– कांग्रेस-भाजपा की गलत नीतियों से निजात दिलायेगा जदयू
– जदयू की प्राथमिकता है कि एक स्वावलंबी, धर्मनिरपेक्ष और मजबूत भारत का निर्माण किया जाये. जिसमें सभी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय और मजहब के लोगों की भागीदारी हो. न्याय के साथ विकास हो तथा सभी मिल कर विकसित भारत का निर्माण करें.
– केसी त्यागी जदयू महासचिव व राष्ट्रीय प्रवक्ता
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अपने घोषणा पत्र पर काम कर रहा है. इसमें चुनावी एजेंडे कीसभी बातें होंगी. वे मुद्दे जिन पर पार्टी पहले से काम करती आ रही है और आगे भी करेगी, वह प्रमुखता से रहेगा. मसलन, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना, न्याय के साथ विकास, सांप्रदायिकता का विरोध, किसानों के सवाल, भ्रष्टाचार का विरोध, महंगाई बढ़ाने वाली नीतियों का विरोध, गुड गर्वनेंस, स्वावलंबी भारत, आतंकवाद के खिलाफ सघन अभियान, महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, महादलितों और समाज के उन सभी वंचित लोगों का विकास और सशक्तीकरण आदि प्रमुख मुद्दे शामिल होंगे.
आज देश कांग्रेस के कुशासन और भाजपा के सांप्रदायिकता से मुक्ति चाह रहा है. देश के लोग इससे छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन उनके सामने कोई विकल्प नहीं है. जो विकल्प भाजपा के रूप में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उपलब्घ है, वह कांग्रेस से भी ज्यादा बुरा है. वर्तमान नेतृत्व के पास सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता नहीं है. वही हाल भाजपा के साथ भी है. इसलिए जो छटपटाहट आज आम आदमी के भीतर है वह सभी सही विकल्प की तलाश में है. उसी तलाश को पूरा करने का काम तीसरे मोरचे ने किया है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस हाशिये पर खड़े व्यक्ति की छटपटाहट को दूर करने की दिशा में सार्थक भूमिका निभा सकते हैं. क्योंकि भारत बहुलतावादी देश है और इस देश में विभिन्न जाति और संप्रदाय के लोग रहते हैं. जबकि देश का जो नेतृत्व कर रहा है वह पार्टी यानी कांग्रेस और जो कांग्रेस का विकल्प बनने को बेताब दिख रही है यानी भाजपा, दोनों के अंदर समाज के सभी वर्गो को साथ लेकर चलने की क्षमता नहीं है. इसलिए एक ऐसा नेतृत्व या मोरचा होना चाहिए जो कांग्रेस से छुटकारा दिला सके और सांप्रदायिक शक्तियों को रोक सके. इस लिहाज से तीसरे मोरचे में लोगों को देश का भविष्य दिख रहा है.
तीसरे मोरचे का गठन वोट के लिए नहीं बल्कि देश में अमन चैन और सांप्रदायिक सद्भाव को बरकरार रखने के लिए किया गया है. हमारी पार्टी की प्राथमिकता है कि एक स्वावलंबी और धर्मनिरपेक्ष भारत बनाया जाये. ऐसा भारत जिसमें सभी जात, धर्म, संप्रदाय और मजहब के लिए स्थान हो. सभी मिल कर देश को स्वावलंबी और मजबूत बनायें. इस दिशा में जदयू काम करेगी. किसान परक नीतियां हमारे एजेंडे का मुख्य विंदु होगा. किसानों को उनकी लागत के हिसाब से दाम मिले. फसल का इंश्योरेंस हो. कृषि मूल्य लागत आयोग है वह स्वायत्त संगठन हो. इस तरह से हमलोग किसान घोषणा पत्र भी तैयार करेंगे.
जदयू जो भी दावे करेगी उन दावों पर अब तक कायम रही है. और आगे भी उन दावों को पूरा करने करेगी. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना जदयू के एजेंडा का एक अहम हिस्सा है. इस मामले को लेकर जदयू शुरू से संघर्ष करती रही है और इस संघर्ष को एक मुकाम तक पहुंचाने का काम करेगी. इसके लिए बिहार की 40 में से 40 सीट जदयू को जिताने की अपील हमलोग राज्य की जनता से कर रहे हैं. केंद्र में हमारी संख्या ज्यादा होगी, तो केंद्र सरकार को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना ही होगा.
कांग्रेस पार्टी ने एक स्टेज पर आकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी थी. रघुराम राजन कमेटी का गठन किया गया, जिसने बिहार को अति पिछड़ा राज्य माना. लेकिन बीच के दिनों में कुछ राजनीतिक कारणों से केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया. क्योंकि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले इसके खिलाफ राजद शुरू से ही रहा है. राजद और कांग्रेस के गंठबंधन ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में सिर्फ इसलिए देर कर रही है कि इससे जदयू को फायदा हो जायेगा. जबकि राजद और कांग्रेस के लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि इससे बिहार की जनता को फायदा होगा. आजादी के बाद से ही कांग्रेस ने बिहार का बुरा हाल किया और नीतीश कुमार की सरकार से पहले राजद ने.
जिस बिहार को कभी जंगलराज से नवाजा जा रहा था आज वही बिहार सुशासन की मिसाल पेश कर रहा है. इससे बड़ी बात जदयू के लिए और क्या हो सकती है. बिहार की जनता नीतीश कुमार के साथ है. बिहार के गर्वनेंस को देश स्तर पर लागू करने की जरूरत है. तभी देश का सम्यक विकास हो सकता है. विशेष राज्य को लेकर भाजपा की भी कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन जदयू का एकसूत्रीय कार्यक्रम विशेष राज्य का दर्जा हासिल करना रहा है और आगे भी जबतक मिल नहीं जाता है, तबतक रहेगा.
बिहार के काम को देश दुनिया ने देखा है और सराहना की है. अब जरूरत इस बात की है कि इस तरह का नेतृत्व केंद्र में भी हो. नीतीश कुमार देश में सभी के लिए स्वीकार्य हैं. जदयू ही ऐसी पार्टी है, जो दलित और समाज के अंतिम व्यक्ति का भी परवाह करता है. अल्पसंख्यकों के लिए कई काम किये गये. जिस जातीय संघर्ष और सांप्रदायिक विद्वेष के लिए बिहार जाना जाता था, उससे नीतीश कुमार ने निजात दिलायी. साथ ही नीतीश कुमार ने ‘बिहारी’ शब्द के ई-मेज को बदलने का काम किया है.
जिस बिहारी शब्द को कभी हिकारत की नजरों को सुना जाता था, आज उसे गर्व के साथ बोला जाता है. अनुभव, परख, न्याय के साथ-साथ एक आदमीयता जो नीतीश कुमार में है वह अन्य दलों के किसी नेता के पास नहीं है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि नीतीश कुमार ही प्रधानमंत्री बनेंगे, लेकिन उनके अंदर अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण मौजूद है. अपने काम, अनुभव, सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता और देश को एक सूत्र में पिरो कर रखने वाले नेता हैं. कांग्रेस और भाजपा की जिन नीतियों के कारण आम जनता पिस रही है, उससे निजात दिलाने का काम जदयू का मुख्य एजेंडा होगा.
(अंजनी कुमार सिंह से बातचीत पर आधारित)