।। दक्षा वैदकर ।।
कंगना की फिल्म ‘क्वीन’ के बारे में तमाम लोगों से इतनी ज्यादा तारीफ सुनी कि देखे बिना रह नहीं पायी. फिल्म में वैसे तो कई अच्छी चीजें हैं, लेकिन यहां मैं जिसका जिक्र करूंगी, वह है उसकी दादी. जब क्वीन की शादी टूट जाती है और वह खुद को कमरे में बंद कर लेती है, तो दरवाजे के बाहर बैठी दादी उसे समझाती है कि जो भी होता है, वह अच्छे के लिए ही होता है. मेरा भी एक ब्वॉयफ्रेंड था, जो बहुत क्यूट था. उसने मुझे छोड़ दिया, लेकिन तब मुझे तेरे दादाजी मिले. हमने जिंदगी का भरपूर आनंद उठाया है.
आज तुझे भी यह लग रहा है कि तेरी जिंदगी अब खत्म हो गयी. अब मरने के अलावा कुछ नहीं बचा, लेकिन मेरी बच्ची, कुछ दिनों बाद तू ही मुझे आ कर यह कहेगी कि दादी जो हुआ, अच्छा ही हुआ. बेटा जो हमारी किस्मत में है, वह तो हमें मिल कर ही रहना है. वह कहीं नहीं जानेवाला है. आखिरकार फिल्म के अंत में दादी की यह बात सच साबित भी हो गयी.
क्वीन को समझ आया कि विजय का उसे छोड़ना जरूरी थी. अगर वह ऐसा नहीं करता, तो वह दुनिया नहीं देख पाती, रोमांचक अनुभव नहीं ले पाती, खुद को नये रूप में नहीं ढाल पाती, खोया आत्मविश्वास वापस नहीं ला पाती, न ही इतनी समझदार, कॉन्फीडेंट लड़की बन पाती. अंत में वह विजय के घर जाती है और उसे गले लग कर थैंक्स बोलती है.
यह फिल्म लोगों ने बहुत पसंद की. खासकर युवाओं ने. दरअसल, बड़ी संख्या में ऐसे युवा हैं, जिन्होंने ब्रेकअप को झेला है, जिनकी मंगनी टूटी है, शादी फिक्स होते-होते रह गयी है, जिनका प्रेमी-प्रेमिका ने साथ छोड़ दिया और किसी दूसरे के साथ चले गये. दरअसल, हम सब कभी-न-कभी ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं. हमें लगता है कि जिंदगी अब खत्म सी हो गयी, लेकिन ऐसे वक्त में हमें केवल अपनी खुशी के बारे में सोचना चाहिए. घर में बैठ कर रोने या आत्महत्या की कोशिश करने के बजाय हमें अपने सपनों को पाने में लग जाना चाहिए. जिस तरह फिल्म में क्वीन अपना पेरिस शहर देखने का सपना ले कर घर से निकल पड़ती है और अपने आप को दोबारा पा लेती है.
बात पते की..
– एक बार अपनी जिंदगी को पीछे मुड़ कर देखें. आप पायेंगे कि जिन्होंने भी आपको धोखा दिया है, उन्होंने अनजाने में आपको और मजबूत बनाया है.
– किसी के चले जाने से खुद को सजा न दें. जानेवाला इंसान जब खुशियां मना रहा है, तो भला आप दुखी हो कर क्यों बैठो. आप भी खुशियां तलाशें.