नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर देश की विभिन्न जेलों में बंद आठ महिला कैदियों को ‘तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड-2017′ दिये गये. जिन महिला कैदियों को अवॉर्ड दिये गये, वे अलग-अलग जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रही हैं. इन महिलाओं में कोई उम्रकैद की सजा काट रही हैं तो किसी को मौत की सजा सुनायी गयी है.
विदेश मंत्रालय में सचिव ज्ञानेश्वर मुले की ओर से ये अवॉर्ड जारी किए गये. ये अवॉर्ड जानीमानी जेल सुधार कार्यकर्ता डॉ. वर्तिका नंदा की ओर से संचालित संस्था ‘तिनका तिनका फाउंडेशन’ की ओर से दिये जाते हैं. छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल में बंद कमला रेखा पांडेय को कैदियों को कानूनी जागरुकता प्रदान करने के कारण ‘तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड-2017′ के तहत प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया. कमला की ओर से समय पर दी गयी सही सलाह के कारण 14 बंदी जेल से रिहा हो सके.
कमला आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के जुर्म में पिछले करीब 12 साल से जेल की सजा काट रही हैं. उनके साथ उनकी बहनें भी जेल में हैं. वह जेल में विधिक प्रकोष्ठ की सदस्य हैं. गुजरात की वडोदरा जेल में बंद 26 साल की परवीन बानो नियाज हुसैन मलिक को कैदियों को कंप्यूटर कौशल और सिलाई सिखाने के कारण इस अवॉर्ड के लिए चुना गया. परवीन को जेल में ‘मास्टर ट्रेनर’ के नाम से जाना जाता है. उन्हें दूसरे पुरस्कार के लिए चुना गया. वर्तिका नंदा ने बताया कि इस अवॉर्ड का मकसद कैदियों की जिंदगी में बदलाव लाना और मानवाधिकारों की तरफ ध्यान आकृष्ट करना है. उन्होंने कहा कि इन अवॉर्ड्स के जरिए जेल में महिला सशक्तिरण की कोशिश की जा रही है.
जेल में महिलाओं और बच्चों के मेडिकल सहायक के तौर पर अहम योगदान के लिए अनिता बनर्जी, फमीदा, वंदना जैकब और सरिता को विशेष सेवा के लिए सम्मानित किया गया. जेल में कौशल सृजित करने को लेकर एक ट्रांसजेंडर को भी इस अवॉर्ड के लिए चुना गया.