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#Bihar Budget 2017/विशेष दर्जा मिलता तो लगता चार चांद

बिहार की महागंठबंधन सरकार ​की ओर से ​ सोमवार को वित्त वर्ष 2017-18 के लिए​ बजट पेश किया गया. वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इसके जरिये राज्य की चहुमुखी विकास का खाका खींचा. अगले एक साल में सरकार की प्राथमिकताएं तय करते हुए उन्हाेंने सरकार के सात निश्चय और विभिन्न सेक्टरों में विकास की […]

बिहार की महागंठबंधन सरकार ​की ओर से ​ सोमवार को वित्त वर्ष 2017-18 के लिए​ बजट पेश किया गया. वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इसके जरिये राज्य की चहुमुखी विकास का खाका खींचा. अगले एक साल में सरकार की प्राथमिकताएं तय करते हुए उन्हाेंने सरकार के सात निश्चय और विभिन्न सेक्टरों में विकास की दिशा में आगे बढ़ने का माद्दा दिखाया. सत्ता पक्ष ने जहां बजट को नोटबंदी से उबरने में कारगर और गांव-गरीब के लिए समर्पित बताया, वहीं विपक्ष ने बजट को दिशाहीन कहा है. आम लोगों के जीवन से जुड़े क्षेत्रों खासकर स्वास्थ्य और श्रम संसाधन के लिए बजट में कटौती को जनविरोधी बताते हुए भाजपा, लोजपा व भाकपा माले समेत विपक्षी राजनीतिक दलों ने इसे जनकल्याण के मोर्चे पर सरकार की विफलताओं से जोड़ा.

पटना : वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सदन में 2017-18 का बजट पेश करते हुए कहा कि पिछले एक वर्ष में हमारी सरकार ने आम आदमी के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सांप्रदायिक सद्भाव, संस्कृति और आर्थिक विकास की रोशनी फैलाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की प्रतिकूल नीतियों, विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने, फंड शेयरिंग पैटर्न बदल देने और नोटबंदी के झंझावात के बावजूद हमारे अजम और हौसले का दीया जलता रहा है और जलता रहेगा.
सिद्दीकी ने कहा कि हम चांद और सूरज की बात नहीं करते हैं, दीये की बात करते हैं, यह आम आदमी के जुझारूपन का प्रतीक है. लगातार दूसरा बजट पेश करते हुए सिद्दीकी ने दावा किया कि नोटबंदी समेत तमाम तरह की मुश्किलों का सामने करने और कई तरह की कमियों के बाद भी राज्य सरकार का वित्तीय प्रबंधन ठीक रहा. अगर बिहार को केंद्र सरकार से अपेक्षित मदद मिलती, तो राज्य की अर्थव्यवस्था ज्यादा बेहतर हो सकती थी. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की स्पेशल पैकेज की घोषणा पर अमल होता और विशेष राज्य का दर्जा मिलता, तो राज्य के विकास में चार चांद लग जाता. उन्होंने बजट में आंतरिक संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल पर सरकार की विकासपरक नीतियों को रेखांकित किया.
राजद ने बताया बेहतर बजट
बिहार विधानसभा में सोमवार को पेश किये गये 2017-2018 के बजट का राष्ट्रीय जनता दल ने स्वागत किया है. पार्टी ने कहा है कि यह बेहतर बजट है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा रामचंद्र पूर्वे, विधायक मुंद्रिका सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता चत्तिरंजन गगन, मृत्युंजय तिवारी ने राज्य सरकार के बजट का स्वागत करते हुये कहा है कि पहली बार एक लाख 60 हजार करोड के बजट को प्रस्तुत किया गया है.
राज्य मे शराबबन्दी लागू होने के बाद पेश पहले बजट ने यह साबित कर दिया है कि सरकार का इरादा नेक और पक्का हो तो लक्ष्य प्राप्त करना असंभव नही है. राजद नेताओं ने कहा है कि बजट मे महिलाओं, अल्पसंख्यकों, पिछडों के कल्याण के साथ हीं युवाओं के रोजगार पर विशेष ध्यान दिया गया है . शिक्षा , स्वास्थ्य , सडक एवं बिजली जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को विशेष प्राथमिकता दी गयी है. महागठवंधन सरकार द्वारा घोषित सात नश्चिय को नर्धिारित समय सिमा के अंदर पूरा करने के लक्ष्य के अनुरूप बजट का प्रावधान किया गया है.
