रांची : पुलिस वीआइपी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाती है. कई वीआइपी वारंट के बावजूद पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. बाद में न्यायालय से स्थगन आदेश (स्टे ऑर्डर) प्राप्त कर लिया है या वारंट ही क्वैश हो गया.
वेजफेड के पूर्व एमडी रामोद नारायण झा पर बिना एग्रीमेंट के पॉली हाउस निर्माण के लिए 2.08 करोड़ रुपये देने का आरोप था. इस मामले में पंडरा ओपी में प्राथमिकी करायी गयी. जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाया गया. इसके बाद श्री झा और आपूर्तिकर्ता उमा शंकर सिंह के खिलाफ चार नवंबर 2013 को वारंट जारी किया गया.
लेकिन, अब तक इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई. सहकारिता विभाग के सचिव केके सोन ने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिख कर दोनों को गिरफ्तार कराने का आग्रह किया है.
इसी तरह मेयर चुनाव के दौरान पैसे के लेन-देन के मामले के आरोपी सुनील सहाय पर भी वारंट जारी हुआ. वारंट अवधि के दौरान पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पायी. खाद-बीज घोटाले के आरोपी आरपी सिंह, अजेश्वर सिंह सहित आधे दर्जन अफसर महीनों फरार रहे. इनके खिलाफ फरवरी 2013 में वारंट जारी हुआ था. ये अफसर निलंबित भी हुए. पुलिस ने छापेमारी भी की, लेकिन गिरफ्तार नहीं हुए. बाद में कुछ अधिकारियों को न्यायालय से राहत मिल गयी.