।। दक्षा वैदकर ।।
रविवार सुबह व्हाट्स एप्प पर मैंने नया ग्रुप बना देखा. यह ग्रुप मेरे जूनियर्स ने बनाया था और उसमें मुझे भी एड किया गया था. सभी हंसी-मजाक कर रहे थे, जोक भेज रहे थे. मेरे एक दोस्त को मैंने यह बात बतायी कि आज मेरे जूनियर्स ने एक ग्रुप बनाया है और सुबह से उसी पर मस्ती चल रही है, तो उसने कहा तुम्हारे जूनियर्स तुमसे डरते नहीं हैं? व्हॉट्स एप्प के ग्रुप में भी तुम्हें एडकिया? यह तो गजब हो गया.
तब मैंने दोस्त को बताया कि मेरे सारे जूनियर्स फेसबुक पर भी मेरे साथ जुड़े हैं. उनकी सारी गतिविधियां मैं देख सकती हूं और उनके फोटो पर मैं कमेंट भी करती हूं. वे भी कमेंट करते हैं. ऑफिस का माहौल हमने इसी तरह का बना रखा है कि कोई किसी से डरे नहीं. मैं नहीं चाहती कि मेरे ऑफिस में घुसते ही हर जगह सन्नाटा छा जाये. इस चरचा के बाद मैंने सोचा कि आज कॉलम इसी पर लिखा जाये.
दोस्तों, जूनियर और सीनियर के झगड़े हर ऑफिस में देखे जाते हैं और लोगों को लगता है कि यह बहुत आम बात है, लेकिन ऐसा नहीं है. जूनियर और सीनियर भी अच्छे दोस्त हो सकते हैं. इसके लिए पहला कदम सीनियर को ही बढ़ाना होगा. अगर आप ऐसे सीनियर हैं, जो जान-बुझ कर चेहरे पर गुस्सा बनाये रखते हैं, ताकि लोग आपसे डरें और आपके आते ही सब काम में लग जायें, तो आप गलत कर रहे हैं. आपको जूनियर्स के साथ ऐसी बॉन्डिंग बनानी होगी, ताकि सभी भरोसा करें कि हमारा सीनियर हमारे साथ कभी बुरा कर ही नहीं सकता. वह हमारा भला चाहता है, वह हम सभी में भेदभाव नहीं करता. उसके लिए सारे जूनियर बराबर हैं.
इन्हें पढ़ें. यदि ऐसा आपके साथ होता है, तो आपको बदलने की जरूरत है.
1. क्या आपके ऑफिस में आने के पहले सारे जूनियर्स बातें कर रहे होते हैं और आपके आते ही चुप हो जाते हैं?
2. जूनियर्स जब बाहर चाय पीने जाते हैं, तो चुपके से चले जाते हैं, ताकि उन्हें आपके साथ जाना न पड़े?
3. जूनियर्स ने आपको सोशल साइट्स पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भी नहीं भेजी है?
4. जूनियर्स आपको अपनी पर्सनल प्रॉब्लम नहीं बताते हैं?