सात निश्चयों पर विशेष ध्यान: अशोक
पटना : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह शिक्षा व आइटी मंत्री डा अशोक चौधरी ने विधान सभा में वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दकी द्वारा वित्तीय वर्ष 2017–18 के लिये पेश बजट का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इस बजट में राज्य सरकार के सात निश्चयोश्व विकास, गरीबी उन्मूलन व स्थायित्व पर विशेष ध्यान दिया गया है. साथ ही, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन–जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यकों के विकास पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. उन्होंने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह जी के 350वें प्रकाशोत्सव के सफल आयोजन पर देश एवं विदेश में बिहार का गौरव बढ़ा है. शराबबंदी के बाद राज्य सरकार का यह पहला बजट है. राज्य सरकार के इस कदम से कानून–व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के 2017–18 के बजट में 25,251.39 करोड़ का आवंटन स्वागत योग्य है. पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांव में बैंकों की शाखा खोलने तथा चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों के लिये आवास योजना की व्यवस्था सरकार का प्रगतिशील कदम है.
बजट प्रतिक्रिया के लायक भी नहीं : सुशील मोदी
पटना : विधान परिषद में विपक्ष के नेता व पूर्व वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार सरकार का इस वर्ष का बजट प्रतिक्रिया देने लायक भी नहीं है. पूरा बजट भाषण 15 मिनट में पूरा हो गया. बजट में न विजन है, न ही नयी योजना और न कोई नीति.
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस बजट में विकास दर का भी जिक्र नहीं है. वह इस कारण कि प्रदेश की विकास दर सात प्रतिशत पर आ गयी है, जो औसतन 10 प्रतिशत सालाना हुआ करती थी. इस बजट में बदलाव की भी कोई बात नहीं है. सात निश्चय पर भी कोई स्पष्ट विजन नहीं है, जो पहले ही जनता को बेवकूफ बनाने के लिए लाया गया था. जब मोदी से पूछा गया कि वित्त मंत्री का कहना है कि यदि राज्य को विशेष दर्जा मिल जाता, तो फिर चार चांद लग जाता, इस पर उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार ने नहीं, बल्कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने ही विशेष दर्जे को नकार दिया था.
तेज प्रताप से नाराज दिखाई दे रहे नीतीश : मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव से नाराज चल रहे हैं. यदि ऐसा नहीं है, तो फिर क्यों हेल्थ के बजट में 1775 करोड़ रुपये की कमी की गयी. बेरोजगारों को भत्ता देनेवाले विभाग का भी बजट 600 करोड़ घटा दिया गया. ऊर्जा, श्रम, कृषि और एससी-एसटी कल्याण विभाग के बजट में भी कमी की गयी है.
नित्यानंद बोले, गरीब विरोधी बजट
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने बिहार के वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट को किसान विरोधी बजट बताया है. उन्होंने कहा है कि बजट में न तो जनकल्याण की योजनाओं की चर्चा है और न ही किसानों के आर्थिक उन्नयन का उल्लेख है. यह बजट गांव, गरीब और किसान विरोधी है. बजट में महिलाओं के लिए विशेष योजना पर चर्चा तक नहीं है.
राय ने कहा कि कृषि प्रधान राज्य बिहार जहां 76 प्रतिशत किसानों की आबादी है, यहां बीते पांच वर्षों में ग्रोथ रेट माइनस तीन प्रतिशत है. इसे ऊपर लाने की कोई चर्चा बजट में नहीं की गयी है. नीतीश सरकार के सात निश्चय में कृषि पहले ही गायब है और सरकार का कृषि रोड मैप पहले ही धूल-धुसरित हो चुका है. बजट भाषण में किसान और किसानों की आर्थिक खुशहाली के बारे में कुछ न कह कर सरकार ने अपनी घोर किसान विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है.
