं. अगर हम प्रकृति में संतुलन कायम रखते हैं, तो हमारे ग्रह भी अनुकूल होते हैं.
सूर्य और चंद्रमा का मानव शरीर पर प्रभाव सर्वाधिक पड़ता है. सूर्य ऐश्वर्य, आत्मविश्वास, आत्मा, पिता एवं राजकृपा के कारक हैं. यदि हम वातावरण में धुल, धुंआ या अन्य जहरीली गैसों का उत्सर्जन करते हैं, तो इनकी कृपा नहीं मिलती है. सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं, जो एक राजकीय राशि है एवं पहाड़ तथा गुफा को नियंत्रितकरते हैं.
यदि जंगल एवं पहाड़ कटेंगे, तो समस्या मानव जाति उनकी कृपा से वंचित रहेंगे. ग्रहों में चंद्रमा, मन, माता एवं गृहसुख के कारक हैं. मानव शरीर का तीन चौथाई हिस्सा जल से बना है, तो यदि हमारे घर की नालियां नदी की ओर जायेंगी, तो इनकी कृपा नहीं मिल सकती. नदियां अपवित्र हों, तो जीवन मे कभी सुख नहीं मिल सकता, मनोरथ पूर्ण नहीं हो सकते.
आइए, इस श्लोक का स्मरण करते हैं –
गंगा च शिप्रा यमुना सरस्वती
गोदावरी नेत्रवती च नर्मदा
स चन्द्रभागा, वरुणा त्वसीनदी
कुर्वन्तु मम पूर्ण मनोरथं सदा.
पाणिग्रहण संस्कार में हम इन नदियों से आशीर्वाद लेते हैं. गुरु जीवन के ग्रह हैं. अगर हम अन्न का संरक्षण नहीं करते हैं, तो इनकी कृपा नहीं मिल सकती है. अगर हमारी प्रवृति हिंसक हो यानी मांसाहार करते हों, तो घोर दुर्घटना के कारक मंगल की कृपा नहीं मिल सकती. हरे वनस्पतियों पर बुध का नियंत्रण है, जो बुद्धि, लेखन, गणित, मामा के कारक हैं.
अगर हम इन्हें काटते हैं, तो बुध सही निर्णय नहीं लेने देगा. बहुत ज्यादा आराम पसंद एवं सुख-सुविधाओं में रहने से शुक्र की कृपा अगले जन्म में नहीं मिलती. गरीब, दीन-दुखी, मूक प्राणी जैसे पशु-पक्षी, कौआ, चींटी आदि प्राणियों पर शनि का नियंत्रण है.
यदि इन सबों पर अत्याचार हुए, तो फिर क्या, दुःख के कारक ग्रह शनि की पीड़ा से कौन बचेगा भला. अत: गलत कर्मो से बचें. यदि सूर्य की कृपा से आप उच्च पद पर हैं, शनि कृपा से सत्ता में हैं, तो गलत तरीके से कमाया गया धन कुछ ही वर्षो में मनुष्य को शरीर से विमुख कर देगा. मानस की प्रसिद्ध पंक्ति “बड़े भाग मानुस तन पावा” का स्मरण करें एवं सदाचार कापालन करें.
यथासंभव हर ग्रह से संबंधित पेड़-पौधे लगाएं, उन्हें सिंचित करें. अगर संभव न हो, तो उसे काटे नहीं. इस विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) पर अपने पर्यावरण की रक्षा करने का प्रण जरूर करें. अपने लिए, अपनी आनेवाली पीढ़ी के लिए.

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