कौशलेंद्र रमण
जिं दगी कभी परफेक्ट नहीं होती. कुछ परफेक्ट लम्हें जिंदगी को खूबसूरत बनाते हैं. इस विचार को हमारे पड़ोस में रहनेवाले योगेंद्र जी सबको फॉलो करने के लिए कहते हैं. उनका तर्क रहता है कि जीवन में आनेवाले उतार-चढ़ाव को रोकना अपने वश में नहीं है. अपने वश में सिर्फ जीवन के अच्छे पलों को खूब इंज्वाय करना है. अगर हम इस सिद्धांत के आधार पर आगे बढ़ेंगे, तो जीवन के उतार-चढ़ाव को आसानी से झेल सकते हैं. योगेंद्र जी हमेशा प्रसन्न रहते हैं.
योगेद्र जी के मित्र ठीक उनके उल्टा सोचते हैं. उन्हें जिंदगी से हमेशा शिकायत रहती है. दफ्तर में किसी दिन ज्यादा काम करना पड़ता है, तो वह नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं. कभी भी उनके चेहरे पर हंसी नहीं दिखती है. उन्हें देखने से ऐसा लगता है कि सारे जहां की मुसीबत उन्हीं के सिर पर है. अपनी टीम में वह किसी भी सदस्य की मदद नहीं करते हैं. उन्हें लगता है कि इससे उनके काम का बोझ बढ़ जायेगा. योगेंद्र जी से जब भी उनके मित्र की भेंट होती है, जिंदगी को परफेक्ट बनाने के उपाये पूछने लगते हैं. जब योगेंद्र जी अपनी थ्योरी उनके सामने रखते हैं, तब वह भड़क जाते है.
कहने लगते हैं- ऐसा कैसे हो सकता है कि जीवन कभी परफेक्ट नहीं होगा. हम परफेक्ट बनाने की कोशिश तो कर ही सकते हैं न. इस पर योगेंद्र जी ने कहा, हां. बिल्कुल कर सकते हैं. लेकिन, जीवन को पूरी तरह से परफेक्ट बनाना संभव नहीं है. इस तरह की सोच ठीक उसी तरह से है, जैसे कोई कहे कि वह बीमार नहीं पड़ना चाहता है.
हम तंदुरुस्त रहने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन बीमार नहीं पड़ने की गारंटी कोई नहीं दे सकता है. इसे लेकर अगर हम जीवन से शिकायत करेंगे, तो हमारे जीवन में खुशियों के पल बहुत कम हो जायेंगे. योगेंद्र जी की बात सुन कर उनके मित्र थोड़ा गंभीर होते हुए कहते हैं- कोशिश करता हूं, तुम्हारी सोच के अनुसार चलने की.
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