रेडियम के चमक के सभी मुरीद हैं. यह बहुत ही मूल्यवान धातु है. कण-भर रेडियम का मूल्य लाखों रुपये होता है. रेडियम का चंद ग्राम सफेद पाउडर कई टन खनिज धातुओं से छान कर निकाला जाता है. रेडियम का उपयोग कैंसर, रसौली और त्वचा के अन्य रोगों के ईलाज में किया जाता है.
क्या तुम्हें पता है कि इस महत्वपूर्ण धातु की खोज किसने की? हम बताते हैं. दरअसल, रेडियम की कहानी मैडम क्यूरी यानी मेरी क्यूरी की कहानी है. मेरी क्यूरी महिला वैज्ञानिकों में सबसे प्रसिद्ध नाम है.
उनका बचपन का नाम मार्या था. जब वे उच्च शिक्षा के लिए पेरिस गयीं तब उन्होंने अपना नाम मार्या का फ्रेंच रूप मेरी रख लिया. वे विश्व के महान वैज्ञानिकों में एक थीं. रेडियम की खोज के अलावा भी उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी विज्ञान के खोजों में लगा दी. बचपन से ही बेहद प्रतिभावान क्यूरी की स्मृति अद्भुत थी.
एक बार जो पाठ पढ़ लिया उसे कभी नहीं भूलतीं. अपने सहपाठियों से वे लगभग दो साल छोटी थीं, पर पढ़ाई में वे उनसभी से आगे रहती थीं. उनके पिता भौतिकी के शिक्षक थे और बचपन में वे ही उन्हें पढ़ाया करते थे.
क्यूरी ने हाईस्कूल की पढ़ाई 15 साल में पूरी की और बहुत से स्वर्ण पदक भी जीते. मेरी को पढ़ने का बहुत शौक था. वे उच्च शिक्षा के लिए पेरिस जाना चाहती थी, पर उनके पास पैसे नहीं थे. उन्होंने हार नहीं मानी. पैसे के जुगार के लिए उन्होंने शिक्षिका की नौकरी की, साथ ही छोटे बच्चों की संरक्षिका का भी कार्य किया. अंतत: बचत के पैसे से 1891 में पेरिस पहुंकर फ्रांस के प्रमुख विश्वविद्यालय सोरबोन में दाखिला लिया. क्यूरी ने अपने धैर्य, दृढ़ता, अटल निश्चय से अपने ज्ञान को बढ़ाया. वे सभी भौतिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हुए भी पढ़ाई में मग्न रहीं और हमेसा ही अपने यूनीवर्सिटी में टॉप कीं.
मेरी क्यूरी
जीवनकाल : 1867-1934