ऐसे करोड़ों लड़के-लड़कियाँ हैं जो सोशल नेटवर्क के तौर पर फ़ेसबुक का इस्तेमाल नहीं करते हैं, बल्कि स्नैपचैट, वीचैट और लाइन को तरजीह देते हैं. फ़ेसबुक ऐसे ही बच्चों को ध्यान में रखकर एक नया नेटवर्क ला रहा है.
मज़ेदार बात ये है कि इसे लॉन्च करने वाला भी फ़ेसबुक ही है और टेक क्रंच कीख़बर के अनुसार 21 साल के ऊपर के लोगों के लिए इस सोशल नेटवर्क पर जगह नहीं होगी.
लाइफ़स्टेज नाम का ये ऐप पिछले हफ्ते लॉन्च हो गया है और अब फ़ेसबुक उसे युवाओं के बीच पहुंचाने में ज़ोर-शोर से लग गया है.
फ़ेसबुक ने इसे हाई स्कूल और कॉलेज के बच्चों के लिए नेटवर्क के रूप में तैयार किया है. जो लोग 22 साल के ऊपर के है वो यहां पर सिर्फ़ अपने प्रोफाइल देख पाएंगे और सोशल नेटवर्क की तरह हिस्सा नहीं ले पाएंगे.
इस पर लॉग इन करने के लिए फ़ेसबुक अकाउंट नहीं चाहिए और अपने बारे में पूरी जानकारी यहां देनी पड़ेगी. एक बार किसी स्कूल के 20 लोग लाइफ़स्टेज पर दिखाई देंगे तो सभी एक दूसरे को दिखाई देने लगेंगे.
फ़ेसबुक को भी साल 2004 के बाद कुछ ऐसे ही लॉन्च किया गया था और धीरे-धीरे वो युवाओं के बीच काफ़ी पसंद किया गया.
लाइफ़स्टेज को बनाने वाले 19 साल के माइकल सेमैन हैं. जब साल 2004 में फ़ेसबुक लॉन्च किया गया था तो वो दूसरी क्लास में पढ़ते थे. उनके बारे मेंयहां पढ़ सकते हैं.
वो पिछले दो साल से फ़ेसबुक में काम कर रहे हैं और सोशल नेटवर्क को बढ़ाने के तरीके को समझने की कोशिश कर रहे हैं. लाइफ़स्टेज को पिछले हफ्ते अमरीका में एक ऐप के रूप में लॉन्च किया गया है और धीरे-धीरे ये दूसरे देशों में पहुंचेगा.
सभी कंपनियां आजकल युवाओं तक पहुँचने की कोशिश कर रही हैं. कंपनियों की कोशिश है कि किशोरावस्था में अगर लोगों को किसी ब्रांड के प्रोडक्ट या सर्विस पसंद आ गई तो वो हमेशा उसके साथ बने रहते हैं.
भारत जैसे देश में आधी आबादी 25 साल या उससे कम की है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की 40 फ़ीसदी आबादी 20 साल से कम की है. साल 2020 तक एक भारतीय की औसत उम्र 29 साल होगी.
विज्ञापन देने के लिहाज़ से दुनिया भर में कई ऐसी कंपनियां हैं जो ऐसे ब्रांड के साथ जुड़कर युवाओं को अपने प्रोडक्ट और सर्विस बेचना चाहेंगी.
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