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वर्कप्लेस पर ऐसे होता है तनाव

हममें से ज्यादातर लोग दफ्तर में काम या एसाइनमेंट पूरा करने के दौरान तनाव से गुजरते हैं. हमारे बीच ऐसे लोगों की संख्या 80 फीसदी से ज्यादा हो सकती है. तनाव का प्रभाव हमारे काम, सेहत और अंतत: कंपनी की आय पर भी पड़ता है. इसलिए, तनाव हमारी और कंपनी की सेहत के लिए ठीक […]

हममें से ज्यादातर लोग दफ्तर में काम या एसाइनमेंट पूरा करने के दौरान तनाव से गुजरते हैं. हमारे बीच ऐसे लोगों की संख्या 80 फीसदी से ज्यादा हो सकती है. तनाव का प्रभाव हमारे काम, सेहत और अंतत: कंपनी की आय पर भी पड़ता है. इसलिए, तनाव हमारी और कंपनी की सेहत के लिए ठीक नहीं है. जरूरत है इसके कारणों की पहचान करने की, ताकि समय रहते इस पर काबू पाया जा सके.
तनाव हमारे जीवन का हिस्सा है. हमें अपने जीवन के हर क्षेत्र में तनाव से सामना होता है. स्कूल में, दफ्तर में, घर में, अपने संबंधों में हर जगह हमें तनाव से रू-ब-रू होना पड़ता है. इन सबमें, हमारा काम हमें सबसे अधिक तनाव में रखता है. पिछले दिनों डेलोआयट ने 23000 प्रोफेशनल के बीच तनाव को लेकर एक सर्वे किया. सर्वे से पता चला कि काम के दौरान उत्पन्न तनाव की वजह हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है. सर्वे में तनाव के लिए पांच प्रमुख वजहें बतायी गयी हैं.
गलतियां नहीं करने का दबाव
ऐसा कोई नहीं होगा, जो गलती नहीं करता होगा. लेकिन, वैसा कार्यस्थल. जहां उम्मीद की जाती है कि आप गलतियां कम करेंगे, अगर गलती होती है तो बहुत नुकसान होता है. ऐसी परिस्थिति में गलतियां ज्यादा होने की गुंजाइश होती है. सर्वे में 82 फीसदी प्रोफेशनल्स ने माना कि हम जितना ज्यादा गलतियां नहीं करने के प्रति सचेत रहते हैं, उतनी ही ज्यादा गलतियां हमसे होती है. कह सकते हैं कि परफेक्शन का दबाव तनाव बढ़ाता है.
जरूरत से ज्यादा काम
सर्वे में 52 फीसदी लोगों ने बताया कि जरूरत से
ज्यादा काम का दबाव तनाव की एक बड़ी वजह है.
प्रोफेशनल्स का मानना है कि उनके पास इतना ज्यादा काम होता है कि उसे तय समय में खत्म करना संभव नहीं होता है. इससे तनाव बढ़ता है और काम भी प्रभावित होता है. टारगेट को पूरा करने के लिए ज्यादा काम करना पड़ता है. इससे गुणवत्ता प्रभावित होती है.
समय का दबाव
कोई भी ऐसा काम, जिसे हर हाल में एक तय समय सीमा के भीतर पूरा करना है या कोई बहुत महत्वपूर्ण काम, दोनों परिस्थिति में कर्मचारी तनाव में रहता है. बहुत लोग इस विचार के हो सकते हैं कि इस तरह का काम कर्मचारियों को सबसे अधिक तनाव में रखता है.
लेकिन, सर्वे में 46 फीसदी कर्मचारियों ने माना कि तय समय सीमा की वजह से उन्हें तनाव होता है. कर्मचारी इसे ‘पार्ट ऑफ जॉब’ मानते हैं. इस तरह का तनाव काम को बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करता है. हां, कुछ लोगों का काम इससे जरूर प्रभावित हो सकता है. वैसे इस तरह के तनाव से गुजरने वाले लोग भी मानते हैं कि यह उनके काम का हिस्सा है.
