!!विनय तिवारी!!
नयी दिल्ली : प्राथमिक स्कूलों में नामांकन दर साल दर साल बढ़ रहा है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता अभी भी बड़ी चुनौती है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा तीन के 2014 में जहां 40 फीसदी बच्चे कक्षा एक के पाठ्यक्रम पढ़ सकते थे, वह संख्या 2016 में 42 फीसदी तक पहुंची है. यानी अभी भी कक्षा तीन के आधे से ज्यादा बच्चे कक्षा एक का पाठ पढ़ने में अक्षम हैं.
बुधवार को जारी असर की रिपोर्ट (2016) के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर कक्षा तीन के 25.1 फीसदी बच्चे कक्षा दो का पाठ पढ़ने में सक्षम हैं. इस मामले में बिहार राष्ट्रीय स्तर से पीछे, लेकिन झारखंड से आगे है. बिहार में इस वर्ग के 20.7%, झारखंड के 16.4% बच्चे कक्षा दो का पाठ पढ़ने में सफल रहे. केरल में यह संख्या 45.5%, महाराष्ट्र में 40.7%, ओडिशा में 35.4% है. अगर गणित की बात करें तो राष्ट्रीय स्तर पर कक्षा 8 के महज 43.2% बच्चे ही भाग करने में सक्षम पाये गये. जबकि बिहार में यह संख्या 62.3%, झारखंड में 42.7 फीसदी, केरल में 53 %, गुजरात में 65.4% अौर उत्तर प्रदेश में 37.4% रही. यानि गणित के मामले में बिहार के छात्र केरल के छात्रों से बेहतर हैं.
योजनाओं के बाद भी लड़कियों के ड्रॉप आउट में कमी नहीं
मौजूदा समय में 6-14 आयु वर्ग में नामांकन दर 96.9 फीसदी है. माध्यमिक शिक्षा की बात करें तो 15-16 आयु वर्ग के लड़के और लड़कियों के नामांकन दर में सुधार हुआ है. राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2014 में यह अनुपात 83.4 फीसदी था, जो 2016 में बढ़कर 84.7 फीसदी हो गया. सरकार की योजनाओं के बावजूद ड्रॉप आउट रेट में कमी नहीं आयी है. माध्यमिक स्तर पर लड़कियों का ड्रॉप आउट रेट (11-14 आयु वर्ग में) आठ फीसदी से अधिक है.
केरल और गुजरात के सबसे ज्यादा बच्चे निजी स्कूलों में
राष्ट्रीय स्तर पर 6-14 आयु वर्ग के 30.5 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में नामांकन लेते हैं. बिहार में 12.9 फीसदी, झारखंड में 17.4 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 34.2 फीसदी, केरल में 54.8 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 52.1 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 9.3 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला लेते हैं. यानि की सबसे शिक्षित केरल में निजी स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक है. इसी प्रकार गुजरात के सरकारी स्कूलों में दाखिला 2014 के 79.2 प्रतिशत से बढकर 2016 में 86 प्रतिशत दर्ज किया गया.
मूलभूत सुविधाएं बढ़ीं , शौचालय मामले में बिहार से बेहतर झारखंड
राष्ट्रीय स्तर पर 2016 में 74.1 फीसदी स्कूलों में पेयजल की सुविधा मौजूद थी. बिहार के 89.5 फीसदी, झारखंड के 81.5 फीसदी, केरल के 80.5 फीसदी, यूपी के 82 फीसदी स्कूलों में पेयजल सुविधा मौजूद थी. स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय सुविधा की बात करें तो 2016 में राष्ट्रीय स्तर पर 61.9 फीसदी स्कूलों में इसकी उपलब्धता थी. बिहार में 60.8 फीसदी, झारखंड में 61.4 फीसदी, बंगाल में 64.3 फीसदी स्कूलों में यह सुविधा थी. स्कूलों में लड़कियों को शौचालय मामले में बिहार से बेहतर झारखंड है.