नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से मंगलवार को संसद में आर्थिक समीक्षा पेश किये जाने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने कहा है कि सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों का प्रचलन बंद करने के पीछे रीयल स्टेट की कीमतों को नीचे लाना अहम लक्ष्य था. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि देश में आगामी एक-दो महीनों के अंदर पर्याप्त मात्रा में नये नोटों की आपूर्ति होने लगेगी.
संसद में आर्थिक समीक्षा पेश होने के बाद सुब्रमणियन ने कहा कि नोटबंदी के पहले और फिर उसके बाद के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का विश्लेषण करना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के अलावा अन्य कई ऐसे कारक भी हैं, जो जीडीपी वृद्धि को प्रभावित करेंगे. सुब्रमणियन ने कहा कि सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों में बैलेंसशीट अब भी संकटग्रस्त हैं और बैंकों से सबसे अधिक फंसे हुए कर्ज बड़ी कंपनियों के पास ही हैं. इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौति तेल की कीमतों में वृद्धि और संरक्षणवाद जैसी बाहरी चुनौतियां भी मुंह बाये खड़ी है.