कोरोना काल के बाद पुस्तक प्रेमियों के लिए दिल्ली के प्रगति मैदान में 25 फरवरी से 5 मार्च तक विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया गया. इस मौके पर पुस्तक प्रेमियों का पुस्तक प्रेम सिर चढ़कर बोला. मेले में प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग पहुंचे और ना सिर्फ पुस्तक खरीदा बल्कि अपने प्रिय लेखकों से मुलाकात भी की. विश्व पुस्तक मेले में देश के कई नामी-गिरामी प्रकाशन के स्टाॅल लगाये गये थे, जिसमें राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, रुख पब्लिकेशन, हिंदी युग्म, पेंग्विन प्रकाशन, राजपाल एंड संस एवं आदिवासी इंडिजिनस प्रकाशन शामिल है. मेले में कई पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ.
विश्व पुस्तक मेला के आखिरी दिन राजकमल प्रकाशन के ‘जलसाघर' में पुस्तकप्रेमियों ने जमकर खरीदारी की. राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि विश्व पुस्तक मेले में पाठकों का रेस्पॉन्स बहुत अच्छा रहा. इस दौरान पूरे नौ दिन हजारों लोग राजकमल के जलसाघर पहुंचे. हमें यह देखकर खुशी हुई कि उन लेखकों को भी पाठकों का बहुत प्यार मिला जिनकी किताब पहली बार प्रकाशित हुई हैं.
पेंग्विन प्रकाशन के समीर महालय ने कहा कि तीन साल बाद विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया गया है. बोर्ड परीक्षाओं को लेकर हमें यह शंका थी कि भीड़ कम होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं हमें पाठकों का बहुत अच्छा रिस्पांस मिला. वाणी प्रकाशन की कार्यकारी निदेशक अदिति महेश्वरी गोयल ने बताया कि पुस्तक मेले को लेकर पाठकों और लेखकों में बहुत उत्साह है. जाहिर है जब दोनों में उत्साह है तो पुस्तक मेला सफल होगा. इस मेले में कई ऐसे लेखकों को पाठकों ने पसंद किया, जिनकी पहली किताब प्रकाशित हुई है.
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