भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई की दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक में चुनावी रणनीति पर चर्चा हुई लेकिन बड़े नेताओं का शामिल न होना सुर्खियों में रहा.
जैसा कि पहले से तय था कि इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव में जीतने की रणनीति पर ही ख़ासतौर पर चर्चा होगी और ऐसा हुआ भी.
लेकिन पार्टी में बड़े नेताओं की ग़ैरमौजूदगी भी चर्चा का विषय बनी हुई है.
बैठक तीन बार टलने के बाद आखिरकार झांसी में संपन्न हो ही गई लेकिन जिन वजहों से ये टल रही थी, वो वजहें झांसी में भी साफ़ दिखाई दीं.
तमाम केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक समेत लगभग पांच सौ लोगों ने बैठक में हिस्सा लिया लेकिन झांसी से बीजेपी की सांसद उमा भारती बैठक से नदारद रहीं.
यही नहीं, योगी आदित्यनाथ, विनय कटियार और मेनका गांधी सरीखे नेताओं की ग़ैरमौजूदगी भी लोगों में चर्चा का विषय रही.
बहरहाल, इन सबके बावजूद पार्टी कलराज मिश्र, राजनाथ सिंह और प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य सरीखे नेताओं ने कार्यकर्ताओं में जोश भरा और विधान सभा चुनाव में दो तिहाई बहुमत हासिल करने का लक्ष्य तय किया.
ये लक्ष्य कैसे हासिल होगा, इस सवाल पर केशव प्रसाद मौर्य का कहना था कि हम बूथ स्तर से लेकर विधानसभा स्तर तक अपनी सक्रियता बढ़ाएंगे और राज्य की समाजवादी पार्टी के शासन की ख़ामियों को उजागर करेंगे.
पार्टी में उद्धाटन भाषण केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने दिया और समापन भाषण राजनाथ सिंह ने.
कार्यसमिति की बैठक में ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि यूपी चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इस रहस्य से पर्दा उठ सकता है लेकिन ये रहस्य अभी भी बना हुआ है.
यानी पार्टी नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों और उन्हीं के नाम पर फ़िलहाल ये चुनाव भी लड़ने की तैयारी में है.
केशव प्रसाद मौर्य का कहना था कि ये जगह इस फ़ैसले के लिए नहीं थी बल्कि पार्टी ने कई तरह के सम्मेलनों के ज़रिए जनसमर्थन जुटाने की रणनीति बनाई है.
इसके अलावा अगस्त महीने में ही दो चरणों में तिरंगा यात्रा निकालने की योजना बनाई गई है. लेकिन पार्टी के दो तिहाई बहुमत हासिल करने के लक्ष्य को जानकार गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं. ‘मुझे तो ये सिर्फ़ हवाई घोषणा लगती है क्योंकि चुनाव होने में छह मास से भी कम रह गए हैं, पार्टी के पास न तो अभी कोई चेहरा है और न ही अखिलेश सरकार को घेरने का कोई मुद्दा.’
उधर जिस समय झांसी में बीजेपी नेता विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति पर मंथन कर रहे थे ठीक उसी समय बीजेपी की सहयोगी पार्टी की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल लखनऊ में आरक्षण की समीक्षा की चर्चा छेड़ रही थीं.
जानकारों का कहना है कि ये कुछ उसी तरह है जैसे बिहार चुनाव से पहले आरएसएस प्रमुख ने आरक्षण की चर्चा छेड़ी थी.
बहरहाल, बीजेपी ने चुनावी एजेंडा, मुख्यमंत्री का चेहरा जैसे मुद्दे भले ही तय न किए हों लेकिन लक्ष्य अपना ज़रूर तय कर लिया है.
जानकारों का ये भी कहना है कि पिछले कुछ दिनों से कई मुद्दों पर भले ही पार्टी की किरकिरी हुई हो लेकिन उत्तर प्रदेश विधान सभा में सीटों का लक्ष्य उसका बढ़ता ही जा रहा है.
अब चुनाव बाद पार्टी लक्ष्य से आगे या पीछे कहां रहती है, यह देखने वाली बात होगी.
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