राय ने कहा कि बजट भाषण सरकार के सात निश्चय की नकल प्रति है इसमें नया कुछ नहीं है. जनता को छलने का नायाब तरीका ढूंढ़ने में सरकार खुद उलझती जा रही है, क्योंकि उसे खुद नहीं मालूम की सात निश्चय के कार्यान्वयन के लिए हजारों करोड़ रुपये कहां से आयेंगे. यह समाज के हर वर्ग को छलनेवाला दिशाहीन बजट है.
जनता को धोखा देनेवाला बजट : मंगल पांडेय
पटना : भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने नीतीश सरकार का वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट को जनता को धोखा देनेवाला बताया है. बजट में सरकार ने अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि बजट पूरी तरह नीरस है. इसमें न तो राज्य सरकार की कोई नीति दिखी और न ही सरकार का कोई विजन ही. कोई नयी घोषणा तक नहीं की गयी. यह पूरी तरह से केंद्र के पैसे पर आधारित है.
उद्योग के लिए कुछ विशेष नहीं : बीआइए
पटना : बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष संजय गोयकना ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो उम्मद उद्यमियों ने लगायी थी, उस पर सरकार ने कुछ विशेष प्रावधान नहीं किया है. बजट में वित्त मंत्री ने पिछले साल की तुलना में 22 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की है जो लगभग 15 फीसदी है. बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, सात निश्चिय के क्षेत्र में सरकार ने विशेष ध्यान दिया है जो सकारात्मक पहल है. इसका लाभ आम लोगों को मिलेगा. उन्होंने बताया कि उद्योग के क्षेत्र में सात फीसदी की बढ़ोतरी की है जो पर्याप्त नहीं है. इससे औद्योगिक विकास की रफ्तार कम हो जायेगी.
एसोसिएशन उपाध्यक्ष संजय भरतिया ने कहा कि सरकार ने इस वर्ष से उद्योगों को ऊर्जा के मद में दी जाने वाली सहायता अनुदान को वापस ले लिया है. अत: हम सरकार से यह अपेक्षा करते हैं कि सरकार उद्योगों को दी जानेवाली बिजली की कीमत में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं करे. ताकि हमारे राज्य के उद्योग का उत्पादन लागत संतुलित रह सके .
वहीं दूसरी ओर पाटलिपुत्र सर्राफा संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य, सड़क, शिक्षा आदि के बजट में इस वर्ष सरकार ने बढ़ोतरी की है जिसका हम स्वागत करते हैं. सड़क क्षेत्र में हो रही सुधार से इसका लाभ समाज के सभी वर्गों के साथ- साथ कारोबारियों को भी प्राप्त होगा. उन्होंने कहा पॉश मशीन के संबंध में जो बातें बजट में कहीं गयी है जो अच्छी पहल है लेकिन इसके बढ़ावा के लिए सरकार को इसके लेन-देन पर लगने वाला चार्ज को समाप्त कर दिया जाता तो दुकानदारों को कुछ लाभ मिलता.
झूठे आंकड़ों से ‘न्याय के साथ विकास’: माले
पटना : बजट में झूठे आंकड़ों के जरिये ‘न्याय के साथ विकास’ की लफ्फाजी की गयी है. बिहार सरकार के बजट प्रस्ताव पर पर प्रतिक्रिया देते हुए सोमवार को माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि सरकार बिहार के विकास के मौलिक प्रश्नों से पूरी तरह भाग खड़ी हुई है.
महज सात निश्चय की जुमलेबाजी कर जनता की आंखों में धूल झोंक रही है. सकल घरेलू उत्पाद में तेजी से वृद्धि का दावा करनेवाली सरकार को बताना चाहिए कि रोजगार के अवसरों में कितनी वृद्धि हुई है? ठेका-मानेदय पर काम करनेवाले कर्मियों को अब तक स्थायी क्यों नहीं किया गया? गरीबों के आवास की जमीन, भूमि सुधार, बटाईदार किसानों के कानूनी हक आदि सवालों पर एक शब्द बोलना भी वित्तमंत्री ने उचित नहीं समझा. इसके बजाय वह झूठे आंकड़ों के जरिये बिहार में विकास की जुमेलबजी चलती रही.
