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इंटरनेट पर धोखाधड़ी और भारतीय

कॉमस्कोर की यह रिपोर्ट आये अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं कि अमेरिका और चीन के बाद इंटरनेट के सबसे ज्यादा यूजर्स भारत में हैं. दरअसल, घर हो या दफ्तर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी बहुत सी चीजों के लिए इंटरनेट पर निर्भर हो गयी है. लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के तीसरे सालाना ‘माइक्रोसॉफ्ट कंप्यूटर सुरक्षा सूचकांक’ (एमसीएसआइ) […]

कॉमस्कोर की यह रिपोर्ट आये अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं कि अमेरिका और चीन के बाद इंटरनेट के सबसे ज्यादा यूजर्स भारत में हैं. दरअसल, घर हो या दफ्तर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी बहुत सी चीजों के लिए इंटरनेट पर निर्भर हो गयी है. लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के तीसरे सालाना ‘माइक्रोसॉफ्ट कंप्यूटर सुरक्षा सूचकांक’ (एमसीएसआइ) की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी भी भारतीय इंटरनेट यूजर्स ऑनलाइन सेफ्टी के मामले में बहुत कमजोर हैं. यह रिपोर्ट बताती है कि तकरीबन 20 फीसदी भारतीय इंटरनेट पर फिशिंग हमलों के शिकार होते हैं.

फिशिंग एक तरह की इंटरनेट धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी किसी लोकप्रिय इंटरनेट सर्विस की जाली कॉपी (कोई इमेल सेवा, इंटरनेट बैंकिंग वेबसाइट और सोशल नेटवर्किग साइट) बनाते हैं और यूजर्स को इनकी ओर आकर्षित करते हैं. यूजर्स को इस बारे में कोई जानकारी नहीं होती और वे अपनी सूचना इस पर डाल देते हैं.

एमसीएसआइ के मुताबिक, 12 फीसदी भारतीयों की ऑनलाइन आइडेंटिटी हैक कर ली गयी है. भारत सहित 20 देशों में इंटरनेट यूजर्स पर किये गये सर्वे के मुताबिक विश्व में 34 फीसदी लोग ही अपनी ऑनलाइन जानकारियां लॉक करके रखते हैं. वहीं 38 फीसदी यूजर्स समय-समय पर अपनी प्राइवेसी सेटिंग में बदलाव करते रहे हैं. तकरीबन 35 प्रतिशत उपभोक्ता इ-बैंकिग और मोबाइल फोन पिन नंबर से लॉक करके रखते हैं.

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