।। दक्षा वैदकर।।
क ई लोगों को लॉ ऑफ अट्रैक्शन का सही मतलब नहीं पता. रोंडा बर्न की बुक ‘द सीक्रेट’ पढ़ने के बाद लोगों को यह लगने लगता है कि हम जिस चीज को बड़ी शिद्दत से चाहेंगे, वह हमें मिल जायेगी. लेकिन ऐसा है नहीं. इस अट्रैक्शन के बारे में यह बात जानना जरूरी है कि आपको वह चीज नहीं मिलती, जिसे आप चाहते हों. आपको तो केवल वह चीज मिलती है, जो आप सच में डिजर्व करते हों. जिस चीज को पाने के आप काबिल हों.
आज बड़ी संख्या में रोजाना कई हजार युवा फिल्म स्टार बनने के लिए मुंबई पहुंच रहे हैं. सभी युवा दिल से चाहते हैं कि वे फिल्म स्टार बनें और वे दिन-रात इसके सपने भी देखते हैं, लेकिन क्या ऐसा करने से, शिद्दत से उस चीज को चाहने से वह उन्हें मिल जाती है? बिलकुल नहीं. हजारों युवाओं में केवल एक युवा को मौका मिलता है और अगर वह अच्छा काम लगातार करे, तो ही वह फिल्म स्टार बनने की सीढ़ियां धीरे-धीरे चढ़ पाता है. अब अगर सीक्रेट बुक की हर बात आप सही मानेंगे, तो आपको केवल निराशा हाथ लगेगी. मैं यह नहीं कह रही कि उस किताब में लिखी बातें गलत हैं, लेकिन मैंने ऐसे कई लोग देखें हैं, जो उसकी बातों का गलत मतलब निकाल रहे हैं. वे ऐसे सपने देख रहे हैं, जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है. वे दरअसल आम का पौधा लगा रहे हैं और इच्छा रखते हैं कि उस पेड़ पर सेब लगे.
किताब को अपने जीवन में उतारने से पहले हमें इस बात को जानना बहुत जरूरी है कि हम क्या हैं? हम कौन हैं? हम किस चीज के काबिल हैं? कौन-सा सपना हम देखें, जो सच में बदल सकता हो? यह जांचें कि हम जिस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, क्या वह दिशा सही है?
आज ऐसे कई युवा हैं, जो गलत क्षेत्र में संघर्ष कर रहे हैं. फटी हुई आवाज है और सिंगर बनना चाहते हैं. नाम ठीक से नहीं लिख सकते, लेकिन लेखक बनना चाहते हैं. हिसाब-किताब में गलतियां करते हैं, लेकिन बिजनेसमैन बनना चाहते हैं. ऐसे युवाओं को अपने भीतर छिपी दूसरी प्रतिभा को तलाशना चाहिए.
बात पते की..
अगर आप कई सालों से एक ही क्षेत्र में काम कर रहे हैं और फिर भी आप वहीं के वहीं हैं, तो आप एक बार अपने क्षेत्र व अपनी खूबी पर गौर करें.
अकेले में बैठ कर केवल इस बात का पता लगायें कि आप सच में किस काम में माहिर हैं. जब पता चल जाये, तो उस काम में जी-जान लगा दें.