किसान, मजदूर, उद्योग विरोधी है बजट: रालोसपा
पटना : विधानसभा में वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी द्वारा वर्ष 2017-18 के लिए पेश किया गया बजट बिहार की जनता के साथ क्रूर मजाक है. बिहार बजट को लेकर उक्त बातें सोमवार को रालोसपा प्रवक्ता मोहन कुमार वर्मा, तारिणी प्रसाद सिंह, भोला शर्मा, अनिल यादव, वीरेंद्र कुमार, अशोक कुशवाहा और रामजतन कुशवाहा ने कहीं. उन्होंने कहा है कि बिहार मुख्यत: कृषि आधारित राज्य है. यहां बेरोजगारों की बाढ़ है. नीतीश कुमार के लंबे शासन काल में राज्य में उद्योग-व्यापार का विकास नहीं हो सका है. वर्तमान बजट में बिहार के किसानों की दशा-दिशा सुधारने के लिए कुछ भी नहीं है. साथ ही युवाओं की बेरोजगारी कैसे दूर हो, इसकी चर्चा बजट में दूर-दूर तक नहीं की गयी है.
बजट ऐतिहासिक : नवल
पटना : जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नवल शर्मा ने कहा कि बजट ऐतिहासिक रहा. बजट एक कुशल आर्थिक प्रशासक के रूप में नीतिश कुमार के दूरदर्शी वितीय प्रबंधन की शानदार मिसाल है. केंद्र के सौतेले आर्थिक व्यवहार और नोटबंदी के दुष्प्रभावों के बीच बिहार के वितीय स्थायित्व और आर्थिक विकास को सुनिश्चित किया गया है, वह बेमिसाल है. राजकोषीय घाटे को तीन फीसदी से कम रखना, भ्रष्टाचार से लड़नेवाली लोकायुक्त जैसी संस्था के लिए बड़ी रकम का प्रावधान, युवाओं और महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है.
बजट राज्य के चहुमुखी विकास के लिए समर्पित : चैंबर
पटना : बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने राज्य के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में अपेक्षाकृत वृद्धि किये जाने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त की है कि बजट में करीब 17 फीसदी की वृद्धि से राज्य के विकास कार्यों में गति मिलेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए मुख्यमंत्री की सात निश्चयों को कार्यान्वित कराने की दिशा में यह बजट काफी कारगर सिद्ध होगा.
चैंबर अध्यक्ष पी के अग्रवाल ने बताया कि राजकोषीय घाटे को कम से कम बिंदु तक लाये जाने के बजटीय उपाय, पांच हजार की आबादी पर बैंक की शाखा खोलना, अभियान चलाकर व्यवसायिक स्थलों मार्केट में पीओएस मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराना, स्टार्टअप पॉलिसी 2016 वेंचर फंड के तहत 500 करोड़ का आंवटन, सरकार के सात निश्चयों को समय सीमा के भीतर पूरा कराने के बजटीय प्रावधान, बुनकरों एवं हस्तकरघा प्रक्षेत्र को प्रोत्साहन दिया जाना आदि घोषणा स्वागतयोग्य घोषणाएं हैं.

श्री अग्रवाल ने कहा कि उन्हें आशा थी कि राज्य के समुचित औद्योगिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस बजट में उद्योग विभाग को पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम दोगुनी राशि का आवंटन किया जायेगा,लेकिन केवल 843 करोड़ का ही आवंटन किया है. समुचित आवंटन के अभाव में बिहार की समुचित औद्यौगिकरण का सपना साकार होने में कठिनाइयां आ सकती हैं.

