कॉमरेड महेंद्र सिंह की शहादत दिवस पर विशेष: जन मुद्दों के मुखर प्रणेता

!!अनिल अंशुमन!! हाल ही में जब उच्चतम न्यायालय ने सदन में जनता के मुद्दे उठाने के एवज में रिश्वत लेनेवाले दागी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ विशेष न्यायिक समिति के गठन की घोषणा की, तो सहसा कॉमरेड महेंद्र सिंह जी याद आ गये. उन्होंने अपनी शहादत (16 जनवरी 2005 को नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी थी) […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 16, 2018 8:11 AM

!!अनिल अंशुमन!!

हाल ही में जब उच्चतम न्यायालय ने सदन में जनता के मुद्दे उठाने के एवज में रिश्वत लेनेवाले दागी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ विशेष न्यायिक समिति के गठन की घोषणा की, तो सहसा कॉमरेड महेंद्र सिंह जी याद आ गये. उन्होंने अपनी शहादत (16 जनवरी 2005 को नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी थी) से चंद दिन पहले ही एक बड़ी जनसभा में जनता को संबोधित करते हुए कहा था – ‘हम आपसे कोई वायदा नहीं करते हैं, लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि आपसे कभी विश्वासघात नहीं करेंगे और आपके हर दुख-सुख में हमेशा साथ रहेंगे’. विडंबना है कि राज्य गठन के इन 18 वर्षों में ऐसे कितने जन प्रतिनिधि होंगे, जो अपने मतदाताओं से इतने ईमानदार आत्मविश्वास के साथ पेश आते हैं और सदन में जनता की वास्तविक जन आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. हालांकि इन गुणों के बिना भी नेतागण आज बड़ी आसानी से जन प्रतिनिधि बन रहे हैं और लोग भी उन्हें वोट दे ही रहे हैं.

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आलम तो यह है कि आज की चालू राजनीति में नेताओं को वोट देनेवाली जनता भी ये भलीभांति जानती है कि चुनाव के समय के वायदे फक़त वोट लेने के लिए होते हैं. बहरहाल, फिलहाल लोकतंत्र का यह भी एक चेहरा है, लेकिन वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना में महेंद्र सिंह जी जैसे सच्चे जनप्रतिनिधियों की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी, जिनकी आत्मविश्वास भरी ईमानदार जन राजनीति चालू राजनीति के तमाम छल-प्रपंचों से सर्वथा अलग रही और जीवनपर्यंत वे जनहित के सवालों को लेकर सदन से लेकर सड़क तक हर स्तर पर मुस्तैद रहे. महेंद्र सिंह जी के इस आत्मविश्वास भरी जन राजनीति का मूल आधार यह था कि उन्होंने जनता/मतदाता से महज वोट लेने मात्र का रिश्ता नहीं रखा. एक जवाबदेह और ईमानदार राजनीतिज्ञ के रूप में जनता से अपने संबंधों को पूरी तरह पारदर्शी व सार्वजनिक बनाया. साथ ही निर्वाचक और निर्वाचितों के संबंध की एक साफ–सुथरी और नयी बुनियाद विकसित की. सनद हो कि यह सब महज उनके करिश्माई व्यक्तित्व से ही नहीं हुआ था, बल्कि जिस क्रांतिकारी वामपंथी पार्टी (सीपीआई एमएल) की राजनीति को बढ़ाने में वे सक्रिय रहे, एक समर्पित कार्यकर्ता बन कर यह आदर्श पेश किया. एक समय ऐसा भी था जब उस पार्टी के चुनाव बहिष्कार की नीति को उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ लागू किया था. बाद में जब पार्टी ने जनता को लोकतांत्रिक संघर्षों के द्वारा राजनीतीकरण करने के लिए चुनावी रास्ते को अपनाया तो उस रास्ते को भी उसी शिद्दत के साथ उन्होंने जमीन पर लागू कर एक आदर्श कम्युनिस्ट परंपरा स्थापित की.

जन प्रतिनिधियों के विचलन के खतरों के प्रति सदैव सजग रह कर कुर्सी-राजनीति के भ्रमों और प्रलोभनों को शिकस्त देते रहे. इस परंपरा को उनकी शहादत के बाद कॉमरेड विनोद सिंह और वर्तमान में कॉमरेड राजकुमार यादव आगे बढ़ा कर सदन में वामपंथ का परचम बुलंद कर रहे हैं. आजकल होनेवाले चुनावों में आम प्रचलन है कि सभी दल व नेतागण प्राय: सरकार बनाने के लिए ही वोट मांगते हैं और मतदाता भी उसी के लिए प्रत्याशी को अपना वोट देते हैं. महेंद्र जी इस प्रदेश में ऐसे विरले नेता रहे, जिन्होंने हमेशा जनता से मजबूत विपक्ष बनाने के लिए वोट लिया और कई बार जीत हासिल की. सदन में जाकर जन मुद्दों को ही विपक्ष का रूप दिया. सदन के दौरान जनता के जीवंत सवालों को पूरी सत्यता, तार्किकता व दृढ़ता के साथ उठाकर कई बार सत्ता पक्ष को सोचने, सही जवाब देने और उसके समाधान की घोषणा के लिए बाध्य किया. यही कारण है कि जब भी वे सदन में अपनी बात रखते थे, तो सभी पूरे ध्यान से सुनते थे. जन मुद्दों के जरिये कभी भी सस्ती व सतही सियासत नहीं की. सरकार व जनता तथा जनप्रतिनिधि और मतदाता के बीच निरंतर बढ़ती खाई को लेकर वे चिंतित रहते थे.

आज जब जनप्रतिनिधियों का पथ भ्रष्ट होना सहज-सामान्य परिघटना बन गयी है और क्षुद्र– राजनीतिक कुर्सी – लाभ के लिए किसी भी हद तक पतन का रास्ता अपनाने को राजनीतिक सफलता की कुंजी मानी जा रही है, ऐसे में कॉमरेड महेंद्र सिंह सदा जनता के पक्ष की जीवंत अभिव्यक्ति बने रहेंगे, जिन्होंने हमेशा जन आकांक्षाओं और अधिकारों के संघर्ष को सही दिशा देने के लिए आवाज बुलंद की.

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