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वो पांच मामले जिनसे दहला सिवान का कलेजा

सलमान रावी बीबीसी संवाददाता, नई दिल्ली राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत पर रिहाई के बाद से सिवान लगातार चर्चा में बना हुआ है. दरअसल बीते दो दशक के दौरान सिवान में होने वाले हर अपराध को शहाबुद्दीन से जोड़कर देखा जाता रहा है. ऐसे ही पांच बड़े मामलों का हाल, […]

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राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत पर रिहाई के बाद से सिवान लगातार चर्चा में बना हुआ है.

दरअसल बीते दो दशक के दौरान सिवान में होने वाले हर अपराध को शहाबुद्दीन से जोड़कर देखा जाता रहा है.

ऐसे ही पांच बड़े मामलों का हाल, देखिए.

राजपुर हत्याकांड – 13 सितंबर, 1996: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता ग़ुलाम हैदर के घर बक़रीद की ख़ुशियों का माहौल था. इसी दौरान हथियारबंद लोगों ने सिवान के आंदर प्रखंड के राजपुरा गाँव में उनके घर पर हमला कर दिया.

इस हमले में ग़ुलाम हैदर के बुज़ुर्ग पिता और एक रिश्तेदार के अलावा उनकी तीन साल की बेटी को मौत के घाट उतारा गया. ग़ुलाम हैदर उस वक़्त अपने घर पर नहीं थे. इस मामले में मोहम्म्द शहाबुद्दीन पर साज़िशकर्ता होने का आरोप है.

छात्र नेता चंद्रशेखर हत्याकांड – 31 मार्च, 1997: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के आह्वान पर सिवान के जेपी चौक के पास धरना चल रहा था जिसमें संगठन के लोग इलाक़े में सामंतवादियों और अपराधियों के बीच के गठजोड़ के ख़िलाफ़ लोगों को गोलबंद होने के लिए कह रहे थे.

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चंद्रशेखर

तभी हथियारबंद लोगों ने उस धरने पर हमला बोल दिया जिसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर और सीपीआई (एम-एल) के नेता श्याम नारायण यादव मारे गए थे.

घटना में कई लोगों को गोली लगी थी. इस मामले में चार लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई जा चुकी है जबकि मोहम्मद शहाबुद्दीन की भूमिका को लेकर सीबीआई अभी भी जांच ही कर रही है.

प्रतापपुर गोली कां – 6 मार्च, 2001: यह ऐसा गोलीकांड था जिसमे कुल मिलाकर नौ लोगों की जानें गईं थी. मामला राजद के नेता मनोज कुमार की गिरफ़्तारी के लिए आई पुलिस से मोहम्मद शहाबुद्दीन और और उनके लोगों की झड़प हो गई थी.

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इसके बाद उत्तर प्रदेश के देवरिया से पुलिस बल मंगाना पड़ा और प्रतापपुर में मोहम्मद शहाबुद्दीन के घर घंटों तक उनके समर्थकों और पुलिस के बीच गोलीबारी होती रही.

इस गोलीबारी में दो पुलिसकर्मी भी मारे गए थे. पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई थी और पुलिस ने घटना स्थल से तीन एके-47 राइफलें, हथगोले और दूसरे हथियार बरामद किए थे. इस मामले में मोहम्मद शहाबुद्दीन को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था और उनपर आरोप भी गठित किए गए थे.

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चंद्रकेश्वर प्रसाद

तेज़ाब कांड – व्यवसायी चन्द्रकेश्वर प्रसाद के तीन पुत्रों की हत्या – 16 अगस्त 2004: यह कांड सिवान में अबतक की सबसे वीभत्स हत्या थी जिसमें व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद के दो पुत्रों को तेज़ाब में डुबोकर मारा गया. घटना के बाद भी उनके दोनों पुत्र सतीश और गिरीश की लाशें भी बरामद नहीं हो पाईं.

तीन सालों के बाद चंद्रकेश्वर प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र राजीव की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. मामला ज़मीन के विवाद से जुड़ा है जिसमें मोहम्मद शहाबुद्दीन को साज़िशकर्ता बनाया गया है. इस मामले में सिवान के ज़िला कोर्ट ने मोहम्मद शहाबुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जिस पर उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की.

पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड – 13 मई, 2016: एक दैनिक अखबार के लिए काम कर रहे राजदेव रंजन की दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी जब वो अपने दफ़्तर से घर लौट रहे थे.

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राजदेव रंजन

राजदेव रंजन के परिजनों का आरोप है कि जेल में बंद मोहम्मद शहाबुद्दीन से मिलने वाले बड़े नेताओं के बारे में खुलासा करने के बाद उन्हें धमकियां मिलने लगी थीं.

इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है जबकि इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. मोहम्मद शहाबुद्दीन को इस कांड में भी बतौर मुख्य साज़िशकर्ता नामज़द किया गया है.

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