अपने आसपास जो भी लोग हैं, उन्हें सम्मान दें. आप नहीं जानते कि किस व्यक्ति के अंदर क्या टैलेंट है और कब, कौन-सा व्यक्ति, किस जगह पहुंच जायेगा. यह बात बिल्कुल सत्य है और इसके कई उदाहरण मैंने देखे हैं. मैं ऐसे चाय बेचने वाले युवक को जानती हूं, जो 12वीं पास था. कैंटीन में पत्रकारों को चाय पिलाया करता था. एक दिन किसी पत्रकार ने बहुत भद्दे तरीके से उसे पुकारा, उसका अपमान किया. इस घटना के बाद उस युवक ने भी पत्रकार बनने की ठान ली. जर्नलिज्म का तीन साल का कोर्स किया और उसी अखबार में पत्रकार बन कर आ गया, जहां के पत्रकार ने उसका अपमान किया था. वह युवक उस अपमान करनेवाले रिपोर्टर के साइड वाले कंप्यूटर पर बैठने लगा.
वर्तमान में वह युवक, उस अपमान करने वाले पत्रकार से भी ज्यादा सैलरी पा रहा है. एक युवक अखबार में जॉब के लिए आया. वह बहुत मेहनती थी, लेकिन उस डिपार्टमेंट के इंचार्ज को वह पसंद नहीं आता था. वे बार-बार उसका अपमान करते. युवक सिर नीचे कर डांट सुनता रहता. जब छटनी का दौर आया, उस युवक को निकाल दिया गया. उसने इंचार्ज को बहुत मनाया कि घर में रुपये की जरूरत है, न निकालें. लेकिन इंचार्ज ने एक न सुनी. युवक दो महीने घर पर बैठा. उसके बाद उसकी नौकरी दिल्ली में फेमस न्यूज चैनल में लग गयी. 10 हजार रुपये के लिए इंचार्ज को मनाने वाला वह युवक आज 50 हजार रुपये महीने कमा रहा है और टीवी पर रोज आता है. ये उदाहरण उन युवाओं के लिए भी हैं, जो इन तरह के अपमान झेलते हैं.
कुछ युवा ऐसी परिस्थिति आने पर आत्मविश्वास खो देते हैं, गलत रास्ता अपना लेते हैं, सुसाइड कर लेते हैं. उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए. किसी भी इंटरव्यू में रिजेक्ट होने से, लड़के वालों के ‘ना’ कह देने से, नौकरी से निकाल दिये जाने से दुनिया खत्म नहीं हो जाती. रास्ते हजारों हैं. बस जरूरत है उन्हें तलाशने की. थोड़े संयम की. खुद का आंकलन करने की. अगर खुद में कमी नजर आये, तो सुधारने की कोशिश करने की. यही तो जिंदगी है.