उन्होंने बताया कि राज्य के उद्यमियों को उम्मीद थी कि सरकार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 की समीक्षा कर कम से कम 2011 की नीति के अनुरूप प्रोत्साहन औद्योगिक इकाइयों को उपलब्ध करायेगी, लेकिन उद्योग विभाग को यदि आशानुरूप राशि नहीं उपलब्ध करायी गयी. श्री अग्रवाल ने आगे कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन के वर्तमान सर्किल रेट को घटाने की भी कोई घोषणा बजट में नहीं की गयी है.

घाटे का बजट है : पीएचडी चैंबर

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सत्यजीत सिंह ने कहा कि बिहार का बजट घाटे और कर के अनुपात में सकल घरेलू उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा है. हालांकि यह आर्थिक लक्ष्य प्राप्त करने में सफल नहीं दिख रहा है.
बजट में मीन-मेख निकाल रहे मोदी : संजय
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि भाजपा नेता सुशील मोदी के हाथ में कुछ नहीं है तो बजट में मीन मेख निकाल कर अपनी भड़ास निकालते है. बजट में वार्षिक स्कीम के लिए 80 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि मंजूर की गयी है. वहीं, लोकायुक्त के लिए पांच करोड़ की राशि मंजूर की गयी है. इस बार के बिहार बजट में सात निश्चयों पर फोकस किया है. बजट में विकास, गरीबी उन्मूलन और वित्तीय स्थायित्व पर जोर दिया गया है.
खेती-किसानी को संकट से उबारने का प्रयास नहीं
आर्थिक-सामाजिक विकास की योजनाओं पर खर्च में मामूली बढ़ोतरी की गयी है. शिक्षा व स्वास्थ्य का यही हाल है. शिक्षा पर जीडीपी का छह फीसदी खर्च करने की जरूरत है जबकि खर्च में हल्की बढ़ोतरी की गयी है. स्कूल और कॉलेजों में एक तिहाई शिक्षक रह गये हैं. पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. लेकिन उसके लिए बजट में कोई चिंता नहीं दिखती और न ही स्थिति दुरुस्त करने का प्रयास दिखता है. बजट में कृषि को संकट से निकालने का कोई प्रयास नहीं दिखता है. औद्योगीकरण पर 5500 करोड़ दिये गये हैं.
इतनी कम राशि से क्या होगा. जीएसटी के कारण अभी टैक्स में कोई वृद्धि नहीं की गयी है. राजस्व वसूली बढ़ाने की बात कही गयी है, लेकिन पैसा कहां से आयेगा, इसका कोई जिक्र नहीं है. पटना विवि देश का सातवां सबसे पुराना विवि है. आधुनिक बिहार के निर्माण में इसका बहुत अधिक योगदान रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसके छात्र रहे हैं. यह साल इसका शताब्दी वर्ष है. इसके बावजूद, विकास के लिए किसी विशेष योजना की घोषणा नहीं की गयी है, जबकि गुरु गोविंद सिंह के 350वें जन्मदिन को इसी सरकार ने बहुत शानदार ढंग से मनाया है. अब चंपारण सत्याग्रह के 100वें साल को भी मनाने जा रही है. प्रदेश क्षेत्रीय असंतुलन से भी ग्रस्त है. आर्थिक सर्वे बताता है कि शिवहर, सुपौल और मधेपुरा विकास की दौड़ में बहुत पीछे चल रहे हैं. प्रो. नवल किशोर चौधरी, अर्थशास्त्री
आधारभूत संरचना व विकास का काम प्रभावित होगा
अगर हम दो महत्वपूर्ण घटनाएं पहली शराबबंदी और दूसरी नोटबंदी के संदर्भ में देखें, तो आनेवाला वर्ष आसान नहीं होगा क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था पर दोहरी मार पड़ी है. शराबबंदी से राज्य सरकार के राजस्व संग्रह में कमी आयी है, जो सरकार के अनुमानित बजट खर्च पर दिखाई दे रहा है. इस वर्ष यह वृद्धि नाममात्र की है, जो सामान्य मूल्य वृद्धि के बराबर है. अगर राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी नहीं हुई, तो राज्य में चल रही आधारभूत संरचना और विकास का काम प्रभावित होगा. इस लिहाज से यह बजट संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है. वहीं, दूसरी ओर नोटबंदी की वजह से बिहार की अर्थव्यवस्था जो पहले से धीमी हो गयी थी वह और भी धीमी हो गयी है. इसके लंबे प्रभाव का सही आकलन आसान नहीं होगा. इसलिए यह बजट नम पटाखा की तरह हो गया.
