डुमरिया: ‘‘मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है’’ राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर रचित रश्मिरथि की इन पंक्तियों को शुक्रवार को डुमरिया प्रखंड और ओड़िशा के कई गांवों के लगभग दो हजार ग्रामीणों ने चरितार्थ कर दिखाया.
जन प्रतिनिधियों और नौकरशाहों की वादा खिलाफी से आक्रोशित ग्रामीणों ने पहाड़ों कोकाट कर डुमरिया के मरांगसांगा से ओड़िशा के गोविंदपुर तक लगभग तीन किमी पहाड़ी और दुर्गम रास्ते को सड़क में तब्दील कर दिया. श्रमदान में उत्साह का आलम यह था कि महिलाएं तथा स्कूली बच्चों ने भी जम कर पसीना बहाया और पत्थरों को काटा और हटाया.
कई गांवों के ग्रामीणों ने की मेहनत, बच्चों का भी मिला सहयोग श्रमदान करने में ओड़िशा के गोविंदपुर, चड़इपहाड़ी, खाकड़ाबेड़ा, टोतादा, जरइपहाड़ी, डुमरिया के मरांगसांगा, हल्दीबनी, घाघदा, कितामहुली, जारबी, नरसिंहबहाल, बारूनिया गांव.
इन्होंने किया नेतृत्व : श्रमदान का नेतृत्व कांटाशोला के मुखिया डोमन हांसदा, ओड़िशा के चड़इपहाड़ी के मुखिया मायसा हांसदा, ग्रामीण भकत बास्के, गुणाराम महतो, शुरू टुडू, सुनाराम हांसदा आदि ने किया.
भोजन की थी व्यवस्था : श्रमदान करनेवाले ग्रामीणों के लिए वहीं पर खाना भी बन रहा था. बाबूलाल सोरेन ने चावल उपलब्ध कराया था. वहीं ओड़िशा के मुखिया मायसा हांसदा ने पानी के लिए टैंकर की व्यवस्था की थी.
जन प्रतिनिधियों ने अश्वासन ही दिया : मुखिया डोमन हांसदा और ग्रामीणों ने बताया कि उक्त सड़क के निर्माण के लिए जन प्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगायी गयी. मगर सभी सिर्फ अश्वासन ही दिया. सांसद ने भी सिर्फ अश्वासन ही दिया. बाध्य होकर श्रमदान से सड़क बनाने का निर्णय लिया गया.

