गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने पिछले हफ़्ते ऊना में दलितों पर कथित हमले के मामले में सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं और मामले की तेज़ सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत बनाने की घोषणा की है.
पुलिस के अनुसार ग्यारह जुलाई को वेरावल के ऊना गांव में कथित तौर पर जानवर के चमड़ा उतारने के मामले में दलित युवकों की पिटाई के बाद ये मामला शुरू हुआ.
अहमदाबाद से पत्रकार प्रशांत दयाल के मुताबिक़, "पुलिस ने बताया है कि वेरावल के ऊना गांव के दलित युवक मरे हुए जानवर की खाल उतार रहे थे, तब ख़ुद को शिवसेना कार्यकर्ता बताने कुछ वाले लोगों ने दलित युवकों को कथित तौर पर कार के पीछे बांधकर उनकी पिटाई की थी."
घटना का वीडियो वायरल होते ही पुलिस हरकत में आई और आठ लोगों को गिरफ़्तार किया गया लेकिन आरोप लगे कि मामला क़ानून की कड़ी धाराओं के तहत दर्ज नहीं किया गया.
ताज़ा ख़बरों के मुताबिक घटना के विरोध में सात लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया है. प्रशांत दयाल ने बताया है कि दो अलग अलग जगहों पर सात लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की है. राजकोट के गोंडल शहर में पांच लोगों ने ज़हर पीकर आत्महत्या का प्रयास किया जबकि जामकडोरना गांव में दो युवकों ने ज़हर पी लिया.
उधर राजकोट में दलितों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं.
अहमदाबाद से पत्रकार अंकुर जैन ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने राजकोट गोंडोल हाइवे को रोक दिया है और दो राज्य परिवहन की बसों को आग लगा दी है.
प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि ऊना में पुलिस ने दोषियों के खिलाफ़ कार्रवाई में देरी की, इसलिए उनके खिलाफ़ भी कार्रवाई होनी चाहिए.
हिंसा पर राजकोट के एसपी अंतरिप सूद ने स्थानीय पत्रकार अंकुर जैन को बताया कि करीब 500 दलित प्रदर्शनकारियों ने हाईवे को ब्लॉक कर दिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों को भरोसा दिलाया गया है कि उनके साथ न्याय होगा.
पीटीआई के मुताबिक़ मुख्यमंत्री दफ़्तर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया है, "ऊना में दलितों की पीटीआई मामले की जांच सीआईडी (क्राइम) को दे दिए गए हैं. साथ ही मुक़दमे में तेज़ी लाने के लिए एक विशेष अदालत की स्थापनी की जाएगी."
साथ ही मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सात घायल दलित युवकों के इलाज की ज़िम्मेदारी सरकार की होगी.
पुलिस के ख़िलाफ़ लगे आरोपों के बाद चार पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था. फिर भी दलित समुदाय में प्रशासन से नाराज़ है.