आम जनता के लिए बजट में कुछ विशेष नहीं था. कुछ घोषणाओं के अलावा बजट में फिर से सात निश्चय को याद किया गया है. इसमें आम लोगों के कोई ऐसी घोषणा नहीं हुई, जो उन्हें राहत की सांस दे. जहां तक राजस्व वृद्धि की बात है, तो राज्य सरकार इस मुगालते में बैठी है कि देश में जल्द-से-जल्द जीएसटी लागू हो क्योंकि इसके लागू होने से बिहार सरकार को अच्छा राजस्व प्राप्त होगा. यानी बिहार सरकार केंद्र सरकार के सहारे अपना राजस्व बढ़ाने के इंतजार में है.

डाॅ सूर्य भूषण, मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट

पूरी तरह दिशाहीन है बिहार का बजट: आरएस पांडेय
बगहा से भाजपा के विधायक और सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आरएस पांडेय ने बिहार के 2017-18 के बजट को पूरी तरह दिशाहीन बताया है. उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में जो कमियां दर्शायी गयी थीं उसका निराकरण बजट में नहीं दिखा. राज्य में अपेक्षित निवेश नहीं हो रहा है. केंद्र पर निर्भर रहने वाला यह बजट है. बजट में न्याय के साथ विकास की अवधारणा देखने को नहीं मिला. बजट में विजन का अभाव है. श्री पांडेय ने कहा कि वर्ष 2016- 17 के आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्यों पर साल 2015-16 में 4.14 लाख करोड़ है. इसके अनुसार सालाना प्रति व्यक्ति आय 36964 रुपया है. इसके एक साल पहले 2014-15 का जीडीएसपी 4.24 लाख करोड़ था. उसके अनुसार सालाना प्रति व्यक्त आय 39341 थी.
दोनों आंकड़ा इसी सरकार का है. प्रति व्यक्ति आय में जो कमी आयी वह चिंता का विषय है. आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार ही पटना को छोड़ मुंगेर राज्य का सबसे विकसित और शिवहर सबसे पिछड़ा हुआ जिला है. दोनों के बीच प्रति व्यक्त आय है तीन गुणा से अधिक का फासला है. इसमें न्याय के साथ विकास की अवधारणा कहां दिखती है. शिवहर के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
जलता रहेगा दीया
विधान परिषद में प्रभारी मंत्री ने रखा वित्तीय लेख
पटना. विधान परिषद में वर्ष 2015-16 के बिहार सरकार के वित्तीय से संबंधित लेखे एक दृष्टि में रखा गया. साथ ही वर्ष 2017-18 का बजट व वर्ष 2016-17 का अनुपूरक व्यय विवरणी प्रस्तुत किया गया. प्रभारी मंत्री श्रवण कुमार ने वर्ष 2015-16 के बिहार सरकार के वित्तीय से संबंधित लेखे एक दृष्टि में प्रस्तुत किया. वहीं, वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने वर्ष 2017-18 का बजट व वर्ष 2016-17 का तृतीय अनुपूरक व्यय विवरणी रखा.
सत्ता पक्ष ने कहा शानदार, विपक्ष ने बेकार
बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जहां सत्ता पक्ष ने उसे बेहतरीन बताया, तो विपक्ष ने उसे बदतरीन की संज्ञा दी.
सत्ता पक्ष
विकसित बिहार के लिए बजट है. विपक्ष सदन चलने नहीं देना चाहता है. सत्ता पक्ष बिहार का विकास चाहती है और विपक्ष का काम बाधा पहुंचाना है.
राबड़ी देवी, पूर्व सीएम
बजट में केवल विकास, विकास और विकास है. हमारा काम काफी बेहतर है. हम सब बिहार को आगे ले जाना चाहते हैं और उसी दिशा में काम कर रहे हैं.