आपसी विवाद के क्षण
वर्कप्लेस पर विवाद से भी तनाव पैदा होता है. सर्वे में 52 फीसदी ने माना कि वर्कप्लेस पर विवाद से उतपन्न तनाव बहुत खतरनाक होता है. उस दौरान अगर किसी को सजा मिलती है या डांट पड़ती है तो उससे माहौल खराब हो जाता है. वहां काम करने वाले सभी लोगों पर इसका असर पड़ता है.
वर्कप्लेस का विवाद कर्मचारी को भावनात्मक स्तर पर ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. वर्कप्लेस पर उभरे विवाद के दौरान कर्मचारियों के लिए अपनी पर्सनल फीलिंग्स को रोक पाना मुश्किल होता है. इस तरह के विवाद का प्रभाव कर्मचारियों के प्रदर्शन और कंपनी के रिजल्ट पर भी पड़ता है. कर्मचारी एक टीम की तरह काम नहीं कर पाते हैं. कंपनियों को चाहिए कि वह वर्कप्लेस पर किसी भी तरह के विवाद को उभरने से रोकने का हर उपाय करे.
लोगों को फेस करने का डर
हो सकता है कि हममें से बहुत से लोग प्रेजेंटेशन देने या नये क्लायंट से मिलने से नहीं घबराते हों, लेकिन इस तरह काम से बहुत से लोगों के पसीने छूटने लगते हैं. हममें से बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें एक या दो लोगों के सामने प्रेजेंटेशन देने में दिक्कत पेश आने लगती है. सर्वे में 45 फीसदी लोगों ने माना कि प्रेजेंटेशन देने या क्लायंट से मिलने के दौरान वह अपने आपको सहज महसूस करते हैं. इसलिए वह इस तरह की परिस्थिति से अपने को अलग रखने की कोशिश करते हैं. उन्हें हमेशा इस बात का डर लगा रहता है कि उनकी वजह से काम बिगड़ सकता है. कंपनी को नुकसान हो सकता है. उनका इनक्रिमेंट रुक सकता है.
अपने फैसले को लेकर प्रतिबद्ध रहें
टोनी रॉबिंस अमेरिका के जानेमाने लेखक व बिजनेसमैन हैं. वर्ष 2007 में फोर्ब्स पत्रिका ने 100 चर्चित लोगों की सूची में उन्हें शामिल किया था. अगर आप कुछ नया करना चाहते हैं, तो उनके विचारों से सीख सकते हैं.
प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए हमें एहसास होना चाहिए कि हम सभी अलग-अलग तरह से दुनिया को देखते हैं और इस समझ को एक गाइड के रूप में दूसरों से संवाद करने में प्रयोग करना चाहिए.
आपके निर्णय के क्षणों में आपकी नियति आकार लेती है.
केवल वे, जिन्होंने ईमानदार और निस्वार्थ योगदान की शक्ति को जान लिया है, जीवन की असली खुशी का अनुभव करते हैं.
सफलता का राज यह सीखना है कि कैसे दर्द और खुशी का उपयोग किया जाये, बजाये इसके कि दर्द और खुशी कैसे आपका उपयोग करते हैं. अगर आप ये करते हैं, तो आप अपनी लाइफ के कंट्रोल में हैं. अगर नहीं, तो लाइफ आपको कंट्रोल करती है.
अपने फैसले को लेकर प्रतिबद्ध रहें , लेकिन अपने तरीके को लेकर लचीले रहें. विश्वास में सृजन करने की शक्ति होती है और विनाश करने की भी. सफलता का मार्ग है बड़ी और दृढ़ कार्रवाई करना. हम अपना जीवन बदल सकते हैं. हम जो चाहते हैं, बिलकुल वही कर सकते हैं, पा सकते हैं और हो सकते हैं.

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