कौशलेंद्र रमण
ज्यादातर लोग मुश्किलों के सामने घुटना टेक देते हैं. नियति मान कर उसके साथ जीना सीख लेते हैं. लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपनी मुश्किलों को चुनौती के तौर पर लेते हैं और उन्हें अवसर में बदल देते हैं. आज ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में आपको बतायेंगे. उन्होंने कोई बहुत बड़ा काम नहीं किया, लेकिन जो किया, उनके जैसे व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा है. वह खाते-पीते घर के हैं. कभी किसी चीज की कमी का अनुभव उन्होंने नहीं किया.
अच्छे से पढ़ाई की. घर से नजदीक अच्छी नौकरी मिल गयी. सब ठीक चल रहा था. सिर्फ एक समस्या थी खाने की. बाहर खाने की वजह से उनकी तबीयत खराब होने लगी. एक बार 20 दिनों तक उन्हें बिस्तर पर रहना पड़ा. उन्होंने स्वस्थ होने पर दफ्तर जाना शुरू किया और फैसला किया कि अपने लिए खाना खुद बनायेंगे. उनके जैसे व्यक्ति के लिए यह बहुत बड़ा फैसला था. इसके पहले उन्होंने इस तरह का कोई काम नहीं किया था.
घर में ऐसी व्यवस्था थी कि एक ग्लास पानी भी उन्हें हाथ में मिल जाता था. इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे खाना बनाना शुरू किया. शुरू में कुछ समस्याएं आयीं, लेकिन वह उसे सुलझाते गये. कुछ समय बाद खाना बनाने में पारंगत हो गये. खाना बनाने के अलावा बरतन धोने, सब्जी काटने, आटा गूंधने और चावल चुनने जैसे काम को वह इंज्वाय करने लगे.
एक दिन उन्होंने मित्रों को खुद से बनाया खाना खिलाने के लिए बुलाया. सभी ने खाने की तारीफ की और पूछा कि आपने ऐसा कैसे कर लिया. उन्होंने कहा, जब से नौकरी शुरू की तब से खाना मेरे लिए चिंता का विषय था. इस चिंता को मैंने चुनौती के रूप में लिया. अब मुझे खाना बनाने में मजा आता है. यह मुझे तनावमुक्त कर देता है. इसी तरह अगर हम हर छोटी-बड़ी मुश्किल को चुनौती के रूप में लेंगे, तो हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आता जायेगा.
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