तेज प्रताप यादव, स्वास्थ्य मंत्री
बजट बेहद खास है. अतिरिक्त संसाधन जुटाने पर फोकस किया गया है. सात निश्चय के माध्यम से राज्य का सर्वांगीण विकास होगा. अंतिम वित्तीय वर्ष में भी हमारा लक्ष्य विकास पर था और इस बार भी है.
सदानंद सिंह, कांग्रेस नेता
बजट काफी बेहतर है. सरकार आम आदमी को केंद्र में रख कर काम कर रही है. इसी कारण बजट को विकासोन्मुखी बनाया गया है. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है.
संजय तिवारी, कांग्रेस नेता
इस बजट पर प्रतिक्रिया देने का कोई मतलब नहीं है. बजट का फोकस पूरी तरह विकास पर नहीं है. राज्य में घोटाले का दौर है. अपराधी हावी हैं. रोजगार सृजन के लिए भी कोई काम नहीं हो रहा है. विकास दर का बुरा हाल हो गया है.
प्रेम कुमार, नेता प्रतिपक्ष
बजट में कुछ भी नया नहीं है. आर्थिक सर्वेक्षण में ही आंकड़ों का खेल किया गया, लेकिन सरकार विकास दर का झूठ छुपा नहीं सकी. एक साल के अंदर प्रति व्यक्ति आय में कमी आयी है. 60 प्रतिशत अंश केंद्र देता है, लेकिन थैंक्यू तक नहीं कहा जाता.
सीपी ठाकुर, भाजपा नेता
गरीब विरोधी, छात्र-नौजवान बजट है. गरीबों के लिए संचालित हो रही योजनाओं की राशि को सात निश्चय में डायवर्ट कर जनता को गुमराह किया गया है. सरकार ने बजट पेश करने में संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं किया है.
पप्पू यादव, जन अधिकार पार्टी
शिक्षा, स्वास्थ्य , बिजली, सड़क व कृषि समेत सात निश्चय की प्राथमिकता पर आधारित इस बजट में महिलाओं व अल्पसंख्यकों पर विशेष फोकस किया गया है.
सदानंद सिंह, कांग्रेस नेता
न विजन दिखता है और न विकास . मात्र 20 मिनट में संक्षिप्त बजट भाषण का इतिहास रचा गया है . बजट में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है जिससे आर्थिक विकास दर बढ़े .
सुरेश रूंगटा, भाजपा प्रवक्ता
जगन्नाथ मिश्र बोले, विनिवेश को लेकर सरकार को गंभीरता से करना होगा विचार
पूर्व मुख्यमंत्री डा जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि विनिवेश को लेकर सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा. उन्होंने राज्य सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि प्रस्तुत बजट के उपबंधों से ऐसा लगता है कि बिहार धन का निवेश स्तर गिरने का मुख्य कारण विनिवेश का वातावरण अनुकूल नहीं है. अगर कोई विनिवेश करना चाहता है तो उसे राजकीय समर्थन प्राप्त नहीं होता है. सरकार की विकास नीति में प्राथमिकता के लिए दो चीजों पर ध्यान देना जरूरी है. पहला बिहार का कमजोर आधारभूत संरचना को मजबूत करने की आवश्यकता है.
दूसरा लचर कानून व्यवस्था जिसे सुदृढ़ बनाने के लिए इस दिशा में लंबे अर्से से चली आ रही समस्या को सुधारना होगा. बिहार की लगातार गिरती जा रही कानून व्यवस्था निश्चय ही जोखिम भरा है. उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण, बाढ़ नियंत्रण तथा बच्चों की शिक्षा पर पर अधिक बल देते हुए विकास के लिए विनिवेश का वातावरण बनाना होगा ताकि बिहार कृषि व मानव संसाधन श्रोत का अधिकाधिक उपयोग हो सके. बजट प्रावधानों में पूंजीगत व्यय को उपयोगी नहीं बनाया गया है जिससे विकास की गति में तेजी लाने व गरीबों की संख्या घटाने में सफलता मिलती.

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