दिल्ली के कड़कड़डूमा में चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों को लेकर अफ़रातफ़री का मौहाल बना हुआ है. दिल्ली के उत्तर-पूर्व का यह इलाका चिकनगुनिया से सबसे बुरी तरह प्रभावित है.
स्थानीय डॉक्टरों के निजी क्लिनिकों में लोगों का तांता लगा हुआ है. हर कोई जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना, सिर दर्द और बुखार की शिकायत कर रहा है.
ये सब संक्रमण के आम लक्षण हैं.
डॉक्टर के क्लिनिक के बाहर अपनी बेटी के साथ आईं 65 साल की लीलावती बताती हैं, "मैं पहले अपने घर के बगल के एक अस्पताल में गई थी. वहां मुझे पारासिटामोल (बुखार की एक दवा) लेने के लिए कहा गया. लेकिन उससे आराम नहीं मिला."
चिकनगुनिया के मामलों के हिसाब से यह साल दिल्ली का सबसे ख़राब साल रहा है.
शहर में अब तक 1000 चिकनगुनिया के मामले दर्ज हो चुके हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी हैं. हालांकि अभी तक इस आकड़े की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
नेशनल वेक्टर बॉर्न डिज़ीज़ के मुताबिक़ देश भर में चिकनगुनिया के 12,250 मामले अगस्त के अंत तक सामने आए हैं.
स्थानीय वेलफेयर एसोसिएशन के प्रमुख भांवर सिंह जनवार के एक आकलन के मुताबिक़ अब तक कड़कड़डूमा के करीब एक तिहाई क्षेत्र के सात हज़ार लोगों ने चिकनगुनिया के लक्षण की शिकायत की है.
बगल में ही मौजूद डॉक्टर हेडगेवार आरोग्य संस्थान अस्पताल के एक डॉक्टर ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि हर दिन 800 से लेकर 1000 तक लोग सरकार की ओर से मुहैया कराए गए सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं. बुधवार की सुबह तक चिकनगुनिया के 18 से 20 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
कड़कड़डूमा इलाके में चिकनगुनिया के मामलों में आई बाढ़ की एक वजह यह है कि यहां की तंग गलियों में नाले खुले पड़े हुए हैं जो कि चिकनगुनिया के मच्छरों के पनपने के लिए माकूल हैं.
इस साल दिल्ली में मानसून में हर साल से ज्यादा बारिश हुई है जिस कारण इस इलाके में बारिश का पानी भरा हुआ है.
इसने चिकनगुनिया के साथ-साथ डेंगू और येलो फीवर के मामलों में बढ़ोत्तरी की संभावना बढ़ा दी है.
येलो फीवर से बचने के लिए तो टीका उपलब्ध है लेकिन चिकनगुनिया और डेंगू के लिए टीका उपलब्ध नहीं है.
भांवर सिंह जनवार और दूसरे स्थानीय लोगों का दावा है कि सरकारी विभागों ने मच्छर को पनपने से रोकने वाले छिड़कावों को बंद कर दिया है.
भांवर सिंह जनवार का कहना है, "एक-एक कर के हर परिवार, हर शख़्स इसकी चपेट में आ रहा है." वो ख़ुद बुखार से जूझ रहे हैं.
इलाके में कई दुकाने बंद पड़ी हुई है.
इस इलाके के एक कारोबारी का कहना है, "परिवार के कई सदस्य एक साथ बीमार पड़े हुए हैं इसलिए कोई ऐसा नहीं है जो दुकान चलाए."
जून से सितंबर तक चलने वाले बारिश के मौसम के बाद अमूमन भारत में डेंगू के मामलों में इजाफा हो जाता है.
हालांकि चिकनगुनिया के मामले दिल्ली में पिछले कुछ सालों में बहुत कम थे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अख़बारों में छपे विज्ञापन में कहा है कि तेज़ बुखार होने पर घबराने की जरूरत नहीं है."
दिल्ली की सरकार जिस तरह से इस संकट से निपट रही है, उसे लेकर उसकी खूब आलोचना हुई है लेकिन सरकार का कहना है कि सरकारी अस्पताल चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया से निपटने में पूरी तरह से सक्षम हैं.
मरीजों की बढ़ती तदाद को देखते हुए 355 फीवर क्लिनिक बनाए गए हैं.
डाक्टर और पारामेडिकल स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं ताकी परिस्थितियों से ठीक से निपटा जा सके.
गणित और अंग्रेजी के शिक्षक तीरथ सिंह के परिवार में पांच लोग हैं जिनमें से तीन लोग – उनकी मां, पत्नी और उनका बेटा चिकनगुनिया के लक्षण से प्रभावित हो चुके हैं.
अब तक सिर्फ वो और उनकी दस साल की बेटी बची हुई हैं.
हालांकि सरकारी अस्पताल में मुफ्त में इलाज उपलब्ध है जो कि उनके घर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन फिर भी उन्होंने निजी अस्पताल में इलाज करवाना बेहतर समझा.
तीरथ सिंह का कहना है कि, "चिकनगुनिया के बढ़ते हुए मामलों की वजह से सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों पर बहुत दबाव है. उन पर कैसे विश्वास किया जा सकता है. वे जरूर लापरवाही बरतेंगे. हालांकि निजी अस्पतालों में भी यह स्थिति बनी हुई है, लेकिन थोड़ी बेहतर है.
चिकनगुनिया मच्छर से होने वाला एक वायरल बुखार है. चिकनगुनिया फैलाने वाले एडीस एजिप्टी मच्छर दिन में काटते हैं. इसका संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं होता है.
इसका नाम एक अफ्रीकी भाषा से लिया गया है.
इसके लक्षणों में अचानक जोड़ों में दर्द होना और बुखार शामिल हैं.
ज्यादातर मरीज कुछ दिनों के बाद ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में जोड़ों का दर्द हफ़्तों, महीनों या उससे भी ज़्यादा वक़्त रह सकता है.
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